Explainers: अगर आपको पता चले कि आपके देश का नाम बदल सकता है तो आपको यह सुनकर ही कुछ अजीब-सा लगेगा। आपके मन में कई तरह के सवाल उठेंगे। बता दें कि दिल्ली में होने जा रहे जी-20 सम्मेलन में आने वाले मेहमानों को डिनर के लिए आमंत्रित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रिपब्लिक ऑफ इंडिया की जगह 'रिपब्लिक ऑफ भारत' शब्द का इस्तेमाल किया है जिसने एक नयी बहस को हवा दे दी है। वहीं, केंद्र सरकार ने जी 20 सम्मलेन के फ़ौरन बाद ही 18-22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। इसने इस बहस को चरम पर पहुंचा दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस विशेष सत्र में केंद्र सरकार देश का नाम इंडिया के बजाए भारत रखने का प्रस्ताव ला सकती है, जिसका संकेत राष्ट्रपति के आमंत्रण पत्र को समझा जा रहा है। माना जा रहा है कि यदि ये प्रस्ताव संसद में पास हो गया और देश का नाम बदल कर इंडिया से भारत हो गया तो इससे सबसे बड़ा झटका विपक्ष के I.N.D.I.A. गठबंधन को लग सकता है।
वैसे तो देशवासी भारत और इंडिया दोनों नाम प्रयोग करते हैं लेकिन भारत का संविधान वर्तमान में देश को "इंडिया, यानी भारत..." के रूप में संदर्भित करता है, लेकिन इसे केवल "भारत" करने के लिए संशोधन करने की मांग बढ़ रही है। संविधान में संशोधन कर इंडिया का नाम भारत करने की मांग तेज हो गई है और सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार इंडिया का नाम बदलने का प्रस्ताव ला सकती है। इसे लेकर विपक्षी पार्टियां सत्तापक्ष पर हमलावर हैं और इसे लेकर बयानबाजी का बाजार भी गर्म है।
आसान नहीं होता किसी देश का नाम बदलना
किसी देश का नाम बदलना, कहने और सुनने में एक बहुत छोटी-सी बात लगती है लेकिन ये आसान काम नहीं है। इस पूरी प्रक्रिया में कई तरह की कानूनी अड़चनें तो आती ही हैं, साथ ही इसमें बड़ी मात्रा में पैसा भी खर्च होता है। इसके साथ ही पुराना नाम लोगों की जेहन में रहता है इसीलिए नए नाम से बोलने और उसे पूरी प्रक्रिया से गुजरने में शुरुआती दौर में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि इंडिया का नाम बदलकर भारत किया जा सकता है। इससे पहले भी कई देशों के नाम बदले गए हैं।
क्या कहता है कानून
संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है कि "इंडिया, जो कि भारत के राज्यों का एक संघ है।" यहां इस बात पर ज़ोर देना ज़रूरी है कि संविधान का अनुच्छेद एक 'इंडिया' और 'भारत' दोनों को देश के आधिकारिक नामों के रूप में मान्यता देता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या केंद्र सरकार 'इंडिया' को हटाकर 'भारत' को एकमात्र आधिकारिक नाम बनाने के लिए संविधान में संशोधन करने की योजना बना रही है?
आपको बता दें कि इससे पहले भी मार्च 2016 में, सुप्रीम कोर्ट ने नाम बदलने वाली एक याचिका पर कड़ी आपत्ति जताते हुए 'इंडिया' से 'भारत' नाम बदलने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति यूयू ललित सहित एक पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा था कि ऐसी याचिकाओं पर विचार नहीं किया जाएगा। न्यायमूर्ति ठाकुर ने उस समय कहा था कि अगर कोई देश को “भारत या इंडिया? जिस नाम से पुकारना चाहता है तो उसे ऐसा कहने दें।'' ।
इसके चार साल बाद, 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर इंडिया से भारत नाम बदलने की मांग वाली इसी तरह की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। उस समय न्यायालय ने सुझाव दिया था कि याचिका को एक अभ्यावेदन में परिवर्तित किया जा सकता है और उचित निर्णय के लिए केंद्र सरकार को भेजा जा सकता है। तब भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा था “भारत और इंडिया दोनों नाम संविधान में दिए गए हैं। भारत को संविधान में पहले से ही 'भारत' कहा जाता है।''
नाम बदलने में क्या आ सकती हैं अड़चनें
केंद्र सरकार इंडिया की जगह केवल 'भारत' को आधिकारिक नाम बनाने का निर्णय लेती है, तो उन्हें संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पेश करना होगा। इसके लिए कानून संविधान के अनुच्छेद 368 को साधारण बहुमत संशोधन या विशेष बहुमत संशोधन के माध्यम से संशोधित करने की अनुमति देता है। संविधान के कुछ अनुच्छेद, जैसे किसी नए राज्य का प्रवेश या राज्यसभा में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए सीटों का आवंटन, उपस्थित सदस्यों की कुल संख्या के साधारण बहुमत (यानी, 50 प्रतिशत से अधिक) द्वारा बदला जा सकता है। संविधान में अन्य बदलावों के लिए, जिसमें अनुच्छेद 1 में कोई भी बदलाव शामिल है, उस सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले कम से कम दो-तिहाई सदस्यों के विशेष बहुमत (66 प्रतिशत) की आवश्यकता होगी।
आरएसएस प्रमुख ने किया समर्थन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत सहित सत्ता पक्ष के प्रमुख हस्तियों ने इस बदलाव के लिए अपना समर्थन जताया है। भागवत ने पहले लोगों से "इंडिया" के बजाय "भारत" शब्द का उपयोग करने का आग्रह किया था और अब इस बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा है कि ये कोई नई बात नहीं है, देश को सदियों से भारत के रूप में जाना जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 15 अगस्त, 2022 को लाल किले की प्राचीर से देश के नागरिकों से पांच प्रतिज्ञाएं लेने की अपील की, जिनमें से एक गुलामी के हर निशान से मुक्ति थी। इसे देश की स्वदेशी पहचान को अपनाने की दिशा में एक प्रतीकात्मक संकेत के रूप में देखा गया। विशेष रूप से, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधान मंत्री को लाने-ले जाने के लिए जिस विशेष विमान का उपयोग किया जाता है उस पर "भारत" नाम अंकित होता है।
संसद के विशेष सत्र में संशोधन विधेयक हो सकता है पेश
हाल ही में संपन्न संसद के मानसून सत्र के दौरान, भाजपा के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने संविधान से 'इंडिया' को हटाने की मांग करते हुए तर्क दिया था कि यह औपनिवेशिक गुलामी का प्रतीक है। उनकी भावना को साथी भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने भी दोहराया, जिन्होंने "इंडिया" को "भारत" से बदलने के लिए संवैधानिक संशोधन करने का आह्वान किया। चूंकि संसद का विशेष सत्र 18 सितंबर को शुरू हो रहा है, ऐसी अटकलें हैं कि इस बदलाव को प्रभावी बनाने के लिए एक संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया जा सकता है। हालांकि सत्र का एजेंडा अभी तक जारी नहीं किया गया है, लेकिन ऐसे विधेयक की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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