नई दिल्लीः झारखंड-महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे का पेंच अभी सुलझ भी नहीं पाया था कि 13 राज्यों की 47 सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव में शीट शेयरिंग ने इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों की टेंशन बढ़ा दी है। दरअसल, इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे की गुत्थी सुलझाने के लिए कांग्रेस, सपा, आरजेडी, शिवसेना के बड़े नेताओं को चर्चा करने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद भी आधिकारिक तौर पर गठबंधन ने सीट बंटवारे को लेकर ऐलान नहीं किया है।
महाराष्ट्र में कैसी बनेगी बात
जानकारी के अनुसार, जो दल जिस भी प्रदेश में मजबूत है वहां पर अपने सहयोगी को या तो सीट नहीं दे रहा है या फिर नाममात्र की सीट जिसे जीतना काफी मुश्किल है, उसे दे रहा है। उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र में कांग्रेस-शिवसेना- एनसीपी (शरद पवार) काफी मजबूत स्थिति में हैं। यहां पर समाजवादी पार्टी 12 सीट मांग रही है। उसका कहना है कि उसके दो विधायक यहां पर पहले ही हैं। जहां पर वह जीतने की स्थिति में है वहां उसे सीट चाहिए। सूत्रों के मुताबिक महा विकास अघाड़ी सपा को महाराष्ट्र में दो से ज्यादा सीट देने को तैयार नहीं है। सपा पहले ही अपने पांच उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुकी है। कहा तो यह भी जा रहा है कि कांग्रेस द यानी देना नहीं सीखा है बल्कि ल यानी लेना सीखा है। यह सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे में देरी मुख्य वजह भी है।
यूपी में सीट बंटवारे को लेकर घमासान
इसी तरह यूपी में सपा काफी मजबूत है। 9 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में वह कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें देने को तैयार है। गाजियाबाद और खैर सीट के अलावा सपा कांग्रेस को एक भी अतिरिक्त सीट देना नहीं चाहती। सूत्रों के अनुसार, सपा चाहती है कि उसे भी महाराष्ट्र में सम्मानजनक सीटें मिले। उसका कहना है कि हरियाणा में कांग्रेस के लिए सपा ने एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ी। दरअसल सपा कांग्रेस से जो सीटें चाह रही थी उसे वहां पर नहीं दिया गया था।
सूत्रों के अनुसार, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बीच यूपी उपचुनाव में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा हुई है। सूत्रों का कहना है कि सपा फूलपुर की सीट कांग्रेस को दे सकती है। यानी यूपी में कांग्रेस को तीन सीटें मिल सकती हैं। जबकि कांग्रेस 9 सीटों में से पांच पर अपना उम्मीदवार उतारना चाहती थी। ताजा जानकारी के अनुसार, फूलपुर से सपा उम्मीदवार ने आज दोपहर को नामांकन भी दाखिल कर दिया।
झारखंड में आरजेडी नाराज
इसी तरह झारखंड में भी आरजेडी सीट शेयरिंग से नाराज चल रही है। सीएम हेमंत सोरेन ने अभी हाल में ही कहा था कि जेएमएम और कांग्रेस मिलकर 70 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। बाकी की 11 सीटें आरजेडी और वामदलों को दी जाएंगी। यहां पर आरजेडी ज्यादा सीटें चाह रही है लेकिन कांग्रेस-जेएमएम उसे 5-7 सीटों से ज्यादा देना नहीं चाहते।
पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने नहीं दी कांग्रेस को एक भी सीट
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) अकेले चुनाव लड़ रही है। यहां पर उसे सभी छह सीटों पर उपचुनाव के लिए अपने उम्मीदवार भी उतार दिए हैं। मतलब साफ है यहां पर टीएमसी और कांग्रेस अलग-अलग लड़ेंगी। लोकसभा चुनाव में भी सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनने पर दोनों पार्टियां अलग-अलग लड़ी थी। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई। बंगाल में कांग्रेस और वामदल पिछला चुनाव मिलकर लड़े थे लेकिन केरल में दोनों के बीच तलवारें खिंची हुई हैं।
पंजाब में आप ने कांग्रेस को नहीं दिया भाव
पंजाब में भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस चार सीटों पर हो रहे चुनाव में अकेले लड़ेंगी। आप ने तो सभी चारों सीटों पर कैंडिडेट भी उतार दिए हैं। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस और आप अलग-अलग चुनाव लड़े थे। जबकि कांग्रेस और आप दिल्ली-हरियाणा में एक साथ गठबंधन में चुनाव लड़े थे। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। आप पहले ही कह रही है कि दिल्ली में वह कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
केरल में कांग्रेस-लेफ्ट आमने-सामने
केरल में सत्तारूढ़ लेफ्ट की कांग्रेस से राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता किसी से छिपी नहीं है। वायनाड लोकसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को उतारा है तो डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने सत्यन मोकेरी को अपना उम्मीदवार बनाया है। कुल मिलाकर कांग्रेस को हर जगह पर उसके सहयोगी ही आंख दिखा रहे हैं। दरअसल, कांग्रेस जहां मजबूत है वहां पर सहयोगी दलों को सीट देना नहीं चाहती लेकिन जहां पर कमजोर है वहां सीट हर हाल में लेना चाहती है।
बिहार में आरजेडी ने कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी
झारखंड से चोट पाई आरजेडी ने बिहार में हो रहे चार सीटों पर उपचुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी। जबकि वामदल को एक सीट मिली है। मजेदार बात यह रही कि आरजेडी ने बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष से ही सीट बंटवारे का ऐलान करवाया। सूत्रों के अनुसार, चार सीटों में से कुछ पर कांग्रेस भी चुनाव लड़ना चाह रही थी।
जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को नहीं मिली तवज्जो
इसी तरह जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस सरकार में शामिल नहीं हुई। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस को सिर्फ एक मंत्री पद मिल रहा था। जबकि वह एक से ज्यादा मंत्री पद चाहती थी, जबकि उसके वहां पर मात्र छह विधायक हैं। कांग्रेस उमर अब्दुल्ला सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है। यहां पर नेशनल कांफ्रेंस 90 सीटों में से 51 पर लड़ी थी जबकि गठबंधन में कांग्रेस 32 पर लड़ी थी। कांग्रेस को छह तो नेशनल कांफ्रेंस को 42 सीटों पर जीत मिली थी। प्रदेश में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के बीच पांच सीटों पर फ्रेंडली फाइट भी हुई थी।
हरियाणा में आप को किया दरकिनार
हरियाणा में अभी हाल में हुए विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच कई राउंड की बातचीत के बाद गठबंधन होते-होते रह गया था। दरअसल कांग्रेस आम आदमी पार्टी को बहुत कम सीटें दे रही थी जबकि आप 9-10 सीटें ही मांग रही थी। हालात यहां पर ऐसे हुए कि कांग्रेस सरकार नहीं बना पाई। कुछ सीटों पर आप ने कांग्रेस का खेल खराब कर दिया। हरियाणा कांग्रेस के नेता आप से गठबंधन को तैयार नहीं थे।