Friday, November 22, 2024
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मिशन चंद्रयान 3 के पीछे है 15 साल की मेहनत, जानें कैसे हुई इस मिशन की शुरुआत, कैसे तय होगी चांद की दूरी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसरो के दफ्तर में मौजूद थे और सबकुछ देख रहे थे। तभी अचानक 2.50 बजे खामोशी छा गई। दरअसल बुरी खबर सामने आई थी।

Written By: Avinash Rai
Updated on: July 14, 2023 13:39 IST
Mission Chandrayaan 3 special for India Read how will be the journey from earth to moon- India TV Hindi
Image Source : PTI मिशन चंद्रयान 3 क्यों है भारत के लिए स्पेशल?

अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने कहा था कि 'अगर एक पेड़ को काटने के लिए मुझे 6 घंटे दिए जाएंगे तो मैं पहले 4 घंटे में अपनी कुल्हाड़ी को धार दूंगा'। ऐसा अब्राहम लिंकन ने इसलिए कहा था क्योंकि धारदार कुल्हाड़ी से एक पेड़ को काटना आसान है बजाय एक भोथरे कुल्हाड़ी से। अब्राहम लिंकन का यह कथन भारत के मिशन चंद्रयान के लिए की गईं तैयारियों से बिल्कुल मेल खाता है। मिशन चंद्रयान भारत का वो ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसपर भारत सरकार, वैज्ञानिकों और तमाम लोगों ने अपने 15 वर्ष खर्चे हैं। इस मिशन की शुरुआत आज से ठीक 14 साल पहले हुई थी। 

मिशन चंद्रयान की कैसे हुई शुरुआत

साल 2019 में अगर आपका ध्यान खींचे तो आपको याद होगा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर लैंडिंग का प्रयास किया था। इसके लिए भारत का लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला था। सबकुछ प्लान के मुताबिक चल रहा था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के दफ्तर में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसरो के दफ्तर में मौजूद थे और सबकुछ देख रहे थे। तभी अचानक 2.50 बजे खामोशी छा गई। दरअसल बुरी खबर सामने आई थी। खबर यह थी कि चंद्रयान के तहत चंद्रमा पर उतर रहा भारत का लैंडर विक्रम क्रैश हो चुका है। इसके बाद का एक दृश्य सबको याद होगा जब प्रधानमंत्री ने तब के इसरो चीफ के. सिवन को गले लगाया था, जब के। सिवन मिशन की असफलता पर रो रहे थे। 

7 सितंबर 2019 को लैंडर के क्रैश होने के बाद भी देश के वैज्ञानिकों का हौसला नहीं टूटा। आज चार साल बाद 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान 3 को दोपहर 2.30 बजे लॉन्च किया जाएगा। चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के साथ ही भारत वो चौथा देश बन जाएगा जिसने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की है। जानकारी के लिए बता दें कि चंद्रयान के लिए भारतीय वैज्ञानिक पिछले 15 सालों से तैयारी कर रहे हैं। यूं कह सकते हैं कि हमारे वैज्ञानिक अपने कुल्हाड़ी को समय के साथ धार में देने लगे हुए थे ताकि इस मिशन को पूरा किया जा सके। इस मिशन से भारत को काफी उम्मीदें हैं। 

मिशन चंद्रयान 1

मिशन चंद्रयान 1 को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 15 अगस्त 2003 को लालकिले से ऐलान करते हुए कहा था कि मुझे ये बताने में बड़ी खुशी हो रही है कि भारत चंद्रमा पर साल 2008 से पहले अपना अंतरिक्ष यान भेजेगा। इस मिशन का नाम होगा चंद्रयान 1। इस मिशन को सतीश धवन स्पेश सेंटर से 8 नवंबर 2008 को लॉन्च किया गया। यह यान चांद के ऑर्बिट में सफलतापूर्वक पहुंच गया। इससे मिले डेटा के आधार पर पता चला कि चांद पर पानी है। जिसकी पुष्टि बाद में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने भी कर दी। इस यान से 29 अगस्त 2009 के बाद संपर्क टूट गया। 

मिशन चंद्रयान 2

चंद्रयान मिशन 2 के तहत इसरो ने तय किया कि चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कर रोवर की मदद से चांद में मौजूद एलिमेंट्स का पता लगाया जाए। पहले यह मिशन 2013 में लॉन्च होना था, लेकिन कुछ कारणवश इसे टाल दिया गया, जिसके बाद 22 जुलाई 2019 को इस मिशन को लॉन्च किया गया। इस दौरान 20 अगस्त को यह यान चांद के ऑर्बिट में सफलतापूर्वक पहुंच गया। लेकिन लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान लैंडर से इसरो का संपर्क टूट गया। सरकार द्वारा बताया गया कि लैंडर के ब्रेक्रिंग थ्रस्टर में खराबी की वजह से लैंडर की क्रैश लैंडिंग हुई जिस कारण उससे संपर्क टूट गया। 

मिशन चंद्रयान 3 की अहमियत और काम

14 जुलाई 2023 इस दिन चंद्रयान 3 मिशन को इसरो लॉन्च करने वाला है। दोपहर 2.35 बजे यह मिशन लॉन्च होगा। इस मिशन का लक्ष्य है चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग। रोवर को चांद की सतह पर चलाना और चांद पर मौजूद एलिमेंट्स की जानकारी इकट्ठा करना। इस यान को तैयार करने में लगभग 700 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इस यान का लैंडर चांद के उस हिस्से यानी चांद के वीरान हिस्सों में जाएगा और वहां मौजूद धातु तथा अन्य एलिमेंट्स की जानकारी जुटाएगा। 

चंद्रयान 3 कैसे तय करेगा चांद की दूरी

सतीश धवन स्पेस सेंटर में चंद्रयान 3 स्पेसक्राफ्ट लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (LVM 3) के जरिए पृथ्वी के ऑर्बिट तक का सफर तय करेगा। एलवीएम 3 की लंबाई 43.5 मीटर और वजन 640 टन है। यह रॉकेट अपने साथ 8 टन तक का भार लेकर उड़ सकता है। चंद्रयान 3 स्पेसक्राफ्ट में लैंडर मॉड्यूल का वजन 1.7 टन, प्रोपल्शन का वजन 2.2 टन और लैंडर के अंदर मौजूद रोवर का वजन 26 किलो है। 

चंद्रयान 3 कैसे पहुंचेगा चंद्रमा की सतह पर

चंद्रयान 3 को रॉकेट की मदद से पृथ्वी के ऑर्बिट में भेजा जाएगा। इसके बाद यह स्पेसक्राफ्ट अपने प्रोपल्शन का इस्तेमाल कर धरती का चक्कर लगाते हुए अपने दायरे को बढ़ाता रहेगा। दायरा धीरे-धीरे बढ़ते हुए चांद के ऑर्बिट तक पहुंच जाएगा, जिसके बाद स्पेसक्राफ्ट चांद के चक्कर लगाना शुरू कर देगा। चांद के ऑर्बिट में पहुंचने के बाद लैंडर को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराया जाएगा। बता दें कि इस स्पेसक्राफ्ट को धरती से चांद तक की दूरी तय करने में 45-48 दिन तक का समय लग सकता है। 

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