Monday, December 16, 2024
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निर्भया कांड के 12 साल: दर्द और पीड़ा, कानून में बदलाव से कितनी सुरक्षित हुईं बेटियां

इसी दिसंबर के महीने में 12 साल पहले दिल्ली में एक युवती से बलात्कार और हैवानियत की सारी हदें पार की गई थीं। उन दरिंदों को तो फांसी दी गई, कानून में बदलाव किया गया लेकिन क्या आज महिलाएं सुरक्षित हैं?

Written By: Kajal Kumari @lallkajal
Published : Dec 16, 2024 14:48 IST, Updated : Dec 16, 2024 16:53 IST
12 years of nirbhaya case- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO निर्भया कांड के 12 साल

आपको याद है निर्भया, याद है तो याद होगी आज की तारीख 16 दिसंबर की रात और साल था 2012 यानी आज से ठीक 12 साल पहले देश की राजधानी नई दिल्ली में उसी 23 वर्षीय मेडिकल छात्रा निर्भया के साथ छह लोगों ने चलती बस में क्रूरतापूर्वक सामूहिक बलात्कार किया गया था, जिसे याद कर आज भी रोएं सिहर जाते हैं। बलात्कार के बाद उन छह लोगों ने उसे चलती बस से बाहर एक सुनसान जगह पर फेंक दिया था। इलाज के लिए अस्तपाल में एडमिट की गई निर्भया की हालत देख डॉक्टरों की आंखें भी भर आई थीं। इस घटना के बारे में जिसने सुना वह रो पड़ा।

निर्भया की मौत 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में हो गई थी। इस कांड ने पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया था। इस घटना की चर्चा देश में ही नहीं, विदेशों में हुई और उसके बाद बलात्कार के मामलों में कानून में बदलाव किया गया और सजा को सख्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

निर्भया कांड, क्या हुआ था उस रात

23 साल की एक फिजियोथेरेपी की छात्रा मूवी थियेटर से निकली और अपने पुरुष मित्र के साथ घर जा रही थी, रात का वक्त था। दोनों दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर एक बस में चढ़ गए। उस बस में कोई यात्री नहीं था, बस कुछ स्टाफ थे। बस में मौजूद छह लोगों ने निर्भया से पहले छेड़खानी की और उसके साथी की लोहे की छड़ पिटाई की। उसके बाद छह लोगों ने बारी बारी से युवती के साथ हैवानियत की हद पार करते हुए बलात्कार किया और उसके प्राइवेट पार्ट में लोहे की छड़ डाल दी। युवती और उसके दोस्त दोनों को उन लोगों ने नग्न अवस्था में सड़क किनारे फेंक दिया और बस से भाग गए।

युवती को अस्पताल में भर्ती कराया गया, वह जिंदगी और मौत की जंग लड़ती रही और तड़प तड़पकर उसने जान दे दी। उसकी मौत के बाद उसे निर्भया नाम दिया गया। इस कांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था और देशभर में जमकर विरोध प्रदर्शन हुए और महिलाओं की सुरक्षा की मांग उठी। इस कांड के बाद के बाद ही सरकार को कानून बदलना पड़ा था और रेप के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया। निर्भया के एक गुनहगार ने आत्महत्या कर ली, चार अपराधियों को मार्च 2020 में फांसी दे दी गई जबकि, एक नाबालिग था, जो तीन साल की सजा काटकर बाहर आ गया।

12 साल बाद कितने बदले हालात

आज निर्भया कांड को 12 साल हो गए हैं। कानून में बदलाव हुआ रेप के मामले में सजा और सख्त कर दी गई, ताकि महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी लाई जा सके। इस घटना के बाद से ही जुवेनाइल कानून में संशोधन किया गया क्योंकि निर्भया के छह दोषियों में से एक नाबालिग था और तीन साल में ही रिहा हो गया था। रेप के मामलों में मौत की सजा का भी प्रावधान भी किया गया था। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि 2012 से पहले हर साल रेप के औसतन 25 हजार मामले दर्ज किए जाते थे लेकिन इसके बाद ये आंकड़ा 30 हजार के ऊपर पहुंच गया। 2013 में ही 33 हजार से ज्यादा मामले दर्ज हुए और 2016 में तो आंकड़ा 39 हजार के करीब पहुंच गया था।

 डराते हैं आंकड़े, कितनों को मिलती है सजा

केंद्र सरकार की एजेंसी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में सालभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के चार लाख से ज्यादा अपराध दर्ज किए जाते हैं। जिस दिल्ली ने निर्भया के साथ क्रूरता की सीमाएं लांघी गई वहीं महिलाओं के विरुद्ध अपराध 116 प्रतिशत बढ़ गए और बलात्कार के मामले दोगुने से भी ज्यादा बढ़ गए। 

सजा की बात करें तो इन मामलों में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार साल 2020 में महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराध के मामलों में सज़ा दर में 29.8% का इजाफा हुआ हैं। मंत्रालय के अनुसार 2016 में कनविक्शन रेट (सज़ा दर) 18.9% था। साल 2020 में देशभर में करीब 43,000 बलात्कार के मामलों में जांच शुरू हुई जबकि उनमें से केवल 3 हज़ार 814 मामलों में ही आरोपियों को सज़ा सुनाई जा सकी।

2021 में NCRB के डेटा के मुताबिक 2020 में महिलाओं के विरुद्ध अपराध के कुल 3 लाख 71 हज़ार 503 मामले दर्ज हुए जिनमे कुल 3 लाख 98 हज़ार 620 लोग गिरफ्तार हुए. 4 लाख 88 हज़ार लोगों को आरोपी बनाया गया और 31 हज़ार 402 लोगो को ही सज़ा दी गई।

कानून जो आपको भी जानना है जरूरी

दो महीने पहले नए आपराधिक कानूनों को लागू किया गया है जिन्हें भारतीय न्याय संहिता, बीएनएस के नाम से जाना जाता है, जिसमें धारा 63 में रेप की परिभाषा दी गई है और 64 से 70 में सजा का प्रावधान किया गया है।

बीएनएस में नाबालिगों से दुष्कर्म मामले में सख्त सजा दिए जाने का प्रावधान है, जिसमें 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ दुष्कर्म का दोषी पाए जाने पर कम से कम 20 साल की सजा, इस सजा को आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। आजीवन कारावास की सजा होने पर दोषी की सारी जिंदगी जेल में ही गुजरेगी।

गैंगरेप के मामलों में दोषी पाए जाने पर 20 साल से लेकर उम्रकैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है। बीएनएस की धारा 70(2) के तहत, नाबालिग के साथ गैंगरेप का दोषी पाए जाने पर कम से कम उम्रकैद की सजा तो होगी ही, साथ ही मौत की सजा भी सकती है। 

बीएनएस की धारा 66 के तहत, अगर रेप के मामले में महिला की मौत हो जाती है या फिर वो कोमा जैसी स्थिति में पहुंच जाती है तो दोषी को कम से कम 20 साल की सजा होगी। इस सजा को बढ़ाकर आजीवन कारावास या फिर मौत की सजा में भी बदला जा सकता है।

भारतीय न्याय संहिता में एक नई धारा 69 जोड़ी गई है. इसमें शादी, रोजगार या प्रमोशन का झूठा वादा कर महिला के साथ यौन संबंध बनाता है तो उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा। इसमें पहचान छिपाकर शादी करने पर भी 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है।

 

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