नई दिल्ली: ऑल इण्डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम, जिसे हम आमतौर पर AIADMK या अन्नाद्रमुक नाम से जानते हैं, ने बीजेपी के साथ अपने 4 साल पुराने गठबंधन को तोड़ दिया। सोमवार को पार्टी ने इस बारे में एलान करते हुए कहा कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक अलग मोर्चे का नेतृत्व करेगी। NDA से बाहर निकलने का फैसला चेन्नई के AIADMK हेडक्वॉर्टर में पार्टी चीफ ई. के. पलानीस्वामी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक में किया गया। अब सवाल यह उठता है कि इस फैसले से किसे फायदा होगा? 2024 के लोकसभा चुनावों पर इसका असर क्या होगा? आइए, जवाब ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं।
AIADMK समर्थकों ने जमकर छोड़े पटाखे
पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता के पी. मुनुसामी ने इस मौके पर कहा कि पार्टी ने NDA से अलग होने और अगले साल होने वाले चुनाव में समान विचारधारा वाले दलों के गठबंधन का नेतृत्व करने का सर्वसम्मति से संकल्प लिया है। AIADMK की इस बैठक में पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ ही जिला सचिवों और विधायकों एवं सांसदों ने हिस्सा लिया। NDA से अलग होने के AIADMK नेतृत्व के फैसले को समर्थकों का भी जबरदस्त समर्थन मिला। इस फैसले पर खुशी जताते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं ने चेन्नई में हेडक्वॉर्टर के बाहर पटाखे चलाए।
अन्नामलाई का आक्रामक रुख बना टूट की वजह
बता दें कि हाल ही में AIADMK के वरिष्ठ नेताओं ने नई दिल्ली में बीजेपी चीफ जे. पी. नड्डा से मुलाकात की थी और उन्हें पार्टी की तमिलनाडु यूनिट के प्रमुख के. अन्नामलाई की राजनीति की आक्रामक शैली से बनी राज्य की जमीनी स्थिति से अवगत कराया था। AIADMK नेताओं ने मांग की थी कि मशहूर द्रविड़ हस्ती दिवंगत सी. एन. अन्नादुरै पर बयान को लेकर या तो अन्नामलाई माफी मांगें या उन्हें पद से हटा दिया जाए। माना जा रहा है कि अन्नामलाई के इसी आक्रामक रुख ने AIADMK को एनडीए छोड़ने पर मजबूर कर दिया। तमिलनाडु में अन्नामलाई की यात्रा को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है और पार्टी को उनमें संभावनाएं नजर आ रही हैं।
अपने बयान को लेकर क्या बोले थे अन्नामलाई?
अन्नामलाई ने हाल ही में अन्नादुरई को लेकर दिए गए अपने बयान पर कहा था उन्हें AIADMK के किसी भी नेता से कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा था कि उन्होंने अन्नादुरई के बारे में बुरा नहीं कहा था और सिर्फ 1956 की एक घटना का जिक्र किया था और इसलिए माफी मांगने का कोई सवाल ही नहीं है। अन्नामलाई ने कहा था कि अन्नादुरई ने 1956 में मदुरै में एक सभा में हिंदू धर्म का अपमान किया था। तमिलनाडु बीजेपी चीफ ने कहा कि इसके बाद अन्नादुरई को मदुरै में छिपना पड़ा था और माफी मांगने के बाद ही वह आगे की यात्रा कर पाए थे।
AIADMK का अलग होना BJP के लिए झटका?
AIADMK के NDA से अलग होने के बाद सियासी हलकों में यह सवाल तैरने लगा है कि क्या यह बीजेपी के लिए झटका है? दरअसल, तमिलनाडु में बीजेपी के लिए खोने को कुछ भी नहीं है। आपसी गुटबाजी के चलते AIADMK एक डूबते जहाज का रूप लेता जा रही है। ऐसे में उसके साथ बने रहने में बीजेपी को शायद ही कुछ खास फायदा होता। AIADMK का खुद एलान करके अलग जाना एक तरह से बीजेपी के पक्ष में ही गया है। अब बीजेपी खुलकर अन्नाद्रमुक पर हमला कर सकती है और डीएमके विरोधी वोटों में अपना स्पेस तलाश सकती है।
2024 के लोकसभा चुनावों पर क्या होगा असर?
2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए तमिलनाडु में इस बदलाव को कई तरह से देखा जा सकता है। इस अलगाव ने जहां एक तरफ कांग्रेस को DMK से सौदेबाजी करने की ताकत मिल गई है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी 2024 के चुनावों में अपनी ताकत का सही-सही अंदाजा लगा सकती है। हालिया घटनाओं को देखते हुए लगता है कि पार्टी को अन्नामलाई के नेतृत्व पर काफी यकीन है, और शायद इसीलिए बीजेपी ने नाराज AIADMK नेताओं को मनाने की भी खास कोशिश नहीं की। 2024 में बीजेपी छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन कर सूबे में असर पैदा करने की कोशिश करेगी।