महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का नतीजा आए एक सप्ताह से ज्यादा बीत चुका है लेकिन मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर अभी तक नहीं लगी है। इस बीच आज एकनाथ शिंदे ने यह ऐलान कर दिया कि कल बीजेपी विधायक दल की बैठक में सीएम के नाम का ऐलान हो जाएगा। इससे यह साफ हो गया कि महायुति में सीएम बीजेपी का होगा। बीजेपी के अंदर सीएम के लिए सबसे बड़ा चेहरा देवेंद्र फडणवीस का है। वे 2014 से 2019 तक सूबे के सीएम रह चुके हैं। विधानसभा चुनाव में पार्टी की इस अप्रत्याशित सफलता में भी फडणवीस का अहम रोल रहा। इसलिए ऐसी चर्चा है कि देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे। लेकिन हाल के वर्षों में जिस तरह से बीजेपी ने कुछ राज्यों में मुख्यमंत्री का नाम तय किया उससे इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि महाराष्ट्र में भी बीजेपी चौंकानेवाला फैसला ले सकती है। तो क्या देवेंद्र फडणवीस नहीं होंगे महाराष्ट्र के सीएम? फडणवीस की जगह किसी और को बीजेपी देगी मौका? क्या महाराष्ट्र में होगा खेला? इन सवालों का जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
फडणवीस की अहम भूमिका
महायुति की इस महाजीत में देवेंद्र फडणवीस की अहम भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। 2014 से लेकर 2019 तक का उनका कार्यकाल भी बेहतरीन रहा। इसी का नतीजा था कि 2019 में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को जीत मिली और देवेंद्र फडणवीस के हाथों में एक बार फिर से सत्ता जाने ही वाली थी लेकिन ऐन मौके पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बाजी पलट दी। हालांकि इस चुनाव में बीजेपी-शिवेसेना ने उन्हीं के चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ा था। वहीं 2024 के विधानसभा चुनाव में भी वे सबसे मुखर रहे। बीजेपी को 132 सीटें जिताने में फडणवीस की जबरदस्त प्लानिंग काम आई। ऐसे में बीजेपी के अंदर वे मुख्यमंत्री पद के लिए स्वाभाविक दावेदार के तौर पर उभरे हैं।
महाराष्ट्र में होगा महा'खेला'?
वहीं बीजेपी ने हाल के दिनों में चुनाव जीतने के बाद जिस तरह से सीएम की नियुक्ति की उससे इस बात की संभावना है कि महाराष्ट्र में भी खेला हो सकता है। ऐसा हो सकता है कि पार्टी देवेंद्र फडणवीस की जगह किसी और को सीएम बना दे। फडणवीस बीजेपी का ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं। वे पहले भी सीएम रह चुके हैं इसलिए बीजेपी इस बार किसी मराठा चेहरे को सामने ला सकती है। फडणवीस के विकल्प के तौर पर पार्टी चंद्रशेखर बावनकुले, विनोद तावड़े, चंद्रकांता पाटिल, मुरलीधर मोहोल के नाम पर भी विचार कर सकती है। इनमे मोहेल, तावड़े और पाटिल मराठा हैं जबकि चंद्रशेकर बावनकुले ओबीसी से आते हैं।
चौंकाने वाला फैसला
पिछले साल मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को जबदस्त जीत मिली थी। मध्य प्रदेश की जीत में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान की अहम भूमिका रही। शिवराज सरकार द्वारा चलाई गई लाडली बहन योजना का व्पापक असर हुआ और बीजेपी को बंपर जीत मिली। ऐसा माना जा रहा था कि एक बार फिर सूबे की सत्ता शिवराज सिंह चौहान को मिलेगी। विधायक दल की बैठक शुरू होने तक सब यही सोच रहे थे कि शिवराज सिंह चौहान ही अगले सीएम होंगे। लेकिन विधायक दल की बैठक में अचानक मोहन यादव का नाम आया और उस नाम पर विधायकों की मुहर लग गई। यह बेहद चौंकानेवाला फैसला था। ठीक इसी तरह से राजस्थान में भी सीनियर नेता पीछे रह गए और भजनलाल शर्मा के नाम पर मुहर लग गई। छत्तीसगढ़ में भी मध्य प्रदेश और राजस्थान की तरह ही एकदम नया नाम सामने आया। यहां विष्णुदेव साय को सीएम बनाया गया।
चर्चा थी मनोज सिन्हा की, सीएम बने योगी
इतना ही नहीं ओडिशा में मिली जीत के बाद वहां से बीजेपी के कद्दावर नेता दिल्ली में बैठे रह गए और बीजेपी विधायक दल की बैठक में मोहन चरण माझी को सीएम की कुर्सी मिल गई। झारखंड में भी 2014 में इसी तरह से बीजेपी ने शीर्ष नेताओं को मौका न देकर रघुवर दास को सीएम बना दिया था। हिमाचल में जयराम ठाकुर तो त्रिपुरा में बिपल्ब देव को भी इसी तरह सीएम की कुर्सी मिली थी। वहीं यूपी में योगी आदित्यनाथ का नाम भी अचानक ही सामने आया था। 2017 के विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद मनोज सिन्हा को सीएम बनाने की चर्चा चल रही थी। बताया जाता है कि मनोज सिन्हा का नाम लगभग फाइनल हो गया था लेकिन आखिरी मौके पर योगी आदित्यनाथ बाजी मार ले गए।
अब महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के नाम की चर्चा तो जोरों से चल रही है, लेकिन वे सीएम बनेंगे या नहीं यह कल बीजेपी विधायक दल की बैठक में ही तय हो पाएगा। सियासी गुणा भाग के हिसाब के बाद ही बीजेपी तय करेगी कि किसको सीएम बनाना है। लेकिन ऊपर के उदाहरणों से यह साफ है कि देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनने की राह आसान नहीं है। उनके सामने बड़ी चुनौतियां हैं। बीजेपी चौंकानेवाला फैसला भी ले सकती है।