PM Modi US Visit: पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा के लिए सोमवार सुबह रवाना हो चुके हैं। इस यात्रा को अमेरिका ऐतिहासिक करार दे रहा है। पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा सह पहले ही व्हाइट हाउस के प्रवक्ता, बाइडन प्रशासन के अधिकारी ताकत के साथ इस बात को कह रहे हैं कि अमेरिका और भारत दोनों लोकतांत्रिक देश दुनिया के सबसे अच्छे पारंपरिक मित्र हैं। दोनों की दोस्ती दुनिया के लिए मिसाल है। ऐसे में पीएम मोदी की राजकीय यात्रा भारत के लिए भी कई मायनों में लाभदायक रहेगी। खासतौर पर भारत के पड़ोसी देश चीन की नजर इस यात्रा पर जरूर रहेगी। वहीं भारत और अमेरिका, दोनों का दुश्मन चीन है। दोनों की बातचीत में चीन की हिंद प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती दादागिरी पर नकेल कसने पर भी चर्चा हो सकती है। वहीं अरुणाचल और लद्दाख में चीन की 'कारस्तानियों' पर भी भारत चाहेगा कि बाइडन उनकी मदद करें और चीन पर दबाव डाला जाए। इन कूटनीतिक चर्चाओं के साथ ही आपसी कारोबार, उन्नत तकनीकों के आदान प्रदान और सबसे खास हथियारों की तकनीक पर भी चर्चा का फोकस रहेगा।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 से 23 जून तक अमेरिका की आधिकारिक यात्रा के लिए आज रवाना हो गए हैं। भारत और अमेरिका के भविष्य के संबंधों की भूमिका के लिहाज से यह दौरा दोनों देशों के लिए अहम है। जिस तरह पीएम मोदी के सम्मान में राजकीय भोज का आयोजन किया जाएगा, 21 तोपों की सलामी देकर जो सम्मान भारतीय प्रधानमंत्री को मिलेगा, उससे यह तय है कि अमेरिका को भी चीन से मुकाबला करेन के लिए भारत की खासी जरूरत है।
पहले ओबामा, ट्रंप अब बाइडन से प्रगाढ़ रिश्तों की उम्मीद
पहले जॉज जूनियर बुश, फिर बराक ओबामा, भारत पिछले दो दशक से अमेरिका के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ कर रहा है। डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी की दोस्ती को भी दुनिया ने देखा। इस अमेरिका यात्रा में भारत को साइबर सिक्यॉरिटी से लेकर एआई तक, सेमी कंडक्टर से लेकर वैश्विक मामले तक में अमेरिका से सहयोग मिलेगा। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार 191 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी दोनों देश बढ़ाना चाहते हैं सहयोग
अमेरिकी विशेषज्ञों की मानें तो दोनों देश अब कारोबार के साथ ही नए क्षेत्रों में भी अवसर तलाश रहे हैं और सहयोग बढ़ा रहे हैं। इनमें खासतौर पर अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाना शामिल है। साथ ही हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन पर नकेल कसने के लिए 'क्वाड' के जरिए अमेरिका, भारत, जापान और आस्ट्रेलिया एकसाथ आ गए हैं।
अमेरिका से अरबों डॉलर के हथियार खरीद रहा भारत
इसके अलावा भारत, इजरायल, अमेरिका, यूएई एक साथ मिलकर I2U2 मंच पर मौजूद हैं। इस 'नए क्वॉड' के जरिए ये चारों देश भारत और खाड़ी देशों के बीच कनेक्टविटी को बढ़ाना चाहते हैं। भारत अरबों डॉलर के हथियार अमेरिका से खरीद रहा है।
भारत को अमेरिका से चाहिए उन्नत हथियार और नई तकनीकें
अपने दोनों ओर दुश्मन देशों से मुकाबले के लिए भारत अब अमेरिका से उन्नत तकनीकों से लैस घातक हथियार और उसकी तकनीक चाहता है। भारत अमेरिका से 100 जीई के F414 जेट इंजन खरीदना चाहता है जिसे वह अपने तेजस फाइटर जेट में लगाएगा। उधर, अमेरिका अब हथियारों के मामले में रूस की जगह लेना चाहता है। ऐसे में उसे घातक हथियार और तकनीक देना होगा। भारत अमेरिका से MQ-9 सी गार्डियन ड्रोन खरीदने जा रहा है। इसके अलावा M777 तोप के लंबी दूरी तक मार करने वाले गोले का उत्पादन भारत करना चाहता है। भारत को अमेरिका से मिली होवित्जर तोप सीमा पर तैनात कर रखी है।
भारत-अमेरिका के बीच कारोबार को लेकर इन मुद्दों पर रहेगा फोकस
ओबामा और ट्रंप के शासनकाल में व्यापार जरूर ज्यादा बढ़ा, पर ट्रंप के समय नया व्यापार और निवेश समझौता नहीं हो पाया था। इसकी उम्मीद अब काफी ज्यादा है। लेकिन कुछ मुद्दों जैसे डाटा लोकलाइजेशन और ई कामर्स, बाजार तक पहुंच, सरकारी सब्सिडी के मुद्दे पर दोनों को बात करना होगा। वहीं भारत और अमेरिका ने सप्लाइ चेन को तेज करने के लिए क्वॉड और अन्य मंचों से अपनी बातचीत को तेज कर रहे हैं। अमेरिका को अपने सप्लाइ चेन में भारत को शामिल करने के लिए अपने प्रयासों को तेज करना होगा। अमेरिका को अपने देश की कंपनियों को इस बात के लिए उत्साहित करना होगा कि वे चीन को छोड़कर दोस्त भारत में अपना विस्तार करें।
चीन के साथ सीमा विवाद पर अमेरिका खुलकर करे भारत का समर्थन
भारत का चीन के साथ अरुणाचल प्रदेश को लेकर विवाद है। चीन आए अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों को अपना बताने का कई बार गलत दावा करता है। भारत 'क्वाड' देशों का एकमात्र मेंबर है, जिसका चीन से सीधा सीमा विवाद है। ऐसे में विशेषज्ञ कहते हैं कि भारत चाहेगा कि अमेरिका भारतीय संप्रभुता को अपने समर्थन की फिर से पुष्टि करे। साथ ही अमेरिका को यह कहना चाहिए कि यह उसके हित में है कि भारत को एक आधुनिक सेना बनाने में मदद करना है ताकि वह हिंद महासागर में सुरक्षा मुहैया करा सके।