Tuesday, November 05, 2024
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Explainer: रिटायरमेंट को लेकर क्या चाचा ने मानी भतीजे की मांग! शरद पवार ने किसके हाथ में सौंपी बारामती की बागडोर?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के प्रचार-प्रसार के दौरान शरद पवार ने बड़ा ऐलान कर दिया। उन्होंने अपने समर्थकों को चौंका दिया है। शरद पवार ने राजनीत से रिटायरमेंट की बात कही है। साथ ही भावुक अपील भी की है।

Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Updated on: November 05, 2024 18:34 IST
शरद पवार का रिटायरमेंट प्लान- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV GFX शरद पवार का रिटायरमेंट प्लान

इस बार का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव शरद पवार के लिए बेहद खास है। करीब 6 दशक की सक्रिय राजनीति के बाद शरद पवार ने इससे दूर रहने के संकेत दे दिए हैं। शरद पवार ने मंगलवार को कहा, 'वह 14 बार चुनाव लड़ चुके हैं और कितनी बार चुनाव लड़ेंगे? उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं जाकर तो उन्हें रुकना ही पड़ेगा।' आज से करीब एक साल पहले अजित पवार ने शरद पवार के रिटायरमेंट पर सवाल खड़े किए थे। वहीं, अब शरद पवार ने एनसीपी के गढ़ कहे जाने वाले बारामती से अपने राजनीति से रिटायरमेंट को लेकर खुद ही सारे पत्ते खोल दिए हैं। साथ ही बारामती सीट से अब कौन राजनीति करेगा? इसको लेकर भी उन्होंने जनता के सामने भावुक अपील की है। 

नहीं लड़ूंगा कोई भी चुनाव: शरद पवार

शरद पवार ने बारामती में एक चुनावी जनसभा में कहा, 'मैं सत्ता में नहीं हूं, लेकिन राज्यसभा में जरूर हूं। अभी डेढ़ साल और बाकी है। लेकिन इस डेढ़ साल के बाद अब राज्यसभा में जाना है या नहीं, इसका विचार करना पड़ेगा। मैं लोकसभा चुनाव तो नहीं लड़ूंगा और ना ही कोई अन्य चुनाव लड़ूंगा। कितनी बार चुनाव लड़ेंगे?'

57 साल से लगातार जीतते आ रहे चुनाव

इस तरह 84 वर्षीय शरद पवार ने साफ संकेत दिया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 राजनीति से संन्यास लेने से पहले उनका आखिरी पड़ाव होगा। 1967 में बारामती से पहली बार विधायक बनने के बाद से 57 साल की चुनावी राजनीति में लगातार चुनाव जीतते आए हैं। 

नई पीढ़ी को लाना होगा आगे

इसीलिए शरद पवार ने कहा, 'मैंने 14 बार चुनाव लड़ा हूं। आप लोगों ने मुझे एक बार भी घर नहीं भेजा। आपने मुझे हर बार चुना। लेकिन, मुझे कहीं न कहीं रुकना होगा। मुझे नई पीढ़ी को आगे लाना होगा। मैं इसी सिद्धांत के साथ काम कर रहा हूं। इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने सामाजिक कार्य छोड़ दिया है। लेकिन मुझे सत्ता नहीं चाहिए। मैं लोगों की सेवा और काम करता रहूंगा।'

शरद पवार ने पोते युगेंद्र पवार को किया आगे

एनसीपी (SP) प्रमुख ने कहा, 'अब युगेंद्र पवार जैसे नए नेतृत्व की जरूरत है। शरद पवार ने संकेत देते हुए कहा कि जिस तरह 30 साल पहले मैंने अजित पवार पर बारामती की जिम्मेदारी सौंपी थी। अब एक बार फिर वक्त आ गया है कि युगेंद्र पवार अगले 30 साल बारामती का प्रतिनिधित्व करें।'

शरद पवार के पोते युद्रेंद पवार

Image Source : FILE PHOTO
शरद पवार के पोते युद्रेंद पवार

श्रीनिवास के बेटे और शरद पवार के पोते हैं युगेंद्र पवार

युगेंद्र पवार, शरद पवार के पोते और अजित पवार के भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं। उन्हें शरद पवार ने बारामती विधानसभा सीट से अजित पवार के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है। इसलिए अब शरद पवार जहां से वह खुद पहली बार विधायक और सांसद चुने गए। अब वहीं से अपने पोते युगेंद्र पवार का नाम लेते हुए रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया है। 

IAS अधिकारी भी 60 साल में हो जाता है रिटायर- अजित पवार

जुलाई 2023 में अजित पवार ने सीधे तौर पर अपने चाचा शरद पवार पर निशाना साधा था। अजित पवार ने कहा था, 'आप 83 साल के हो गए हैं, क्या आप रुकने वाले नहीं हैं? हर किसी की अपनी पारी होती है। हमें अपना आशीर्वाद दें और हम प्रार्थना करेंगे कि आप लंबी उम्र जिएं।' इसके साथ ही अजित ने कहा था, 'हमारे लिए साहेब (शरद पवार) भगवान हैं। हम उनका बहुत सम्मान करते हैं। एक आईएएस अधिकारी भी 60 साल की उम्र में रिटायर हो जाता है।'

अब जाकर शरद पवार ने किया ऐलान

अजित पवार के इस तंज पर अब जाकर शरद पवार ने रिटायरमेंट को लेकर अपना ऐलान बारामती की जनता के बीच कर दिया है। बारामती वही जगह है। जहां से शरद पवार पहली बार 1867 में विधायक और 1984 में सांसद चुने गए थे। तब से बारामती शरद पवार के लिए पहली पसंद बनी हुई है। 

शरद पवार और अजीत पवार

Image Source : FILE PHOTO
शरद पवार और अजीत पवार

1858 से राजनीति में सक्रिय हैं शरद पवार

बता दें कि शरद पवार ने सक्रिय रूप से राजनीति में 1958 में कदम रखा था। उन्होंने यूथ कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत की थी। पहली बार वह पुणे जिले में यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए थे। इसके बाद 1964 में शरद पवार को महाराष्ट्र यूथ कांग्रेस का सचिव बनाया गया।  

बारामती शरद पवार के लिए बेहद खास

शरद पवार 1967 में पहली बार केवल 27 साल की उम्र में बारामती से विधायक बने। इसके बाद वह 1967 से 1990 तक कांग्रेस के ही टिकट पर यहां से चुनाव जीतते आए हैं। शरद पवार को 70 के दशक में  वसंतराव नाइक की सरकार में उन्हें गृह मंत्री बनाया गया था। शरद पवार 1978 में महाराष्ट्र के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री भी बने। वह उस समय मात्र 38 साल के थे। 1984 में वह बारामती से पहली बार लोकसभा सांसद चुने गए। तब से शरद पवार केंद्र और राज्य दोनों जगह की सत्ता की धुरी बने हुए हैं। राजनीति में उनकी जीत सिलसिला चलता आ रहा है। अब उन्होंने खुद ही इससे दूर रहने के संकेत दे दिए हैं।

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