ब्रिटेन के प्रधानमंत्री यूनाइटेड किंगडम की ग्रेजुएट रूट वीज़ा स्कीम में बदलाव करने पर विचार कर रहे हैं। अगर ये बदलाव होता है तो सबसे ज्यादा बुरा असर भारतीय छात्रों पर पड़ सकता है। एक्सपर्ट की मानें तो ये बदलाव होने से वीजा सिर्फ कुछ लोगों (टॉपर्स और प्रतिभावान) तक ही सीमित हो जाएगा। इसके लागू होते ही यूके में इंटरनेशनल स्टूडेंट्स की संख्या में भारी कमी दिखने लगेगी। साथ ही इससे उन एजेंटो को बढ़ावा भी मिलेगा जो यूके के कॉलेज और अधिकारियों को भ्रामक जानकारी देते हैं। ये तो आप भी जानते होंगे कि यूके स्टडी वीजा से भारतीयों के लिए ज्यादा फायदा होता है। इस कदम से भारतीयों के लिए कुछ गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। आइए हम इन प्रभावों की आपको जानकारी देते हैं।
क्या है ग्रेजुएट रूट वीज़ा?
सबसे पहले तो बात करते हैं कि ग्रेजुएट रूट वीज़ा आखिर क्या है। ग्रेजुएट रूट वीज़ा को यूके सरकार ने जुलाई 2021 में पेश किया था। यह विदेशी छात्रों को ग्रेजुएशन, पोस्टग्रेजुएशन या अन्य एलिजिबल कोर्सों के पूरा होने के बाद (कम से कम 2 साल तक) यूके में रहने की अनुमति देता है। वहीं, पीएचडी या अन्य डॉक्टरेट योग्यता वाले लोगों के लिए, ये तीन साल तक रहता है।
वीज़ा की शर्तें
आवेदन के समय छात्र को यूनाइटेड किंगडम में हो और उसके पास शॉर्ट टर्म स्टडी वीजा या जनरल स्टूडेंट वीजा (टियर 4) होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, आवेदक के एजुकेशन-प्रोवाइडर को कोर्स पूरा होने के बारे में यूके होम ऑफिस को सूचित करना होगा।
भारतीय के लिए क्यों अहम ये वीज़ा?
ग्रेजुएट रूट वीज़ा स्कूली या इससे अधिक शिक्षा के बाद किसी व्यक्ति के यूके प्रवास को बढ़ा देता है। इससे उन्हें यूके में जॉब तलाशने के अवसर और अच्छी कमाई करने का मौका मिलता है। इसके अलावा, यूके में ग्रेजुएट रूट वीज़ा पर रहते हुए, व्यक्ति एक अच्छा स्पॉन्सर या एम्प्लॉयर ढूंढकर अन्य वीजा (जैसे वर्क वीजा) प्राप्त करने की भी कोशिश कर सकते हैं।
ऐसे में जो छात्र भारत से यूके में बसना चाहते हैं, ये वीज़ा स्कीम उन्हें ऐसा करने की पहली सीढ़ी देता है। यह भारतीयों (विशेष रूप से पंजाब से) के बीच खासा लोकप्रिय है, क्योंकि यह कुछ क्राइटेरिया को पूरा करने पर परिवारों को ग्रेजुएट रूट वीज़ा-धारक के साथ जाने की अनुमति भी देता है।
सुनक के इस बदलाव का क्या होगा असर?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि सुनक के इस वीजा पर बैन करने के प्रस्ताव से पोस्ट-ग्रेजुएशन संभावना और देश में अधिक समय तक रुकने के अवसर के बारे में अनिश्चितता पैदा करके यूके में पढ़ाई करने के इच्छुक इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के नंबर्स में काफी कमी आ जाएगी। ग्रेजुएट रूट वीज़ा को केवल "टॉपर्स" तक सीमित रखने से विशेष रूप से यूके में पढ़ाई करने के इच्छुक 'औसत' छात्र की संभावनाओं पर पानी फिर जाएगा।
फिर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स यूके के बजाय, ऐसे देश जाना पसंद करेंगे जहां पढ़ाई के बाद अधिक स्थिरता मिले। हालाँकि, यह खबर ऐसे समय में आई है जब कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य देशों ने भी इंटरनेशनल स्टूडेंट्स पर कैप लगा दी है (या जल्द ही लागू करेंगे)। इसके चलते ब्रिटेन, छात्रों के बीच पहले ऑप्शन के रूप में उभर रहा था लेकिन सुनक के इस कदम से अनिश्चितता का माहौल पैदा हो गया है।
पिछले साल स्टूडेंट वीजा में 54% की बढ़ोतरी
ब्रिटेन में विदेशी छात्रों का सबसे बड़ा समुदाय भारतीय हैं। इसके अलावा, हाल के कुछ सालों में भारतीयों को दिए जाने वाले छात्र वीजा में काफी बढ़ोतरी हुई है। यूके होम ऑफिस के मुताबिक, जून 2022 से जून 2023 के बीच भारतीयों को जारी किए जाने वाले स्टूडेंट वीजा में 54% की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा, जून 2019 से भारतीय नागरिकों को जारी अनुदान 7 गुना बढ़ गया है। अभी, इस वीजा धारकों में लगभग 42% भारतीय हैं, जोकि अन्य देशों के मुकाबले सबसे अधिक है।
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