गणतंत्र दिवस के मौके पर हर साल देश की राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ पर तीन सेनाओं की परेड के साथ राज्यों की झांकियां निकाली जाती हैं। हालांकि, इस बार गैर-बीजेपी शासित चार राज्यों की झांकियां रिजेक्ट कर दी गई हैं, जिसकी वजह से झांकियां विवादों में घिर गई हैं। रक्षा मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब और कर्नाटक की झांकियां को रिजेक्ट कर दिया है। इनमें से दो राज्यों में आम आदमी पार्टी, एक में तृणमूल कांग्रेस और एक में कांग्रेस की सरकार है। रक्षा मंत्रालय ने इन चारों राज्यों की झांकियां को लेकर कहा कि 2024 की गणतंत्र दिवस परेड की थीम के आधार पर नहीं है, इसलिए खारिज किया गया है। बता दें कि इस बार 75वें गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर निकलने वाली परेड की थीम- "विकसित भारत और भारत-लोकतंत्र की मातृका" है।
रक्षा मंत्रालय ने दिसंबर 2023 में सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक पत्र जारी कर गणतंत्र दिवस परेड 2024 में झांकियों के लिए प्रस्ताव मांगे थे। 18 दिसंबर 2023 से झांकियों के लिए प्रस्ताव भेजे जाने की तारीख शुरू हुई, जबकि प्रस्ताव भेजने की आखिरी तारीख 26 दिसंबर 2023 थी। इस दौरान कुछ 331 झांकियों के प्रस्ताव आए थे। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने 9 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड के लिए कर्नाटक की झांकी को रिजेक्ट कर दिया था। इससे पहले पंजाब, दिल्ली और पश्चिम बंगाल की झांकी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था। पंजाब और दिल्ली की झांकी पहले दो राउंड में ही बाहर हो गईं, जबकि कर्नाटक की झांकी तीसरे राउंड में बाहर हुई।
इन चार राज्यों की झांकियां रिजेक्ट होने के बाद सवाल है कि आखिर कैसे गणतंत्र दिवस परेड के लिए झांकियों का चयन होता और कौन करता है? आईये जानते हैं-
कैसे होता है झांकियों का चयन?
गणतंत्र दिवस के परेड में निकलने वाली झांकियों को रक्षा मंत्रालय की एक कमिटी द्वारा सेलेक्ट किया जाता है। हर साल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से झांकियों के लिए सुझाव मांगे जाते हैं। उसके बाद जब सभी राज्य अपने सुझाव उन्हें भेजते हैं, तो कमिटी उन पर कई बैठकें कर चर्चा करती है। उसके बाद ही किसी भी राज्य की झांकियों का चयन होता है। कमेटी इन झांकियों का उनके विषय, डिजाइन और उसके विजुअल इंपैक्ट के आधार पर जांच करती है। झांकियों को सेलेक्ट करने के लिए कमिटी सभी राज्यों या केंद्र शामित प्रदेशों से उनकी झांकियों का 3D मॉडल भी मांगती है। इससे पता चलता है कि उनकी झांकियां दिखने में कैसी हैं? अगर वो कमिटी के सभी मानकों पर उतरती है, तो उस झांकी को सेलेक्ट कर लिया जाता है। इसके बाद कमेटी अपनी सिफारिश रक्षा मंत्रालय को भेजती है। इस एक्सपर्ट कमेटी में आर्ट, कल्चर, पेंटिंग, स्कल्पचर, म्यूजिक, आर्किटेक्चर, एग्रीकल्चर, कोरियोग्राफी क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोग शामिल होते हैं। झांकियों का सेलेक्शन विजुअल, अपील, आइडिया, थीम और म्यूजिक के आधार पर किया जाता है।
क्या है सेलेक्शन की प्रक्रिया?
- गणतंत्र दिवस के लिए झांकियों का चुनाव करने की प्रक्रिया कई चरणों से गुजरती है। पहले झांकियों के स्केच, डिजाइन और प्रदर्शनों की थीम को पसंद किया जाता है।
- इसके बाद झांकी के मॉडल पर कमेटी और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों/मंत्रालयों के बीच कई दौर की बातचीत होती है।
- सेलेक्शन के पहले फेज में सभी प्रस्तावों के स्केच/डिजाइन की जांच होती है। इसके साथ ही जरूरी होने पर इसमें बदलाव के लिए सुझाव दिए जाते हैं।
- एक बार जब कमेटी स्केच और डिजाइन को मंजूरी दे देती है, तो इसके बाद प्रतिभागियों को अपने प्रस्तावों के 3D मॉडल्स के साथ आने को कहा जाता है।
- इसके बाद फाइनल चयन के लिए एक्सपर्ट कमेटी विभिन्न आधार पर झांकियों के 3D मॉडल की जांच करती है।
- झांकियों की सेलेक्शन प्रक्रिया 6-7 राउंड की बैठक के बाद पूरी होती है। इस दौरान हर फेज में कुछ प्रस्तावों को खारिज किया जाता है, जबकि कुछ को चयनित किया जाता है।
चार राज्यों के भेजे गए प्रस्ताव
कर्नाटक की ओर से दो प्रस्ताव भेजे गए थे। इनमें से एक में मैसूर के शासक नलवाडी कृष्णराज वोडेयार और कित्तूर रानी चेन्नम्मा के जीवन को प्रदर्शित करना और दूसरी झांकी में बेंगलुरु के संस्थापक नादप्रभु केम्पेगौड़ा के जीवन को दिखाया जाना था। इन दोनों झांकी के प्रस्ताव को रिजेक्ट कर दिया गया। इसके बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि ये सात करोड़ कन्नड़ लोगों को अपमान है। केंद्र ने जानबूझकर उनके झांकी को रोका है।
बंगाल की ओर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कन्याश्री योजना को झांकी में दिखाए जाने का प्रस्ताव भेजा गया था। बंगाल की प्रस्तावित गणतंत्र दिवस की झांकी को आठ साल में तीसरी बार खारिज किया गया है। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र सरकार के इस फैसले को राजनीतिक भेदभाव वाला बताया।
पंजाब की ओर से झांकी में पंजाबियों के बलिदान और संस्कृति को दिखाया जाना था। एक झांकी में बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के साथ-साथ माता गुजरी को श्रद्धांजलि देते हुए दिखाया गया था। इसके अलावा अन्य दो प्रस्ताव भी भेजे गए थे, लेकिन इन तीनों प्रस्तावों को रिजेक्ट कर दिया गया। झांकी रिजेक्ट होने पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार का ये फैसला उनके पंजाब विरोधी मानसिकता को दिखाता है।
दिल्ली की ओर से झांकी के लिए भेजे गए प्रस्ताव में केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली का शासन मॉडल प्रदर्शित करना था। इसमें अच्छी शिक्षा, बेहतर प्रति व्यक्ति आय, 200 यूनिट फ्री बिजली जैसी चीजों को दिखाया जाना था। दिल्ली की झांकी रिजेक्ट होने पर आम आदमी पार्टी की ओर से कहा गया कि केंद्र ने दिल्ली के इस प्रस्ताव को खारिज कर एक अच्छे शासन मॉडल को दिखाने से रोक दिया है।