
Explainer: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस की हालिया चीन यात्रा के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर की गई टिप्पणियों ने भारत के लिए रणनीतिक तौर काफी महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। इस कॉरिडोर को आमतौर पर 'चिकन नेक' के नाम से जाना जाता है। इस लेख में यह जानने की कोशिश करेंगे कि मोहम्मद यूनुस ने अपने चीन के दौरे में पूर्वोत्तर राज्यों के लिए क्या टिप्पणियां की थी और उन टिप्पणियों के संदर्भ में चिकन कॉरिडोर कितना अहम है। 'चिकन नेक'का रणनीतिक महत्व? क्यों है चीन और बांग्लादेश की नजर?
चिकन नेक कॉरिडोर क्या है?
दरअसल, सिलीगुड़ी कॉरिडोर को ही चिकन नेक भी कहते हैं। यह कुल 60 किलोमीटर लंबा और करीब 22 किलोमीटर चौड़ा इलाका है। यह देश की मुख्य भूमि को पूर्वोत्तर के राज्यों से जोड़ता है। पूर्वोत्तर के राज्यों का संपर्क मार्ग भी इस कॉरिडोर से होकर गुजरता है। यह मुर्गी की गर्दन की तरह पतला है इसलिए इसे चिकन नेक कहते हैं। यह इलाका बेहद संवेदनशील माना जाता है। यह देश के सात राज्यों को जोड़ता है। पूर्वोत्तर के इन राज्यो को सेवेन सिस्टर्स कहा जाता है। देश के लिए यह भूभाग बेहद अहम है। यह कॉरिडोर नेपाल, चीन, भूटान और बांग्लादेश जैसे पहाड़ी राज्यों से घिरा हुआ है।
चिकन नेक के एक तरफ नेपाल है तो दूसरी ओर बांग्लादेश है। इसके उत्तरी हिस्से में भूटान है। यह इलाका देश के विभाजन के बाद 1947 में अस्तित्व में आया था। बाद के दिनों में सिक्किम को भारत का हिस्सा बनाने के बाद इस इलाके में अहम राणनीतिक जीत हासिल हुई थी।
मोहम्मद यूनुस ने क्या कहा था?
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने हाल में चीन का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने चीन से बांग्लादेश में अपना आर्थिक प्रभाव बढ़ाने को कहा और चिकन नेक का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का चारों ओर से जमीन से घिरा होना एक अवसर साबित हो सकता है। यूनुस ने कहा, ‘‘भारत के पूर्वी हिस्से के सात राज्य सात बहनें कहलाते हैं। वे चारों ओर से जमीन से घिरे क्षेत्र हैं। उनके पास समुद्र तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है।’’ बांग्लादेश को इस क्षेत्र में ‘‘महासागर का एकमात्र संरक्षक’’ बताते हुए यूनुस ने कहा कि यह एक बड़ा अवसर हो सकता है और चीनी अर्थव्यवस्था का विस्तार हो सकता है। उन्होंने इस यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की और चीन के साथ नौ समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए थे। मोहम्मद यूनुस के इस बयान के बाद इस इलाके को लेकर भारत की चिंताएं बढ़नी लाजिमी है।
रणनीतिक तौर पर क्यों बेहद अहम है चिकन नेक?
हाल ही में भू-राजनीतिक बदलावों को देखते हुए, भारत ने इस महत्वपूर्ण गलियारे की सुरक्षा के लिए सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए हैं। भारतीय सेना ने इस कॉरिडोर को अपनी सबसे मजबूत रक्षा पंक्ति बताया है। इस चिकन नेक के जरिए चुंबी घाटी में चीन पर नजर रखने में भारत को काफी मदद मिलती है। सुरक्षा के लिहाज से भारत को बड़ी राणनीतिक बढ़त इस इलाके में मिली हुई है। चिकन नेक के आसपास असम राइफल्स, बीएसएफ, सेना और पश्चिम बंगाल पुलिस तैनात रहती है। लेकिन इसकी सुरक्षा का अहम जिम्मा त्रिशक्ति कोर जिसे 33 कोर कहते हैं, के पास है। सेना अपनी उन्नत सैन्य तैयारियों के माध्यम से किसी भी संभावित खतरे का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। सेना की त्रिशक्ति कोर का मुख्यालय इसी कॉरिडोर के पास सुकना में है जो इस क्षेत्र की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह कोर अत्याधुनिक हथियारों से लैस है, जिसमें राफेल लड़ाकू जेट, ब्रह्मोस मिसाइल और उन्नत वायु रक्षा प्रणाली शामिल हैं।
चीन और बांग्लादेश की नजर
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के हाथों से सत्ता जाने के बाद से वहां कोई स्थाई सरकार नहीं है। अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर भी जल्द चुनाव कराने का दबाव है। यूनुस के सत्ता संभालने के बाद से ही बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार भी बढ़ने लगे। भारत ने जब भी विरोध जताया तो बांग्लादेश सरकार की ओर से ऐसे बयान आए जिससे स्पष्ट होता है कि दोनों देशों के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर भी कई जगह तनाव के हालात बने। लेकिन सबसे ज्यादा चिंता चीन और बांग्लादेश के बीच हाल के दिनों में हुई गतिविधियों को लेकर है। भारत अलर्ट मोड में है। क्योंकि अगर इस क्षेत्र में थोड़ी भी लापरवाही हुई या चीन और बांग्लादेश ने मिलकर कोई चाल चली तो पूर्वोत्तर के सभी राज्यों से भारत अलग पड़ जाएगा। और यही वजह है कि चीन और बांग्लादेश की पूरी नजर इस इलाके पर है।