SCO Summit: शंघाई सहयोग संगठन यानी SCO की बैठक में शामिल होने के लिए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर 9 साल में पहली बार पाकिस्तान जा रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्री का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है। उन्होंने हाल ही में कहा था कि किसी भी पड़ोसी देश की तरह भारत पाकिस्तान के साथ बेहतर संबंध चाहेगा। लेकिन, यह सीमापार आतंकवाद को नजरअंदाज करके नहीं हो सकता। तो चलिए जान लेते हैं कि आखिर SCO समिट क्या है और इसमें भारत की कितनी बड़ी भूमिका है।
साल 2001 में हुआ था गठन
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक की स्थापना 2001 में शंघाई, चीन में की गई थी। SCO के सदस्य देशों में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं। बाद में इस संगठन का विस्तार किया गया। भारत साल 2005 से इस संगठन का सदस्य था पर 2017 में इसका स्थायी सदस्य बन गया। इसी साल पाकिस्तान ने भी इसकी सदस्यता ले ली। साल 2017 में ईरान भी एससीओ का सदस्य बन गया। वर्तमान में एससीओ के सदस्य देशों में पूरी दुनिया की करीब 40 फीसदी आबादी निवास करती है। पूरी दुनिया की जीडीपी में इन देशों की 20 फीसद हिस्सेदारी है। यही नहीं, दुनिया भर में मौजूद तेल रिजर्व का 20 फीसद हिस्सा भी इन्हीं देशों में है।
SCO समिट का उद्देश्य
SCO समिट सदस्य देशों के बीच वार्ता और सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करता है। इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना, साथ ही आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ संयुक्त रूप से लड़ाई करना। आर्थिक सहयोग, व्यापार, निवेश और परिवहन के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना शंघाई सहयोग संगठन का प्रमुख मकसद है।
भारत की भूमिका
भारत 2017 में SCO का पूर्ण सदस्य बना था और तब से भारत ने संगठन में सक्रिय भूमिका निभाई है। भारत की भूमिका को ऐसे भी समझा जा सकता है।
सुरक्षा सहयोग
भारत SCO के माध्यम से क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय रूप से भाग लेता है और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए अपने अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करता है।
आर्थिक विकास
भारत SCO के सदस्य देशों के साथ आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए पहल करता रहा है। इसमें व्यापार, निवेश और बुनियादी ढांचे के विकास के क्षेत्रों में सहयोग शामिल है। भारत अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) और चाबहार बंदरगाह जैसी परियोजनाओं के माध्यम से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।
ऊर्जा सहयोग
भारत ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए SCO सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करता है। इसमें तेल और गैस के क्षेत्र में सहयोग, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विकास, और ऊर्जा संरक्षण के उपाय शामिल हैं।
सांस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग
भारत SCO के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान और शैक्षिक सहयोग को प्रोत्साहित करता है। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) के माध्यम से भारत सदस्य देशों के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करता है और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है।
भारत के लिए अहम मंच
इस बीच यहां यह भी बता दें कि, भारत पिछले कुछ सालों में इस मंच पर अहम भूमिका निभाता रहा है। मादक पदार्थों की तस्करी, आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मसलों पर भारत ने बार-बार अपना रुख स्पष्ट किया है। पड़ोसी देश से घुसपैठ और आतंकवाद के मुद्दे को भी भारत इस मंच पर उठा चुका है। इतना ही नहीं भारत क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के साथ ही विकासशील देशों में आपसी सहयोग पर भी जोर देता रहा है। पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के बावजूद भारत इस संगठन को अहमियत देता है और इसीलिए विदेश एस जयशंकर इसमें शामिल हो रहे हैं। इस बार SCO की बैठक में कट्टरपंथ, आतंकवाद, आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय व्यापार पर चर्चा होगी।
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