Nepal PM on India: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' एक बार फिर अपने बयाना से विवादों में घिर गए हैं। उनके बयान पर विपक्ष उनके पीछे पड़ गया है और उनका इस्तीफा मांग रहा है। नेपाली पीएम प्रचंड ने हाल ही में बयान दिया कि नेपाल में रहने वाले एक भारतीय उद्योगपति ने उन्हें नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त करने के लिए भारत से बात की थी। उनके इस बयान के बाद से नेपाल का समूचा विपक्ष भड़क गया और उनका इस्तीफा यह कहते हुए मांग रहा है कि नई दिल्ली की ओर से नियुक्त किए गए प्रधानमंत्री को पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। हालांकि प्रचंड ने अपनी बात पर बाद में सफाई भी दी। दरअसल, प्रचंड का विवादों से गहरा नाता है। जानिए ताजा विवाद क्या है, क्यों विपक्ष प्रचंड को घेर रहा है। यह भी जानिए कि प्रचंड पहले किन किन विवादों में फंसे हैं।
प्रचंड के इस बयान पर बुधवार को नेपाल की संसद के दोनों सदनों में भारी हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने कहा कि नेपाल के पीएम प्रचंड ने देश की प्रतिष्ठा को कम किया है। दोनों सदनों में हंगामा मचने के कारण सदनों को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया। प्रतिनिधि सभा में नेपाल की मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के सांसद खड़े होकर अपना विरोध जता रहे थे। वहीं, राजशाही समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र के सांसद नारे लगाते दिखे कि 'नई दिल्ली की तरफ से नियुक्त प्रधानमंत्री को पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।'
क्या कहा था नेपाल के पीएम प्रचंड ने?
नेपाली पीएम प्रचंड का विवादित बयान सोशला मीडिया पर भी वायरल है, जिसमें वे नेपाल में करीब 60 वर्षों से भी अधिक समय से रह रहे भारतीय बिजनेसमैन सरदार प्रीतम सिंह को लेकर एक प्रोग्राम को संबोधित कर रहे थे। प्रचंड ने कहा कि सरदार प्रीतम सिंह ने भारत-नेपाल रिश्तों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। नेपाल के प्रमुख अखबार, काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, पीएम प्रचंड कार्यक्रम में कह रहे थे, 'एक बार सरदार प्रीतम सिंह ने मुझे पीएम बनाने के लिए काफी कोशिश की थी। मुझे पीएम बनाने के लिए उन्होंने कई बार दिल्ली की यात्रा की और काठमांडू के नेताओं के साथ कई दौर की बातचीत की।' प्रचंड के इसी बयान को विपक्ष ने मुद्दा बनाया और उनके पीछे पड़ गया।
विवाद बढ़ता देख बयान से पलट गए प्रचंड
जब विपक्ष की ओर से हंगामा और इस्तीफे का दबाव बढ़ा तो नेपाली पीएम प्रचंड अपने बयान से पलट गए। उन्होंने एक समारोह में कहा कि 'पहले की तरह ही , विपक्ष मेरे मुंह में अपने शब्द डालने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन वो अपने इन प्रयासों में सफल नहीं होंगे।' इस मुद्दे पर प्रचंड की सत्ताधारी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने पार्टी की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी बुलाई है।
प्रचंड का विवादों से रहा है गहरा नाता
नेपाल के पीएम पुष्पकुमार दहल 'प्रचंड' जब पिछले दिनों भारत की यात्रा पर आए थे। इससे पहले विपक्ष ने उनसे कहा था कि नई संसद में लगे नक्शे में दिखाए गए नेपाली स्थलों को लेकर वह अपनी बात रखें। लेकिन प्रचंड ने इस तरह की कोई बात भारत यात्रा के दौरान नहीं की। इस पर यात्रा के बाद विपक्ष उन पर हमलावर हो गया था। साथ ही विपक्ष ने यह भी कहा था कि भारत यात्रा के दौरान सीमा विवाद पर भी भारत से बात करें। लेकिन पीएम मोदी के विश्वास और भारत से पारंपरिक दोस्ती और सहयोग के इतिहास को देखकर पीएम प्रचंड ने ठीक समझा कि सीमा विवाद पर बात करने सही नहीं है। लेकिन विपक्ष इसे एक मुद्दा बनाया और प्रचंड पर निशाना साधा।
प्रचंड ने भारत की यात्रा से पहले नेपाल द्वारा चीन से हथियारबंद वाहनों का करार ठंडे बस्ते में डालने की बात कही थी। वे नहीं चाहते थे कि भारत की यात्रा के दौरान कोई विवाद हो और वे कटघरे में खड़े हों। हालांकि भारत ने चीन से भी सस्ते दामों में हथियारबंद वाहन देने की बात कही थी, पर नेपाल की सेना चीन से ही यह वाहन खरीदना चाहती है। इस मुद्दे को प्रचंड ने भारत यात्रा के दौरान नहीं पनपने दिया और हथियारबंद वाहन खरीदने के नेपाली सेना के प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डलवा दिया।