कभी भारत का अच्छा दोस्त रहा बांग्लादेश अब भारत का ही कट्टर दुश्मन बनता जा रहा है और उसकी नजदीकियां पाकिस्तान से बढ़ती जा रही हैं। कभी हिंदुओं से मोहब्बत करने वाला बांग्लादेश अब हिंदुओं और भारतीयों से नफरत करने लगा है। नोबेल शांति वाले मोहम्मद यूनुस ने जब से बांग्लादेश की सत्ता संभाली है, यह देश अब कट्टरपंथ की राह पर चल पड़ा है। वहां का मुसलमान अब दोस्ती की भाषा भूल चुका है तभी वहां हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे। हिंदू मंदिर तोड़े जा रहे हैं और मूर्तियां जलाई जा रही हैं। इतना ही नहीं, अब तो तलवार से हिंदुओं को काटने की भी धमकी दी जाने लगी है।
हिंदुओं को दी जा रही धमकियां
बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर को निशाना बनाते हुए खुलेआम हिंदुओं को हिंसा की धमकियां दी जा रही हैं। देश में इस्कॉन को निशाना बनाते हुए एक कट्टरपंथी व्यक्ति का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वह खुलेआम इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग करता है और धमकी देता है कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती तो वे हिंसात्मक कदम उठाएंगे। इस्कॉन के वाइस प्रेसिडेंट राधारमण दास ने इस वीडियो को साझा करते हुए कहा है कि यह भाषण किसी एक इलाके तक सीमित नहीं है, बल्कि बांग्लादेश के हर कोने में इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं। उन्होंने कट्टरपंथियों पर कार्रवाई की मांग की है।
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शुक्रवार को ढाका की सड़कों पर प्रदर्शन
ढाका की सड़कों पर शुक्रवार को बांग्लादेशी मुस्लिमों ने भारत के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी पुलिस की सुरक्षा में भारत के खिलाफ जहर उगल रहे थे। आईएसआईएस के झंडे लहराते हुए कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों के उग्रवादी दिखाई दिए लेकिन पुलिस इन उपद्रवियों की सुरक्षा कर रही थी। इन उग्रवादियों ने भारत पर हमला करने और भारतीय नागरिकों की हत्या करने की कसमें भी खाईं। इन सबके बीच भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाली बीटिंग रिट्रीट भी रोक दी गई है।
तोड़े जा रहे मंदिर, जलाई जा रही मूर्तियां
बांग्लादेश में अब भारत और भारतीयों को खुलेआम धमकी दी जा रही है। एक के बाद एक कई इस्कॉन मंदिर तोड़े जा रहे हैं और मूर्तियां जलाई जा रही हैं। शनिवार को भी एक इस्कॉन मंदिर पर हमला किया गया। इसके साथ ही ढाका में उपद्रवियों ने इस्कॉन सेंटर को आग के हवाले कर दिया और जमकर तोड़फोड़ भी मचाई। धार्मिक असहिष्णुता के ये मामले केवल वहां के स्थानीय मुद्दे नहीं हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बांग्लादेश की छवि को प्रभावित कर रहे हैं।
ढाका जाएंगे भारत के विदेश सचिव
इस बीच शुक्रवार को भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि "भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री नौ दिसंबर को ढाका जाएंगे। विक्रम मिस्री ढाका तब जा रहे हैं, जब दोनों देशों में तनातनी की स्थिति है। जायसवाल ने कहा, ''नौ दिसंबर को विदेश सचिव बांग्लादेश जाएंगे और अपने समकक्ष से मुलाक़ात करेंगे, इसके अलावा भी कई बैठकें होंगी।''
सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने विक्रम मिस्री के बांग्लादेश दौरे पर सवाल उठाया है और उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा है, ''बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और अवामी लीग के सदस्यों पर हमले जारी हैं। शेख़ हसीना विरोधी पार्टियों और छात्र समूहों के साथ मोहम्मद युनुस बैठकें कर भारत को काउंटर करने की रणनीति पर चर्चा कर रहे हैं। ऐसे में भारत अपने विदेश सचिव को ढाका क्यों भेज रहा है?''
पाकिस्तान से बांग्लादेश की बढ़ती दोस्ती
भारत और बांग्लादेश के ख़राब होते आपसी संबंधों के बीच मोहम्मद युनूस की सरकार से पाकिस्तान की गर्मजोशी बढ़ती दिख रही है। पाकिस्तान और बांग्लादेश ने दोनों देशों के नागरिकों के लिए वीज़ा नियमों में कई तरह की छूट दी है और इसके साथ ही बांग्लादेश बनने के बाद पिछले महीने पहली बार कराची से मालवाहक पोत बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पहुंचा था। दोनों देशों के बीच यह पहला समुद्री संपर्क था। बांग्लादेश में पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैयद अहमद मरूफ़ ने समय टीवी को दिए इंटरव्यू में कहा है कि अगले साल से इस्लामाबाद और ढाका के बीच हवाई संपर्क भी शुरू हो जाएगा।
बांग्लादेश और भारत के क्यों खराब हुए रिश्ते
शेख़ हसीना के सत्ता से बेदख़ल होने और मोहम्मद युनूस के सत्ता संभालने के बाद भारत कई बार बांग्लादेश में हिन्दुओं समेत बाक़ी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता जता चुका है। तो वहीं दूसरी तरफ़ बांग्लादेश भारत की चिंताओं को ख़ारिज करता रहा है। बांग्लादेश ने यहां तक कह दिया है कि भारत उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है।
बीबीसी की खबर के मुताबिक अमेरिका में बांग्लादेश के राजदूत रहे एम हुमायूं कबीर ने बांग्लादेश के अख़बार 'प्रोथोम आलो' से कहा, ''भारत के साथ बांग्लादेश के संबंध बहुआयामी रहे हैं। अभी भारत के साथ बांग्लादेश के आर्थिक संबंध एकतरफ़ा है। हम भारत से बिजली, डीज़ल, चावल, प्याज और आलू आयात करते हैं, लेकिन बांग्लादेश से भारत बहुत कम चीज़ों का निर्यात होता है।
भारत के साथ हमारा सांस्कृतिक संबंध भी रहा है। बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोग दिल्ली पढ़ाई करने जाते थे। पिछले 15 सालों में बांग्लादेश के लोगों को भारत जाने के लिए वीज़ा आसानी से मिल जाता था लेकिन अगस्त के बाद से वीज़ा को लेकर सख़्ती बढ़ गई है। भारत अगर संबंधों को ठीक करना चाहता है तो उसे वीज़ा देने की प्रक्रिया को उदार बनाना चाहिए।''
हुमायूं कबीर कहते हैं, ''दोनों देशों के बीच तनाव इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि भारत ने पांच अगस्त के बाद बांग्लादेश की घरेलू राजनीति की हक़ीक़त को स्वीकार नहीं किया। बांग्लादेश को भी सतर्क रहना चाहिए कि हालात कहीं बेकाबू ना हो जाएं। कबीर ने कहा कि मुझे लगता है कि दोनों देशों में लोगों को उकसाने वाली गतिविधियां नहीं होनी चाहिए।'