पहचान बदलने और आरक्षण के लिए दस्तावेजों में गड़बड़ी करने के मामले में पूजा खेडकर पर काफी लंबे समय तक विवाद चला। वहीं विवाद के बाद पूजा खेडकर की आईएएस सेवाओं को यूपीएससी ने खत्म कर दिया। 6 सितंबर, 2024 उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से मुक्त किया गया। दरअसल, पूजा खेडकर ने 2023 में आईएएस की परीक्षा पास की थी, जबकि इससे पहले ही वह नौ बार इस परीक्षा में फेल हो चुकी थीं। ऐसे में उन्हें 2023 में परीक्षा में बैठने का अधिकार नहीं था और उन्होंने फर्जी तरीके से यह परीक्षा दी। इसी आधार पर उनकी नियुक्ति रद्द की गई। आइये यूपीएससी के उन नियमों के बारे में विस्तार से जानें, जिनके तहत पूजा खेडकर को प्रशासनिक सेवाओं से मुक्त कर दिया गया।
पूजा खेडकर पर क्या आरोप हैं
दरअसल, UPSC ने ‘द इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (प्रोबेशन) रूल्स 1954 के रूल नंबर 12 के तहत पूजा खेडकर को भारतीय प्रशासनिक सेवा से मुक्त कर दिया। पूजा खेडकर पर यूपीएससी द्वारा तय अटेम्प्ट से ज्यादा बार परीक्षा देने के लिए गलत पहचान बताने के आरोप हैं। उन्होंने अपने नाम से लेकर माता-पिता के नाम में हेरफेर की। इसके अलावा पूजा खेडकर ने फोटो, सिग्नेचर, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर तक बदल डाला। पूजा खेडकर 2020-21 में ओबीसी कोटे के तहत ‘पूजा दिलीपराव खेड़कर’ के नाम से परीक्षा में शामिल हुईं, जब उनका अटेम्प्ट पूरा हो गया तो वह ओबीसी और दिव्यांग कोटे के तहत फिर परीक्षा में शामिल हुईं। बाद में पूजा ने अपना नाम ‘पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर’ बताया था। पूजा ने दृष्टि बाधित और मानसिक बीमारी से ग्रस्त होने का प्रमाण पत्र UPSC को सौंपा, जिसके बाद वह आईएएस बन गई थीं।
किस नियम के तहत की गई कार्रवाई
हालांकि विवादों से जुड़े रहने की वजह से पूजा खेडकर की उम्मीदवारी पहले ही रद्द कर दी गई थी। उनपर भविष्य में भी सभी परीक्षाओं में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। बाद में उनकी प्रशासनिक सेवाओं को भी रद्द कर दिया गया। पूजा खेडकर की प्रशासनिक सेवाओं को जिन नियमों के तहत रद्द किया गया, उसमें ‘द इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (प्रोबेशन) रूल्स 1954 के रूल नंबर 12 का उपयोग किया गया। डीओपीटी की वेबसाइट पर मौजूद ‘द इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (प्रोबेशन) रूल्स 1954 के रूल नंबर 12 में ऐसे प्रावधान हैं, जिसके तहत किसी भी प्रोबेशनर को प्रशासनिक सेवा से हटाया जा सकता है। ‘द इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (प्रोबेशन) रूल्स 1954 के रूल नंबर 12 की बात करें तो इसमें पांच उपखंड हैं, जिसमें से किसी भी नियम का पालन नहीं करने पर उम्मीदवार को प्रशासनिक सेवा से हटाया जा सकता है। आइये जानते हैं ये पांच उखंड कौन-कौन से हैं-
क्या हैं शर्तें-
- अगर अभ्यर्थी रूल 9 के तहत री-एग्जामिनेशन में उत्तीर्ण नहीं हो पाता है
- यदि केंद्र सरकार संतुष्ट है कि प्रोबेशनर कैंडिडेट रिक्रूटमेंट के योग्य नहीं था या सेवा का सदस्य बनने के लिए अनुपयुक्त है
- केंद्र सरकार की राय के मुताबिक प्रोबेशनर अभ्यर्थी ने अपनी प्रोबेशन ड्यूटी या स्टडी की उपेक्षा की
- प्रोबेशनर कैंडिडेट के अंदर सर्विस के लिए जरूरी गुण नहीं हैं या कमी पाई गई है
- इसमें सेवा से हटाने के लिए किसी शर्त का जिक्र नहीं है, बल्कि इसमें कहा गया है कि री-एग्जामिनेशन वाले पार्ट यानी उपखंड 1 को छोड़कर अगर किसी और कारण से किसी कैंडिडेट को हटाया जाता है तो उससे पहले केंद्र सरकार को एक समरी इंक्वारी करानी होगी। इंक्वायरी में दोषी पाए जाने के बाद ही कोई फैसला लिया जा सकता है।
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