Explainer: अमेरिका का एच-1 बी वीजा घोटाला पूरी दुनिया में चर्चा में है। इसमें लॉटरी सिस्टम के जरिये बड़ा हेरफेर किया गया। इस घोटाले में भारतीय मूल के कंडी श्रीनिवास रेड्डी का नाम सामने आया है। अमेरिकी एजेंसियों के अनुसार श्रीनिवास रेड्डी ने बड़े ही शातिर तरीके से अमेरिकी वीजा पॉलिसी में गड़बड़ी कर दी। एक रिपोर्ट के अनुसार 11 वर्ष पहले रेड्डी ने क्लाउड बिग डेटा टेक्नोलॉजीज एलसीसी नामक कंपनी बनाई। इसके जरिये उसने 300 से ज्यादा एच1-बी वीजा हासिल करने के लिए लॉटरी सिस्टम को हथियार बनाया।
कौन है कंडी श्रीनिवास
कंडी श्रीनिवास तेलंगाना से संबंध रखने वाले कांग्रेस नेता हैं। अमेरिका से मॉस्टर डिग्री लेने के बाद रेड्डी ने वहां बतौर तकनीकी सलाहकार के तौर पर अपना करियर शुरू किया था। अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार रेड्डी ने इसी दौरान अपनी फर्म बनाई। इसके बाद अमेरिका में रहने के इच्छुक या आवागमन करने की चाहत रखने वाले एच1-बी वीजा की जरूरत वाले तकनीकी कर्मचारियों की तलाश में जुट गए। रेड्डी ने अपनी फर्म में कर्मचारियों की बंपर सैलरी पर भर्ती की। इसके लिए प्रति कर्मचारी को 8000 अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा का वेतन ऑफर किया। इसके लिए रेड्डी की कंपनी ने मेटा प्लेटफॉर्म आइएनसी और एचएसबीसी होल्डिंग पीएलसी जैसी कंपनियों के साथ करार किया। इसके बाद रेड्डी ने घोटाले का खेल शुरू कर दिया।
कैसे दिया घोटाले को अंजाम
रेड्डी ने अपनी फर्म बनाने और उसे विदेशी कंपनियों के साथ लिंक करने के बाद खुद को बड़ी कंपनी के तौर पर स्थापित कर लिया। इसके बाद एच1-बी वीजा पॉलिसी के लॉटरी सिस्टम में हेरफेर का तरीका खोज निकाला। रेड्डी की कंपनी ने घोटाले को अंजाम देने के लिए एक ही व्यक्ति के लिए अलग-अलग नाम की कंपनियों के जरिये कई आवेदन करवाया। ताकि कहीं न कहीं से उनका चयन हो जाए। साल 2020 के एच1-बी वीजा लॉटर सिस्टम में रेड्डी की कंपनी ने 288 व्यक्तियों का ब्यौरा दिया। इसी तरह रेड्डी के संबद्ध अन्य कंपनियों ने भी उन्हीं नामों वाली ज्यादातर प्रविष्टियों को लॉटरी सिस्टम में भेज दिया। इस तरह के हेरफेर से रेड्डी की कंपनी ने 300 से ज्यादा एच1-बी वीजा हासिल कर लिया।
अमेरिका में करोड़ों की संपत्तियों का मालिक रेड्डी
वीजा पॉलिसी में हेरफेर करके कंडी श्रीनिवास रेड्डी अमेरिका में करोड़ों की संपत्तियों का मालिक बन गया। उसने तेलंगाना की आदिलाबाद सीट से चुनाव भी लड़ा था, लेकिन इसमें हार का सामना करना पड़ा। चुनाव प्रचार के दौरान रेड्डी ने सैकड़ों लोगों को अमेरिका में नौकरी लगवाने का झांसा भी दिया था। रेड्डी की कंपनी अमेरिका में एक तरह से वीजा ब्रोकर्स का काम कर रही थी। दूसरी कंपनियों से सांठगांठ करके सैकड़ों वीजा फर्जी तरीके से हासिल कर लेती थी। इसका खुलासा हुआ तो अमेरिकी अधिकारियों के भी होश उड़ गए। (इनपुट एजेंसीज)