बीते दिन मानसून के कारण हुई भारी बारिश ने देश के कोने-कोने में तबाही मचा रखी है। इस बारिश ने तो राष्ट्रीय राजधानी का हाल ही खराब कर दिया। दिल्ली में बुधवार शाम भारी बारिश के कारण अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिला। शहर के कई बड़े हिस्से पूरी तरह पानी में जलमग्न दिखे, सड़कें नदियों जैसी नजर आई, जिससे कई सड़कें बंद कर दी गईं। आलम ये हुआ कि शहर में लंबा-लंबा जाम देखने को मिला। राजस्थान के जयपुर में भारी बारिश दर्ज की गई। इसके बाद खबर आई की उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में बादल फट गए हैं।
जयपुर में भारी बारिश
राजस्थान की राजधानी जयपुर में भारी बारिश दर्ज की गई, इससे जल जमाव की भारी दिक्कतें सामने आईं, गाड़ियां सड़कों पर डूबी दिख रही थीं। वहीं, इस आपदा में जयपुर की विश्वकर्मा इलाके की एक बिल्डिंग बेसमेंट में हुई 3 की मौत भी हो गई। बताया गया कि बेसमेंट में पानी भर गया था और डूबने से मौत हो गई।
उत्तराखंड में फटे बादल
जहां, दिल्ली में महज एक घंटे में 100 मिमी से ज्यादा बारिश दर्ज की गई। वहीं, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की घटना सामने आई। उत्तराखंड के टिहरी जिले में चारधाम यात्रा के मुख्यमार्ग में पड़ने वाले जखनियाली और नौताड़ में बादल फट गए, इसमें 2 लोगों के मरने की खबर आई, जबकि एक शख्स घायल हो गया। साथ ही उत्तराखंड के भीम बली में भी बादल फटने की खबर सामने आई। लिहाजा प्रशासन ने पैदल मार्ग पर आवाजाही रोक दी।
हिमाचल प्रदेश में फटा बादल
इधर, हिमाचल प्रदेश में भी बादल फटने की खबर है, इस आपदा से यहां बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं, इसी बीच 3 अलग-अलग शिमला की रामपुर तहसील, मंडी ज़िले की पधर तहसील और कुल्लू के गांव जाओन इलाके से 50 से ज़्यादा लोगों के लापता होने की ख़बर मिल रही है। जानकारी के मुताबिक, शिमला जिले के रामपुर क्षेत्र के समेज खड्ड इलाके में बादल फटने के बाद 19 लोग लापता हैं। वहीं, मंडी के पधर के थलटूखोड़ में बादल फटने की घटना में 9 लोग लापता है, जबकि 1 शव बरामद कर लिया गया है। NDRF, SDRF, पुलिस, होम गार्ड और फायर सर्विसेज की टीमें राहत, खोज और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। अब आइए समझते हैं कब, क्यों और कैसे फटते है बादल?
क्या है बादल फटना?
मौसम विभाग के मुताबिक, अगर किसी भी जगह पर 1 घंटे में 100 मिमी. से ज्यादा बारिश दर्ज की जाए तो इसे बादल फटने की घटना या क्लाउडबर्स्ट या फ्लैश फ्लड कहा जाएगा। आसान भाषा में कहें तो बादल फटने की घटना में बहुत कम समय में बहुत ज्यादा बारिश होना। बादल फटना बारिश का चरम रूप होता है, बादल फटना दरअसल बहुत तेज बारिश के लिए मुहावरा के रूप में इस्तेमाल होता है।
कब और कैसे फटते हैं बादल?
दरअसल, जब काफी ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर इकट्ठा हो जाते हैं तो वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं। जिसके वजन से बादल का घनत्व (Density) बढ़ जाता है और फिर अचानक से काफी तेज बारिश होने जाती है। ज्यादातर बादल फटने की घटनाएं पहाड़ों पर घटती हैं, आइए जानते हैं ऐसा क्यों?
आखिर पहाड़ों पर ही क्यों घटती है ज्यादा घटनाएं?
पानी से लबरेज बादल जब हवा के साथ उड़ रहे होते हैं तो पहाड़ी क्षेत्रों में वे पहाड़ों के बीच फंस जाते हैं, इन पहाड़ों की लंबाई बादल को आगे बढ़ने नहीं देती। अब पहाड़ों के बीच फंसे हुए बादल पानी के रूप में बरसने लगते हैं, चूंकि बादलों में पानी का घनत्व अधिक होता है तो ये बारिश काफी तेज होती है। बादल फटने की घटना सामान्यता धरती से करीबन 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर देखने को मिलती है।
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