भारतीय शेयर बाजार की रैली में आम निवेशकों ने ही नहीं बल्कि सरकार ने भी मोटी कमाई की है। इसकी वजह सरकारी कंपनियों के शेयरों की कीमत में उछाल आना है, जिसके कारण इन कंपनियों में सरकारी की हिस्सेदारी की वैल्यू में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है और यह अपने अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
चालू वित्त वर्ष में 17 लाख बढ़ी पीएसयू कंपनियों की मार्केट कैप
वित्त वर्ष 2023-24 की शुरुआत से ही भारतीय बाजार में तेजी देखी जा रही है। इसका फायदा सरकार की लिस्टेड 85 कंपनियों को भी पूरी तरह से मिला है। इस वजह से केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित कंपनियों का मार्केट कैप रिकॉर्ड 17 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 46 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। लिस्टेड 85 सरकारी कंपनियों में से 83 कंपनियों ने सकारात्मक रिटर्न निवेशकों को दिया है। केवल पावरग्रिड इन्फ्रा और इंदप्रस्थ गैस ने ही -21.71 प्रतिशत और -6.27 प्रतिशत का नकारात्मक रिटर्न दिया है, जबकि 29 सरकारी कंपनियों ऐसी हैं, जिन्होंने निवेशकों को 100 प्रतिशत से ज्यादा का रिटर्न दिया है।
इन सरकारी कंपनियों ने दिया बंपर रिटर्न
वित्त वर्ष 2023-24 की शुरुआत से लेकर अब तक एफएसीटी ने 269.4 प्रतिशत, आरईसी ने 251.4 प्रतिशत, आईटीआई ने 226.6 प्रतिशत, पीएफसी ने 217.2 प्रतिशत, मझगांव डॉकयार्ड ने 210 प्रतिशत, ओडिशा मिनरल ने 194.5 प्रतिशत, आईआरएफसी 187.9 प्रतिशत, इरकॉन इंटरनेशनल ने 187.1 प्रतिशत, सीपीसीएल ने 185.8 प्रतिशत और रेलटेल कॉर्प ने 184 प्रतिशत का बंपर रिटर्न निवेशकों को दिया है।
किन कंपनियों के मार्केट कैप में हुई बढ़ोतरी
चालू वित्त की शुरुआत से अब तक 1.51 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 4.9 लाख करोड़ हो गया है। एनटीपीसी के मार्केट कैप 1.06 लाख करोड़ का इजाफा हुआ है और ये बढ़कर 2.76 लाख करोड़ हो गया है। एचएएल का मार्केट कैप 91 हजार करोड़ रुपये बढ़कर 1.83 लाख करोड़, पीएफसी का मार्केट कैप 87 हजार करोड़ बढ़कर 1.83 लाख करोड़, कोल इंडिया का मार्केट कैप 84 हजार करोड़ बढ़कर 2.16 लाख करोड़, एसबीआई का मार्केट कैप 80 हजार करोड़ बढ़कर 5.48 लाख करोड़, आरईसी का मार्केट कैप 76 हजार करोड़ बढ़कर 1.07 लाख करोड़, आईआरएफसी का मार्केट कैप 65 हजार करोड़ बढ़कर 1.00 लाख करोड़, आईओसीएल मार्केट कैप 57 हजार करोड़ बढ़कर 1.68 लाख करोड़ और पावर ग्रिड का मार्केट कैप 55 हजार करोड़ बढ़कर 2.13 लाख करोड़ हो गया है।
पीएसयू शेयरों में तेजी की वजह
सरकारी शेयरों में तेजी की वजह सरकारी नीतियां हैं। केंद्र की ओर से अर्थव्यवस्था को तेजी के आगे बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर पूंजीगत खर्च और इंफ्रा प्रोजेक्ट में निवेश किया जा रहा है, जिसका फायदा सीधे तौर पर सरकारी कंपनियों को हो रहा है और इन शेयरों पर बड़े स्तर पर तेजी देखने को मिल रही है।
पीएसयू शेयरों को इसी वर्ष 10 अगस्त को पीएम मोदी की ओर से संसद में भी बयान दिया गया था। उनकी ओर से विपक्ष पर चुटकी लेते हुए कहा था कि जिन कंपनियों पर विपक्ष सवाल उठाए, उसी पर दांव लगा देना चाहिए। इसके बाद पीएसयू शेयरों में बंपर रैली देखने को मिली थी, जिसका परिणाम है कि मौजूदा समय में सरकारी कंपनियों का मार्केट कैप 46 लाख करोड़ से ज्यादा हो गया है।
निफ्टी और सेंसेक्स में भी बंपर तेजी
मजबूत अर्थव्यवस्था और वैश्विक परिस्थितियों में स्थितरता के साथ कच्चे तेल में मंदी आने के कारण भारतीय शेयर बाजार तेज दौड़ लगा रहा है। निफ्टी और सेंसेक्स पिछले कुछ दिनों से लगातान नया ऑल टाइम हाई बना रहे हैं। शुक्रवार (8 दिसंबर) के कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 303.91 या 0.44 प्रतिशत बढ़कर 69,825.60 अंक पर बंद हुआ था। इन के कारोबार के दौरान सेंसेक्स ने 69,893.80 अंक का स्तर छुआ। ये अब तक का बाजार का सबसे उच्चतम स्तर था। ठीक इसी तरह निफ्टी ने 68.25 अंक या 0.33 प्रतिशत बढ़कर 20,969.40 अंक पर बंद हुआ। कारोबारी सत्र के दौरान निफ्टी ने 21,006.10 अंक का उच्चतम स्तर छुआ था।