Wednesday, November 20, 2024
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Explainer: भारत और SAARC के साथ अब बांग्लादेश का रहेगा कैसा रिश्ता, मुहम्मद यूनुस का जानें क्या है रुख?

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के गठन से पहले इसके प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने भारत के साथ संबंधों और सार्क संगठन को लेकर बड़ा बयान दिया है। इससे यह तय होने वाला है कि बांग्लादेश की विदेश नीति अब किस तरह से बदल जाएगी।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: August 08, 2024 16:52 IST
मुहम्मद यूनुस, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख।- India TV Hindi
Image Source : AP मुहम्मद यूनुस, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख।

नई दिल्लीः बांग्लादेश में आज अंतरिम सरकार का शपथ ग्रहण हो जाएगा। इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता के हाथ में इसकी कमान रहेगी। मगर क्या भारत और बांग्लादेश के रिश्ते पहले की तरह स्थिर रह पाएंगे, क्या भारत और बांग्लादेश अब भी अच्छे मित्र साबित हो सकेंगे, बांग्लादेश का रुख अब सार्क को लेकर क्या रहेगा? अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस का भारत के साथ रिश्तों को लेकर क्या कहना है, वह सार्क के साथ अब किस तरह का संबंध रखना चाहते हैं?....अब बांग्लादेश की विदेश नीति किस तरह बदलने वाली है, आइये आपको सबकुछ बताते हैं।

बता दें कि मुहम्मद यूनुस सार्क के पुनरुद्धार के पक्षधर हैं। साल 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले यूनुस ने सार्क क्षेत्रीय ब्लॉक के पुनरुद्धार की बात कही है। यह संगठन 2014 में काठमांडू में अपने आखिरी द्विवार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद से निलंबित है। भारत को लेकर भी उन्होंने अपने आगामी रुख का काफी हद तक संकेत दे दिया है। भारत के साथ ही सार्क पर उनकी हालिया टिप्पणियां बांग्लादेश की विदेश नीति में संभावित बदलाव का संकेत देती हैं। कई हफ्तों के घातक विरोध प्रदर्शनों के बाद मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का गठन हो चुका है। अपदस्थ नेता शेख हसीना की जगह अब मुहम्मद यूनुस लेने वाले हैं।

शपथ से पहलेर यूनुस ने दिया बड़ा बयान

84 वर्षीय यूनुस को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने नई अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना है। इसके बाद वह पेरिस से ढाका के लिए रवाना हो गए थे। बांग्लादेश में हिंसा का दौर अभी भी जारी है। मगर इस बीच मुहम्मद यूनुस ने कहा है कि आइए हम अपनी नई जीत का सर्वोत्तम उपयोग करें। मैं सभी से शांत रहने की हार्दिक अपील करता हूं। यूनुस ने पेरिस से प्रस्थान करने से पहले रॉयटर्स को दिए एक बयान में कहा, कृपया सभी प्रकार की हिंसा से बचें,''। यूनुस, हसीना के कटु आलोचक हैं और उन्हें 'बैंकर' के रूप में जाना जाता है। उन्होंने गरीबों को बिना गारंटी छोटे लोन देने के लिए', ग्रामीण बैंक की स्थापना की। इसके लिए उन्हें 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला। 

अब भारत-बांग्लादेश का संबंध कैसे रहने वाला है?

पूर्व पीएम शेख हसीना के रहते भारत और बांग्लादेश के रिश्ते बहुत दोस्ताना रहे हैं। मगर उनके अपदस्थ होते ही दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई है। अब मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत ये रिश्ते कैसे आगे बढ़ेंगे इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी, क्योंकि शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद अब खालिद जिया के नेतृत्व वाली  बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) का संभावित उदय होगा, जिनके अतीत में भारत के साथ संबंध बेहद तनावपूर्ण रहे हैं। हालांकि नोबेल पुरस्कार विजेता ने भारत और हसीना के बीच रहे घनिष्ठ संबंधों की आलोचना की। यूनुस ने कहा कि इससे "बांग्लादेशी लोगों की दुश्मनी अर्जित हुई" लेकिन इन दरारों को दूर करने के कई अवसर होंगे।

