अगस्त की आमद के साथ ही देश में त्योहारों के महीनों की शुरुआत होती है। भारत के इस फेस्टिव सीजन का जितना इंतजार आम लोग करते हैं, उससे ज्यादा इसकी फिक्र कंपनियों को होती है। इलेक्ट्रॉनिक से लेकर कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियां अपनी करीब 50 फीसदी कमाई इन्हीं 3 महीनों में करती हैं। लेकिर इस बार दुर्गापूजा या दिवाली पर आप कुछ नया खरीदने की सोच रहे हैं तो आपको झटका लग सकता है।
लुढ़कता रुपया बढ़ाएगा मुश्किलें
बीते कुछ महीनों से थमा रुपया अब लुढ़कने लगा है। शुक्रवार को खत्म सप्ताह में रुपया दो महीने के निचले स्तर पर आ गया है। शुक्रवार को आठ पैसा लुढ़करने के बाद रुपया दो माह के निचले स्तर 82.81 प्रति डॉलर पर आ गया। सुरक्षित निवेश के विकल्प के रूप में डॉलर की मांग बढ़ने और कच्चे तेल कीमतों में मजबूती आने से रुपये की धारणा कमजोर हुई। माना जा रहा है कि अमेरिका में बढ़ती अनिश्चितता के चलते वहां का केंद्रीय बैंक डॉलर की मजबूती के लिए प्रयास तेज करेगा, जिससे आने वाले महीनों में एक बार फिर रुपये में गिरावट बढ़ सकती है।
उधार चुकाने में खर्च होती है 26 प्रतिशत कमाई
भारत जैसे विकासशील देशों के लिए डॉलर की कीमत बहुत ज्यादा प्रभावित करती हैं। भारत अपनी कुल कमाई का 26 फीसदी सिर्फ विदेशी कर्ज चुकाने पर खर्च कर देता है। भारत पर इस समय 624.7 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज है। वहीं भारत अपनी जरूरत की अधिकतर चीजें विदेश से आयात करता है। जिसके चलते रुपये की कीमतों में जरा सा भी बदलाव सरकार के लिए टेंशन लेकर आता है।
आपको कितना नुकसान
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 82 रुपये के पार पहुंच गई है। कच्चे तेल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों तक का आयात, विदेशी शिक्षा और विदेश यात्रा महंगी होने के साथ ही महंगाई की स्थिति और खराब होने की आशंका है। ऐसे में यदि आप दिवाली पर सस्ते मोबाइल फोन, लैपटॉप, स्मार्टटीवी और दूसरे गैजेट्स खरीदने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए बुरी खबर है। विदेश से भारत आने वाली सभी चीजों पर अब महंगाई की मार पड़ना तय माना जा रहा है।
पेट्रोल डीजल सहित दूसरे आयातित प्रोडक्ट होंगे महंगे
डॉलर के मजबूत होने का सीधा असर हमारे आयात पर पड़ता है। भारत जिन वस्तुओं के आयात पर निर्भर है, वहां रुपये की गिरावट महंगाई ला सकती है। इसका असर कच्चे तेल के आयात पर भी पड़ेगा। दूसरी ओर भारत गैजेट्स और रत्नों का भी बड़ा आयातक है। भारत द्वारा आयात किए जाने वाले सामानों में कोयला, प्लास्टिक सामग्री, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, वनस्पति तेल, उर्वरक, मशीनरी, सोना, मोती, कीमती और लोहा व इस्पात शामिल हैं। रुपये की कीमत में बड़ी गिरावट आने से इन वस्तुओं की कीमतों पर असर पड़ सकता है।
आपकी जेब में एक और महंगाई का छेद
रुपये की कमजोरी से सीधा असर आपकी जेब पर होगा। आवश्यक सामानों की कीमतों में तेजी के बीच रुपये की कमजोरी आपकी जेब को और छलनी करेगी। भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। अमेरिकी डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी। इसका सीधा असर हर जरूरत की चीज की महंगाई पर होगा।
मोबाइल लैपटॉप की कीमतों पर असर
भारत अधिकतर मोबाइल और अन्य गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता है। विदेश से आयात के लिए अधिकतर कारोबार डॉलर में होता है। विदेशों से आयात होने के कारण अब इनकी कीमतें बढ़नी तय मानी जा रही है। भारत में अधिकतर मोबाइल की असेंबलिंग होती है। ऐसे में मेड इन इंडिया का दावा करने वाले गैजेट पर भी महंगे आयात की मार पड़ेगी।
विदेश में पढ़ना महंगा
इसका असर विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों पर रुपये की कमजोरी का खासा असर पड़ेगा। इसके चलते उनका खर्च बढ़ जाएगा। वे अपने साथ जो रुपये लेकर जाएंगे उसके बदले उन्हें कम डॉलर मिलेंगे। वहीं उन्हें चीजों के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके अलावा विदेश यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को भी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।