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Explainer: क्या होते हैं डेटा सेंटर, जिनके लिए Google, Microsoft, Meta जैसी टेक कंपनियां खर्च रहीं अरबों डॉलर

टेक्नोलॉजी कंपनियां अपने यूजर्स का डेटा स्टोर और प्रोसेस करने के लिए डेटा सेंटर लगाती हैं, जिसके लिए उन्हें अरबों डॉलर का खर्च आता है। AI के आने से टेक्नोलॉजी कंपनियां और बड़े लेवल पर डेटा सेंटर ओपन करने की तैयारी कर रही हैं।

Written By: Harshit Harsh @HarshitKHarsh
Published : Nov 13, 2024 12:43 IST, Updated : Nov 13, 2024 12:43 IST
Data Center
Image Source : FILE What is data center

टेक्नोलॉजी कंपनियां Google, Microsoft, Meta, Amazon, Apple के दुनियाभर में करोड़ों यूजर्स हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि इन कंपनियों के करोड़ों यूजर्स के ऐप्स और अन्य सर्विसेज का डेटा कहां स्टोर किया जाता है? टेक्नोलॉजी कंपनियां अपने यूजर्स का डेटा बड़े-बड़े डेटा सेंटर में स्टोर करती हैं। इन डेटा सेंटर को बनाने के लिए टेक कंपनियों को अरबों डॉलर का खर्च आता है। हाल ही में Meta अपने AI डेटा सेंटर के लिए न्यूक्लियर एनर्जी वाली कंपनी के साथ डील करने वाला था, लेकिन दुर्लभ प्रजाति की मधुमक्खियों ने मार्क जुकरबर्ग के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। हालांकि, मेटा सीईओ अब अपना डेटा सेंटर डेवलप करने के लिए अलग विकल्प की तलाश में है।

क्या होते हैं डेटा सेंटर?

आम तौर पर डेटा सेंटर में कंपनियां अपने यूजर्स का डेटा स्टोर करती हैं। डेटा सेंटर की साइज उस कंपनी के यूजर्स पर निर्भर करता है। अगर, किसी कंपनी के पास करोड़ों में यूजर्स हैं, तो इसके लिए बड़े स्तर पर डेटा स्टोर करना होगा। ऐसे डेटा सेंटर के लिए बड़े और जटिल इक्विपमेंट्स और सर्वर लगाने होते हैं। इन सर्वर को पावर देने के लिए अनवरत बिजली मिलती रहनी चाहिए, नहीं तो डेटा सेंटर के इक्विपमेंट काम नहीं करेंगे और यूजर्स के डेटा में दिक्कत आ सकती है।

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Image Source : CISCO
Data Center

मॉडर्न डेटा सेंटर

टेक कंपनियां आजकल ट्रेडिशनल फिजिकल सर्वर की बजाय मॉडर्न डेटा सेंटर में शिफ्ट हो रही हैं। ये डेटा सेंटर पूरी तरह से मल्टी क्लाउड इन्वायरोमेंट पर काम करते हैं। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा (फेसबुक) जैसी कंपनियों के पास कई देशों में यूजर्स हैं, लेकिन कंपनी का डेटा सेंटर कुछ जगहों पर ही बनाए गए हैं। इस तरह के डेटा सेंटर से यूजर्स का डेटा रियल टाइम में एक्सेसिबल हो जाए इसके लिए कलाउड एन्वायरोमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है।

बड़ी टेक कंपनियां इन दिनों AI के क्षेत्र में इन्वेस्ट कर रही हैं, जिसके लिए और भी ज्यादा डेटा स्टोर करने की जरूरत होगी। AI चैटबॉट यूजर्स द्वारा पूछे गए हर सवाल का जबाब दे सके इसके लिए बड़े पैमाने पर डेटा स्टोर और प्रोसेस करने की जरूरत होगी। टेक्नोलॉजी कंपनियां इसके लिए डेटा सेंटर में नेटवर्क सिक्योरिटी अप्लायंसेज समेत बड़े-बड़े सर्वर लगाती हैं। डेटा स्टोर करने के साथ-साथ उसे सुरक्षित रखना बड़ा टास्क होता है। इन डेटा सेंटर में नेटवर्क सिक्योरिटी के कई लेयर होते हैं, जिनके लिए बड़े इक्वीपमेंट लगाने पड़ते हैं।

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Image Source : GOOGLE CLOUD
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टेक कंपनियां अरबों डॉलर कर रहीं इन्वेस्ट

गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल जैसी टेक कंपनियां आने वाले कुछ सालों में डेटा सेंटर के लिए न्यूक्लियर एनर्जी का इस्तेमाल करने वाली हैं। गूगल ने पहले ही कंफर्म कर दिया है कि वो 2030 से अपने डेटा सेंटर के लिए न्यूक्लियर एनर्जी का यूज करेगा। वहीं, Meta अपने AI डेटा सेंटर के लिए न्यूक्लियर एनर्जी कंपनी के साथ डील करने को तैयार है, ताकि AI सेक्टर में उतरने वाले प्रतिद्वंदी कंपनियों को चुनौती दे सके।

यही कारण है कि टेक्नोलॉजी कंपनियां इस तरह के डेटा सेंटर को सेटअप करने के लिए अरबों डॉलर रुपये लगाने के लिए तैयार हैं। आने वाले कुछ साल में AI टेक्नोलॉजी और ज्यादा इवोल्व होने वाली है, जिसे देखते हुए इन टेक्नोलॉजी कंपनियों के बीच एक अलग तरह का कोल्ड वॉर चल रहा है। यही वजह है कि टेक कंपनियां अपने डेटा सेंटर के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने में लगी हुई हैं।

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