बांग्लादेशी क्यों हुए भारत से नाराज

यूनुस ने कहा कि भारत जैसे कुछ देशों ने अपदस्थ प्रधानमंत्री का समर्थन किया और परिणामस्वरूप बांग्लादेशी लोगों से दुश्मनी मोल ले ली। मगर अब इस प्रकार की दरारों को ठीक करने और करीबी दोस्ती को फिर से जल्द शुरू करने व द्विपक्षीय गठबंधन को मजबूत करने के कई अवसर होंगे। भारतीय मीडिया के साथ एक साक्षात्कार में यूनुस ने कहा कि बांग्लादेशी इस बात से भारत से सबसे ज्यादा नाराज हुए कि उन्होंने ढाका से भागने के बाद हसीना को अपने यहां उतरने की अनुमति दी। यूनुस ने कहा, ''भारत हमारा सबसे अच्छा दोस्त है...मगर अभी लोग भारत से नाराज हैं, क्योंकि आप उस व्यक्ति का समर्थन कर रहे हैं, जिसने हमारी जिंदगियां तबाह कर दीं।'' उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध अविश्वास के बजाय ''सबसे अच्छे दोस्त'' जैसे होने चाहिए। मगर यूनुस ने ये भी कहा कि बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में भारत की प्रतिक्रिया ने उन्हें आहत किया।

भारत से जताई ये उम्मीद 

यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश के "आंतरिक मामले" में अशांति पर भारत की प्रतिक्रिया से यह संकट पड़ोसी देशों में फैल सकता है। इसलिए भारत को हर पारदर्शी चुनाव के लिए बांग्लादेश की सराहना करनी चाहिए और लोकतांत्रिक मानदंडों से भटकने के लिए इसकी निंदा करनी चाहिए। यूनुस ने राजनयिक चैनलों के माध्यम से इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ढाका को प्रोत्साहित नहीं करने के लिए भारत को दोषी ठहराया।

सार्क पर क्या बोले यूनुस?

मुहम्मद यूनुस ने शपथ लेने से पहले दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) को पुनर्जीवित करने का आह्वान करके एक बहुत ही दिलचस्प मुद्दा उठाया है। द इकोनॉमिस्ट टाइम्स में छपे अपने एक लेख में यूनुस ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि बांग्लादेश की "मुक्ति" निलंबित सार्क को पुनर्जीवित कर सकती है और "इसे हमारे क्षेत्र और उससे परे एकीकरण के लिए एक शक्तिशाली शक्ति बना सकती है।" गौरतलब है कि सार्क एक क्षेत्रीय अंतरसरकारी गुट है जिसमें भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं।

यह गुट पूर्व बांग्लादेशी सैन्य शासक और राष्ट्रपति जियाउर रहमान के दिमाग की उपज था और औपचारिक रूप से 1985 में ढाका में पहली बैठक के साथ स्थापित किया गया था। अब तक 18 सार्क शिखर सम्मेलन हो चुके हैं, लेकिन गुट सफल नहीं हो सका है। जम्मू-कश्मीर के उरी में भारतीय सेना शिविर पर आतंकवादी हमले के बाद 2016 में इस्लामाबाद में होने वाला 19वां सार्क शिखर सम्मेलन रद्द कर दिया गया था और अन्य सरकारों ने भी इसमें भाग लेने से इनकार कर दिया था। 2014 में काठमांडू में पिछले द्विवार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद से गठबंधन निलंबित है। भारत ने इसके बजाय अपना ध्यान बिम्सटेक जैसे अन्य क्षेत्रीय ब्लॉकों की ओर स्थानांतरित कर दिया है, जिसमें पाकिस्तान शामिल नहीं है।

 

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