Saturday, December 21, 2024
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सत्ता और शक्ति की भयंकर लड़ाई, ठाकरे हों या पवार परिवार, चाचा-भतीजे की लड़ाई का पुराना है इतिहास

अजित पवार ने अपने चाचा व एनसीपी चीफ शरद पवार से बगावत कर दी है। लेकिन यह इकलौती ऐसी पार्टी नहीं है जिसमें चाचा और भतीजे के बीच विवाद देखने को मिला है। इससे पहले भी कई बार चाचा-भतीजे के बीच विवाद देखने को मिला है जो चर्चा का कारण बन चुका है।

Written By: Avinash Rai
Published : Jul 06, 2023 11:16 IST, Updated : Jul 06, 2023 15:19 IST
The story of Ajit to Sharad Pawar Balasaheb to Raj Thackeray the war between uncle and nephew 5 time
Image Source : INDIA TV राजनीति में चाचा-भतीजा की लड़ाई

सत्ता की लड़ाई भारत में कोई नई परंपरा नहीं है। केवल भारत ही दुनियाभर में सत्ता की जंगें लड़ी गई हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। कभी मुगलों तो कभी हिंदू शासकों द्वारा अपनों को मौत के घाट उतारकर या उनसे बगावत कर सत्ता हथियाई गई है। इस बार ऐसा एनसीपी में देखने को मिला है। अजित पवार ने अपने चाचा व एनसीपी चीफ शरद पवार से बगावत कर दी है। लेकिन यह इकलौती ऐसी पार्टी नहीं है जिसमें चाचा और भतीजे के बीच विवाद देखने को मिला है। इससे पहले भी कई बार चाचा-भतीजे के बीच विवाद देखने को मिला है जो चर्चा का कारण बन चुका है।

चाचा-भतीजा लड़ाई की 5 घटनाएं

पवार परिवार की लड़ाई

शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने शरद पवार से बगावत कर ली है और उन्होंने भाजपा-एकनाथ शिंदे गुट का दामन थाम लिया है। इसी के साथ वे महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री भी बन चुके हैं। अजित ने सबको तब चौंका दिया जब उन्होंने एनडीए गठबंधन का दामन थाम लिया। उनका कहना है कि उनके पास 40 से अधिक विधायकों और सांसदों का समर्थन है। साथ ही अजित पवार ने खुद को एनसीपी का प्रमुख भी घोषित कर दिया है। 

ठाकरे परिवार की लड़ाई

इस घटनाक्रम में दूसरी चाचा-भतीजे की सबसे चर्चित लड़ाई है बाला साहेब ठाकरे और राज ठाकरे की। जब शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे जीवित थे तब ऐसा माना जा रहा था कि भतीजे राज ठाकरे ही उनकी इस विरासत को आगे लेकर जाएंगे। हालांकि राज ठाकरे का यह सपना ज्यादा दिन तक नहीं टिक सका क्योंकि बाला साहेब ने अपने बेटे उद्धव ठाकरे को लॉन्च कर दिया और अपनी विरासत के लिए वे उद्धव ठाकरे के नाम को आगे बढ़ाने लगे। अपने चाचा द्वारा शिवसेना में साइडलाइन किए जाने के बाद साल 2005 में राज ठाकरे ने शिवसेना से इस्तीफा देकर अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया। 

यादव परिवार की लड़ाई

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव की लड़ाई किसी से छिपी नहीं है। शक्तियों के बंटवारे व सत्ता की इस लड़ाई का नतीजा यह हुआ कि शिवपाल यादव को सपा से बाहर निकाल दिया गया। दिसंबर 2016 में अखिलेश यादव जब यूपी के मुख्यमंत्री थे, उस दौरान चाचा जो कि मंत्रिमंडल में एक वरिष्ठ मंत्री थे, उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। हालांकि मुलायम सिंह यादव ने अपने भाई शिवपाल यादव का बचाव किया। कुछ दिनों बाद अखिलेश के फैसले से नाराज होकर मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को पार्टी से निकाल दिया। लेकिन यह लड़ाई जब चुनाव आयोग तक पहुंची तो भतीजे अखिलेश यादव ने इस लड़ाई को जीत लिया। इसके बाद शिवपाल यादव ने अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई। हालांकि साल 2022 में शिवपाल यादव की पार्टी और समाजवादी पार्टी फिर से एक हो गईं। 

पासवान परिवार की लड़ाई

बिहार के चर्चित दलित नेता रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस भी कुछ इसी तरह की आपसी लड़ाई में शामिल थे। दरअसल लोक जनशक्ति पार्टी पर कंट्रोल को लेकर दोनों के बीच यह लड़ाई शुरू हुई थी। इसके बाद पार्टी दो धड़ों में बंट गई। चिराग की पार्टी का नाम पड़ा लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और पारस की पार्टी का नाम पड़ा राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी।

चौटाला परिवार की लड़ाई

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के परिवार में भी ऐसी ही लड़ाई देखने को मिली थी। अभय चौटाला के भतीजे दुष्यंत चौटाला ने भारतीय राष्ट्रीय लोक दल में शक्ति के बंटवारे और सत्ता के लिए लड़ाई छेड़ दी थी। इस लड़ाई का परिणाम यह हुआ कि पार्टी दो भागों में बट गई। दुष्यंत चौटाला ने नई पार्टी जननायक जनता पार्टी बनाई जो कि वर्तमान में एनडीए के साथ है और हरियाणा में दुष्यंत बतौर उपमुख्यमंत्री जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। 

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