हर साल भारत में निपाह वायरस के मामले सामने आते हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है। दरअसल, केरल के कोझिकोड जिले में निपाह वायरस के कारण दो लोगो की मौत हो गई है जिसके बाद यहां अलर्ट(Nipah Alert in Kerala) जारी कर दिया गया है। बता दें कि ये इस साल का पहला पहला या दूसरा मामला नहीं है बल्कि, इस साल अलग-अलग समय में इस बीमारी से कई मौतें हो चुकी हैं। ऐसे में हम हर बार इस बीमारी का नाम तो सुनते हैं लेकिन इसके सही कारणों को नहीं जान पाते या इस समझ नहीं पाते। जबकि इस बीमारी से बचने के लिए उन कारणों के बारे में जानना बेहद जरूरी है जो कि इसके जनक हैं। तो, आइए आज विस्तार से समझते हैं निपाह वायरस को (Nipah virus in hindi) डॉ. अजय नायर, कंसल्टेंट इंटरनल मेडिसिन, नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल जयपुर से।
निपाह वायरस क्या है-What is Nipah virus
निपाह वायरस (NiV) जूनोटिक वायरस है जो जानवरों और लोगों के बीच फैलता है। यह मुख्य रूप से फल वाले चमगादड़ों के माध्यम से फैलता है, लेकिन सूअर, बकरी, घोड़े, कुत्ते और बिल्लियों जैसे अन्य जानवरों के माध्यम से भी फैल सकता है। दरअसल, ये वायरस हवा के जरिए तो नहीं फैलता है लेकिन ये संक्रमित तरह पदार्थो या फ्यूल्ड ड्रोपलेट्स के जरिए फैल सकता है।
निपाह वायरस इंसानों में कैसे फैलता है-How nipah virus spread in hindi
निपाह वायरस (NiV) इन कारणों से लोगों में फैल सकता है, जैसे
-संक्रमित जानवरोंजैसे चमगादड़ या सूअर के तरल पदार्थ जैसे खून, पेशाब या लारके सीधे संपर्क में आना से।
-ऐसे खाद्य उत्पादों का सेवन करना जो संक्रमित जानवरों के शरीर के तरल पदार्थ से दूषित हो गए हों।
-संक्रमित लोगों से।
-निपाह वायरस से पीड़ित व्यक्ति के देखरेख करने वालों में भी ये फैल सकता है।
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इन फलों को खाते समय सतर्क रहें
ताड़ के फल, अमरूद और फिर खजूर में निपाह वायरस का खतरा ज्यादा हो सकता है। क्यों निपाह वायरस को फैलाने वाले चमगादड़ अक्सर इन्हीं पेड़ों पर रहते हैं और इनके फलों को खाते हैं। ऐसे में गलती से भी इनके जूठे किए हुए फलों को खाना आपको बीमार कर सकता है। इसलिए इस बात का ख्याल रखना बेहद जरूरी है और पेड़ के पके हुए जूठे या फिर खराब फलों को खाने से बचें जो कि ऊपर से थोड़ा सा भी कटा या खाया हुआ सा दिखे।
निपाह वायरस के लक्षण-Nipah virus symptoms
निपाह वायरस ब्रेन में इंफेक्शन का कारण बन सकता है और गंभीर लक्षण भी पैदा कर सकता है। इसके अलावा निपाह वायरस एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन भी पैदा कर सकता है। जिसमें शुरुआती लक्षणों में बुखार,सिरदर्द,मांसपेशियों में दर्द,उल्टी, गले में खराश, चक्कर आना,सांस लेने में तकलीफ,बेहोशी और तंत्रिका संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
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निपाह वायरस से कैसे बचें-How is Nipah virus prevented
निपाह वायरस के इलाज के लिए कोई दवा या टीका नहीं है। निपाह वायरस के इलाज का एकमात्र तरीका लक्षणों का प्रबंधन और बचाव है। ऐसे में इन बातों का ख्याल रखना जरूरी है। जैसे कि
-चमगादड़ों या सूअरों के संपर्क से बचें।
-उन क्षेत्रों से बचें जहां चमगादड़ों का बसेरा माना जाता है।
-उन उत्पादों को खाने या पीने से बचें जो चमगादड़ द्वारा दूषित हो सकते हैं, जैसे कच्चे खजूर का रस,कच्चे फल या जमीन पर पाए जाने वाले पेड़ के पके हुए फल।
-नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोने धोते रहें।
-संक्रमित व्यक्ति के खून या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क से बचें।
इन सबके अलावा निपाह वायरस की रोकथाम में सतहों को कीटाणुरहित करने जैसे संक्रमण नियंत्रण उपाय भी मददगार हो सकते हैं। साथ ही बीमार जानवरों या निपाह वायरस के प्रकोप वाले क्षेत्रों से बचें क्योंकि यहां खतरा ज्यादा होता है।
Source: CDC and WHO