Explainer: जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही आखिर पीओके यानि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर क्यों भारत में विलय को पागल है, ऐसी कौन से वजह है जिसके चलते पीओके के लोगों के हाथों में तिरंगा है और पाकिस्तान सरकार व सेना के खिलाफ गुस्से की आग... पीओके के लोगों ने पाकिस्तानी सेना और सरकार के खिलाफ पिछले 5 दिनों से मोर्चा खोल रखा है। यहां महंगाई, बेरोजगारी और बदहाली चरम पर है। ऐसे में लोगों की जिंदगी नर्क बन चुकी है। लिहाजा पीओके के लोग पाकिस्तानी सेना और उसकी सरकार से नफरत करने लगे हैं। पीओके को लोग अब अपने क्षेत्र को भारत में विलय करने की मांग उठा रहे हैं। वह भारत से अपील कर रहे हैं कि पीओके को अपने क्षेत्र में मिला ले।
दरअसल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आटे और बिजली के लिए लोगों को जंग लड़नी पड़ रही है। यहां बिजली और आटे की कीमतों आसमान में हैं। ऐसे में लोगों को न खाने को रोटी मिल पा रही है और न जीने को उम्मीद की रोशनी...लिहाजा अब उन्हें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है। इसकी खास वजह भी है। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में विकास की गंगा बहा दी है। यहां सड़कें, हाईवे, स्कूल, कॉलेज हॉस्पिटल और इंफ्रास्ट्रक्चर का जबरदस्त विकास हो रहा है। कश्मीर के लोगों को मूलभूत बुनियादी सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। लिहाजा अब कश्मीरियों का दिल भी पीएम मोदी के लिए धड़कने लगा है। ऐसे में पीओके भला कहां पीछे रहने वाला है। कश्मीर की दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की देख वह खुद को पिछड़ता हुआ महसूस कर रहा है। लिहाजा उन्हें भारत के साथ रहने में अपना विकास दिख रहा है।
23 अरब रुपये का झुनझुना भी नहीं आया काम
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी कि POK में बगावत की आग ने और तेजी पकड़ ली है। यहां गेहूं के आटे, बिजली की ऊंची कीमतों और ज्यादा टैक्स के खिलाफ शुरू की गई पूर्ण हड़ताल सोमवार को चौथे दिन भी जारी रही। इसके चलते पाकिस्तान की सरकार को क्षेत्र में बढ़ती अशांति को खत्म करने के लिए तत्काल 23 अरब रुपये आवंटित करने पड़े। मगर पाकिस्तान सरकार का यह झुनझुना भी काम नहीं आया। इस मदद के ऐलान के बाद भी क्षेत्र में हालात तब और खराब हो गए जब पैरामिलिट्री फोर्स पाकिस्तान रेंजर्स के जवानों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियों की बौछार कर दी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस घटना में कई प्रदर्शनकारियों की जान चली गई है। पुलिस और मानवाधिकार आंदोलन के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प में कम से कम एक पुलिस अधिकारी की भी मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए।
गोलाबारी में पीओके में 3 लोगों की मौत
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की राजधानी मुजफ्फराबाद में अर्धसैनिक रेंजर्स के साथ झड़प के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर की गई गोलीबारी में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए। मंगलवार को मीडिया में आई खबर में यह जानकारी दी गई है। पीओके में गेहूं के आटे की ऊंची कीमतों और बिजली के बढ़े हुए दामों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है। ‘डॉन’ अखबार की खबर के अनुसार, विवादित क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात किए गए अर्धसैनिक रेंजर्स पर क्षेत्र से बाहर निकलते समय हमला हो गया। खबर में कहा गया है कि पांच ट्रकों समेत 19 वाहनों के काफिले ने खैबर पख्तूनख्वा की सीमा से लगे गांव ब्रारकोट से बाहर निकलने के बजाय कोहाला से क्षेत्र से बाहर निकलने का विकल्प चुना।
दबाव में आकर पाकिस्तान सरकार ने घटाए दाम
खबर के अनुसार, जैसे ही काफिला "आक्रोशित माहौल" में मुजफ्फराबाद पहुंचा, शोरां दा नक्का गांव के पास उस पर पत्थरों से हमला किया गया, जिसका जवाब उन्होंने आंसू गैस और गोलीबारी से दिया। इसमें आगे कहा गया है कि पश्चिमी बाईपास के रास्ते शहर में प्रवेश करने के बाद, रेंजर्स पर फिर से पथराव हुआ, जिसके चलते उन्हें आंसूगैस और गोलियों का इस्तेमाल करना पड़ा। गोलाबारी इतनी भीषण थी कि पूरा इलाका दहल उठा। खबर के अनुसार, 40 किलोग्राम आटे की सब्सिडी दर 3,100 पाकिस्तानी रुपये से कम करके 2,000 पाकिस्तानी रुपये कर दी गई है। वहीं 100, 200 और 300 यूनिट से अधिक के लिए बिजली के दाम क्रमश: 3 रुपये, 5 रुपये और 6 रुपये प्रति यूनिट कर दिए गए हैं। बावजूद पीओके की आग बुझने का नाम नहीं ले रही। पीओके के लोगों को अब सिर्फ भारत पर भरोसा रह गया है।