Tuesday, November 05, 2024
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Explainer: क्या है हिन्दू मैरिज एक्ट और कब हुआ था लागू, स्पेशल मैरिज एक्ट से कैसे है ये अलग

देश में इन दिनों असुदुद्दीन ओवैसी के बयान ने तूल पकड़ रखा है। जिस कारण हिन्दू मैरिज एक्ट लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। आइए जानते हैं कि हिन्दू मैरिज एक्ट क्या है और स्पेशल मैरिज एक्ट से कैसे है ये अलग है?

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Updated on: May 02, 2024 12:21 IST
Hindu marriage ACT- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV क्या है हिन्दू मैरिज एक्ट?

इन दिनों AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी का बयान देश भर में चर्चा को विषय बना हुआ है। अपने हाल के बयान में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री को यह समझने की जरूरत है कि आर्टिकल-29 एक मौलिक अधिकार है, मुझे लगता है प्रधानमंत्री को यह समझ नहीं आया। संविधान में धर्मनिरपेक्षता की बात कही गई है। इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट है वहीं, हिंदुओं में जन्म-जन्म का साथ है। क्या आप सबको मिला देंगे? भारत की विविधता को वे एक समस्या समझते हैं।' इसके बाद से ही हिन्दू मैरिज एक्ट को लेकर लोग तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं। इसलिए हम आपको हिन्दू मैरिज एक्ट को लेकर विस्तारपूर्वक जानकारी देने जा रहे हैं।

क्या होता है हिन्दू मैरिज एक्ट

हिन्दू मैरिज एक्ट वर्ष 1955 में लागू हुआ था। इस एक्ट के तहत दो हिन्दू जाति के युवक-युवती शादी कर सकते है, बस उन दोनों के आपस में खून का रिश्ते नहीं होने चाहिए। साथ ही ये एक्ट कहता है कि अगर कोई युवक या युवती दूसरी शादी करना चाहते है तो बिना तलाक के दूसरा विवाह मान्य नहीं होगा या फिर किसी भी पक्ष की जीवनसाथी जीवित न हो। ये एक्ट हिन्दुओं के अलावा बौद्ध और जैन धर्म पर भी लागू होता है। इस एक्ट में आयु दुल्हे की आयु 21 वर्ष व दुल्हन की आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। बता दें कि ये एक्ट किसी भी रूप में धर्म के आधार पर हिंदुओं और बौद्ध, जैन या सिख पर लागू होती है और ये देश में रहने वाले ऐसे सभी व्यक्तियों पर भी लागू होती है जो मुस्लिम, ईसाई, पारसी या यहूदी नहीं हैं। 

हिन्दू मैरिज एक्ट के लिए जरूरी शर्तें

सेक्शन 5. किन्हीं दो हिंदुओं के बीच विवाह संपन्न हो सकता है, यदि ये शर्तें पूरी होती हैं

1. विवाह के समय किसी भी पक्ष का जीवनसाथी जीवित नहीं है।

2. विवाह के समय कोई भी पक्ष-
a. मानसिक अस्वस्थता के परिणामस्वरूप इसके लिए वैध सहमति देने में असमर्थ है; 
b. हालांकि वैध सहमति देने में सक्षम है, इस तरह के या इस हद तक मानसिक विकार से पीड़ित है कि वह शादी और बच्चे पैदा करने के लिए अयोग्य है।
3. विवाह के समय दूल्हे ने 21 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो।
4. पक्ष तब तक निषिद्ध संबंध की डिग्री के भीतर नहीं हैं जब तक कि उनमें से प्रत्येक को नियंत्रित करने वाली प्रथा या प्रथा दोनों के बीच विवाह की अनुमति नहीं देती।
5. पक्ष एक-दूसरे के सपिण्ड नहीं हैं, जब तक कि उनमें से प्रत्येक को नियंत्रित करने वाली प्रथा या प्रथा दोनों के बीच विवाह की अनुमति नहीं देती है।

क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट

विशेष विवाह अधिनियम या कहें स्पेशल मैरिज एक्ट साल 1954 में लागू हुआ था। स्पेशल मैरिज एक्ट एक ऐसा कानून है जिसके तहत भारत का संविधान दो अलग-अलग जाति या धर्मों के लोगों को विवाह करने की अनुमति देता है। ये सभी भारती नागरिकों के लिए मान्य है और उनके लिए भी है जो भारतीय तो, पर भारत के बाहर रह रहे हैं। इस एक्ट के तहत किसी भी धर्म के लोग विवाह के बंधन में बंध सकते हैं, बस शर्त ये है कि वो भारतीय होने चाहिए। इस एक्ट की नींव 19वीं सदी में रखी गई थी, जब सिविल मैरिज एक्ट को लेकर पहल हुई थी। इसके बाद, साल 1954 में ये एक्ट रिवाइज किया गया। नए एक्ट में 3 महत्वपूर्ण नियम बनाए गए थे- 
1. एक खास तरह की शादियों के लिए रजिस्ट्रेशन सुविधा।
2.अलग-अलग धर्मों के लोगों की शादी के लिए सुविधा।
3. शादी के बाद तलाक की सुविधा।

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