भारत के विभिन्न राज्यों में इस वक्त भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। हर साल बारिश के सीजन में बिहार भी चर्चा में आ जाता है। कोसी समेत विभिन्न नदियां उफान पर हैं जिस कारण बिहार के कई जिलों में बाढ़ का संकट बढ़ रहा है। लेकिन क्या आपको पता है कि बिहार में इतनी ज्यादा बाढ़ आती क्यों है? क्या ये सिर्फ बारिश के कारण होता है? बिहार की बाढ़ का कनेक्शन हर बार नेपाल से क्यों जुड़ता है? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब हमारे इस एक्सप्लेनर के माध्यम से।
बिहार में क्या है बाढ़ का हाल?
बिहार आपदा विभाग के मुताबिक, बिहार भारत का सर्वाधिक बाढ़ ग्रस्त राज्य है। यहां कुल आबादी के 76 प्रतिशत लोग बाढ़-आवर्ति क्षेत्र में रहते है। बिहार के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 73% यानी लगभग 68800 वर्ग किमी क्षेत्र बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आता है। बिहार में बाढ़ की समस्या आज से नहीं बल्कि ऐतिहासिक है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1953 में तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू ने कोसी परियोजना का शिलान्यास किया था और कहा था कि अगले 15 साल में बिहार में बाढ़ पर नियंत्रण पा लिया जाएगा। हालांकि, आज भी बिहार में बाढ़ की स्थिति वही है।
क्या है बाढ़ का नेपाल कनेक्शन?
दरअसल, बिहार का मैदानी इलाका नेपाल से सटा हुआ है। कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, बागमती समेत कई नदियां नेपाल की ओर से बहकर बिहार में आती हैं। आपको बता दें कि बिहार का पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया व किशनगंज जिला नेपाल से सटा है। जब भी नेपाल में बारिश होती है तो वहां की नदियों का पानी बिहार में आने लगता है। आपको बता दें कि नेपाल की 7 नदियां कोसी में मिलती है जो कि बिहार में हर साल भारी बाढ़ लाकर तबाही मचाती है। इसलिए कोसी को बिहार का शोक भी कहते हैं।
बड़े बांध का न होना बाढ़ की बड़ी वजह
बिहार सरकार के मंत्रियों समेत कई जानकारों का मानना है कि नेपाल में जब तक कोसी नदी पर हाई डैम नहीं बनता तब तक बिहार में बाढ़ की समस्या जारी रहेगी। भारत और नेपाल के बीच इसे लेकर कई दौर की बातचीत हुई लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया। कोसी नदी पर हाई डैम को लेकर नेपाल के लोग विरोध में हैं। उनका मानना है कि कोसी पर हाई डैम बनने से पर्यावरण पर बुरा असर होगा और साथ ही नेपाल का बहुत बड़ा भू-भाग डूब जाएगा।
फरक्का बराज भी बाढ़ की वजह
बिहार में फरक्का बराज को भी बाढ़ का बड़ा कारण माना जाता है। दरअसल, गंगा व अन्य सहायक नदियां अपने साथ गाद (सिल्ट) बहाकर लाती हैं जिससे नदी का जलप्रवाह बाधित होता है। इस कारण गाद मुहाने पर जमा होता रहता है। पहले गाद पानी के साथ बह जाती थी लेकिन अब तटबंधों और बराज के कारण ये बह नहीं पाती हैं। इस कारण ये नदी को उथला बना देती हैं जिससे नदियों का पानी बाढ़ का कारण बनता है।
पानी की निकासी न होना भी कारण
जानकार बताते हैं कि बिहार में बाढ़ का मुख्य कारण पानी की निकासी न होना है। जानकारी के मुताबिक , कोसी नदी पहले कई अलग-अलग धाराओं में बहती थी लेकिन इसे तटबंधों से बांधने की कोशिश की गई। मिट्टी से बने बांध आसानी से टूट जाते हैं। ऐसे में इनसे निकलने वाला पानी और खतरनाक हो जाता है। पहले पानी आसानी से निकत जाता था लेकिन बांध के कारण ये और प्रलयंकारी हो गया।
जंगलों की कटाई से बाढ़ बढ़ी
रिपोर्ट्स बताती हैं कि नेपाल में पत्थरों के उत्खनन व खेती के लिए जंगलों की अंधाधुंध कटाई हुई है। इसका घाटा ये हुआ है कि बारिश का पानी रूकने की जगह तेजी से नीचे की ओर आ जाता है। इस कारण बिहार में आने वाली नदियां उफान पर आ जाती हैं और बिहार में बड़ी बाढ़ लाती हैं। इसके अलावा नदी किनारे लोगों का रहना और जागरूकता की कमी बाढ़ के नुकसान को और ज्यादा बढ़ाती है।