Explainer: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एनडीए को टक्कर देने के लिए सभी विपक्षी दलों ने एक साथ आने की प्लानिंग की थी, जो अब बिखरती हुई नजर आ रही है। दरअसल, साल 2023 में देश के 26 प्रमुख विपक्षी दलों ने एक साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी की। इन 26 प्रमुख दलों को मिलाकर I.N.D.I.A. गठबंधन (Indian National Developmental Inclusive Alliance) बना। इस गठबंधन की कमान फिलहाल अभी कांग्रेस के पास है, जिसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद भी इंडिया गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं मिल सका, जिसके बाद से अब इसमें शामिल दल खुद को इससे अलग करते दिख रहे हैं।
सपा ने महा विकास अघाडी से अलग होने का किया ऐलान
सबसे पहले हाल में ही महाराष्ट्र में एमवीए से अलग होने का ऐलान करने वाली घटना का जिक्र करते हैं। यहां विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी से समाजवादी पार्टी ने खुद को अलग करने का ऐलान कर दिया है। महाराष्ट्र के समाजवादी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष ने खुद की पार्टी को एमवीए से अलग करने का ऐलान करके नई राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। उनके इस ऐलान के बाद अब राजनीति के गलियारे में इंडिया गठबंधन को फूटता हुआ कहा जाने लगा है। इससे पहले भी मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीत टकराव की स्थिति बनी थी, जब समाजवादी पार्टी को कांग्रेस ने अधिक सीटें देने से इनकार कर दिया था। हालांकि इसके बावजूद समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।
लोकसभा में अवधेश प्रसाद को पीछे भेजने से सपा नाराज
वहीं दूसरी ओर लोकसभा में सीटिंग अरेंजमेंट को लेकर भी इंडिया ब्लॉक के अंदर खींचतान सबकुछ ठीक नहीं माना जा रहा है। यहां 18वीं लोकसभा की नई सिटिंग व्यवस्था के तहत अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद को दूसरी पंक्ति में सीट दी गई है, जिससे समाजवादी पार्टी नाराज चल रही है। दरअसल, इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस प्रमुख विपक्षी दल है और उसे अपने सहयोगी दलों को सीटें आवंटित करनी होती हैं। कांग्रेस ने पहली पंक्ति में सपा सांसदों के बैठने की संख्या दो को घटा दिया है। कांग्रेस ने अगली पंक्ति में अब एक सीट कर दी है, यानी अखिलेश यादव ही अगली पंक्ति में बैठेंगे। इससे पहले अयोध्या लोकसभा सीट जीतने के बाद से अवधेश प्रसाद लगातार अखिलेश यादव के साथ ही बैठते थे। वहीं अब अवधेश प्रसाद को पीछे की सीट पर भेजे जाने को लेकर भी समाजवादी पार्टी नाराज चल रही है।
ममता ने जताई इंडिया गठबंधन को संभालने की इच्छा
इंडिया गंठबधन में समाजवादी पार्टी की नाराजगी के बीच अब तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने भी नया बयान देकर विपक्ष को सकते में डाल दिया है। दरअसल, ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने की इच्छा जताई है। ममता बनर्जी ने महाराष्ट्र चुनाव में महा विकास अघाडी को मिली हार के बाद कहा है कि जरूरत पड़ने पर वह बंगाल से ही गठबंधन की जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हैं। माना जा रहा है कि ममता अब आर-पार की तैयारी में हैं। या तो उन्हें इंडिया गठबंधन का नेतृत्व संभालने की जिम्मेदारी चाहिए या फिर वह खुद को इंडिया गठबंधन से अलग कर सकती हैं। एक इंटरव्यू के दौरान ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने ही इंडिया ब्लॉक को बनाया है। अब इसे संभालने की जिम्मेदारी नेतृत्व करने वालों पर हैं। मगर वे इसे नहीं चला सकते तो वह क्या कर सकती हैं? इससे पहले टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने भी ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का स्वाभाविक नेता बताया था।
आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस से किया किनारा
इसके अलावा अगले साल दिल्ली में भी विधानसभा चुनाव होना है। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले ही आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस पार्टी से किनारा कर लिया है। बता दें कि लोकसभा चुनाव से ही आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा थी, लेकिन अब आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में अब दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भी पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी ने अलग- अलग चुनाव लड़ा। इससे कहीं ना कहीं अब आम आदमी पार्टी भी खुद को इंडिया गठबंधन से अलग करती हुई दिख रही है।
महाराष्ट्र चुनाव ने किया आग में घी का काम
दरअसल, लोकसभा चुनाव के बाद से इंडिया गठबंधन पर लगातार सवाल उठ रहे थे। इस चुनाव में विपक्ष की 26 प्रमुख पार्टियां एक साथ थी, इसके बावजूद सरकार में नहीं आ सकीं। वहीं लोकसभा चुनाव की बची-खुची कसर महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव ने पूरी कर दी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी को करारी हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद अब इंडिया गठबंधन के घटक दल खुद को इससे अलग करते दिख रहे हैं। हाल ही में यूपी विधानसभा की 9 सीटों पर हुए उपचुनाव में भी समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को किनारे कर दिया और सभी सीटों पर खुद के प्रत्याशी उतारे। हालांकि आगे इंडिया गठबंधन में जारी बिखराव रुक सकेगा या नहीं इसपर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
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