Wednesday, October 30, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. Explainers
  3. Exclusive: मेंहदीपुर बालाजी मंदिर की क्या है सच्चाई? लोगों के संकट कैसे कटते हैं? क्या कोई कीमत देनी होती है? जानें सब कुछ

Exclusive: मेंहदीपुर बालाजी मंदिर की क्या है सच्चाई? लोगों के संकट कैसे कटते हैं? क्या कोई कीमत देनी होती है? जानें सब कुछ

मेंहदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले की सिकराय तहसील में स्थित है। यहां मुख्य रूप से बालाजी (हनुमानजी), भैरव और प्रेतराज सरकार की पूजा की जाती है।

Reported By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Updated on: July 05, 2023 13:21 IST
Mehndipur Balaji Mandir- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV GFX मेंहदीपुर बालाजी मंदिर में फोटोग्राफी वर्जित है।

मेंहदीपुर बालाजी से ऋतुराज त्रिपाठी की ग्राउंड रिपोर्ट: सुबह का वक्त है, राजस्थान के बांदीकुई रेलवे स्टेशन से एक जीप 70 रुपए प्रति सवारी के हिसाब से मेंहदीपुर बालाजी मंदिर से कुछ दूर पहले यात्रियों को उतार देती है। पहली बार यात्रा कर रहे यात्री जीप से उतरकर चारों तरफ रोमांच से भरी निगाहों से देखते हैं। जगह-जगह पर भोजनालय, धर्मशाला, होटल दिखाई दे रहे हैं। जैसे ही यात्री मंदिर की तरफ आगे बढ़ते हैं, लगभग हर दुकान मंदिर का प्रसाद और सामग्री (अर्जी, दरख्वास्त, सवामणि, पूजन सामग्री और बालाजी की फोटो और किताब) बेचने वालों की दिखती है। यहां पर बच्चों के खिलौने भी हैं, जिसमें गदा और धनुष बाण प्रमुख हैं। ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई मेला लगा हो। ये नजारा लगभग पूरे साल ही रहता है। 

कुछ दूर चलते ही बालाजी का मंदिर दिखाई देने लगता है और उसके सामने सैकड़ों लोगों की भीड़ 2 लाइन में चल रही है। एक लाइन बालाजी मंदिर के दर्शनों के लिए है, दूसरी लाइन पवित्र जल और भभूत के लिए लगी है। मान्यता है कि इस जल और भभूत से बड़े से बड़े संकट कट जाते हैं। जैसे ही आप बालाजी मंदिर के सामने पहुंचेंगे तो देखेंगे एक रेलिंग बनी हुई है और रस्सी लगी हुई है। इसे पकड़कर कुछ लोग झूम रहे हैं, कुछ चिल्ला रहे हैं, कुछ अपने बालों को नोंच रहे हैं और कुछ तमाम तरीके की अजीब हरकतें कर रहे हैं। मान्यता है कि लोगों के ऊपर जो भी ऊपरी संकट (भूत-प्रेत, किया-कराया, तांत्रिक बाधा) होता है, वह बालाजी के सामने इसी तरह उभरकर सामने आ जाता है और बालाजी हर संकट को दूर कर देते हैं। 

क्या है मंदिर में दर्शन की प्रक्रिया?

ऐसा बिल्कुल नहीं है कि जो लोग ऊपरी बाधा (भूत-प्रेत वगैरह) से पीड़ित होते हैं, केवल वही बालाजी मंदिर जाते हैं। सामान्य तौर पर भी भारी संख्या में लोग यहां दर्शन के लिए जाते हैं और मान्यता है कि इस मंदिर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता, बाबा सबकी मनोकामना पूरी करते हैं। मंदिर में दर्शन करने के लिए सुबह 4 बजे से ही लाइन लगनी शुरू हो जाती है। यहां प्रसाद 2 तरह से चढ़ाया जाता है, जिसे दरख्वास्त और अर्जी कहते हैं। 

मान्यता है कि दरख्वास्त मंदिर में सुरक्षित आने और जाने के लिए लगाते हैं और अर्जी किसी विशेष मनोकामना  (जैसे- नौकरी या बिजनेस, परीक्षा में सफलता, रोग दूर करने के लिए, परिवार में सुख शांति के लिए, विवाह के लिए, संतान प्राप्ति के लिए या भूत-प्रेत बाधा मुक्ति) के लिए लगाते हैं। वहीं सवामणि एक विशेष प्रकार का प्रसाद होता है, जिसे भक्त अपनी मनोकामना के पूरे होने के बाद बालाजी में चढ़ाते हैं। 

अर्जी और दरख्वास्त के प्रसाद के डिब्बों में क्या होता है?

बालाजी के मंदिर में मुख्य रूप से 3 देव हैं, जिसमें बालाजी, भैरव और प्रेतराज सरकार स्थापित हैं। मंदिर में इन्हीं की पूजा होती है। पहले इन देवों को प्रसाद चढ़ाने की प्रक्रिया अलग थी। दरख्वास्त में एक छोटे से दोने मे कुछ लड्डू, बताशे व घी होते थे और अर्जी में लड्डू, उड़द और चावल होते थे। 

मान्यता के मुताबिक, बालाजी को लड्डू, भैरव को उड़द और प्रेतराज सरकार को चावल चढ़ते थे। लेकिन अब नई प्रक्रिया के तहत इसे बंद कर दिया गया है। अब दरख्वास्त और अर्जी दोनों ही तरह के प्रसाद के डिब्बों में बेसन के लड्डू होते हैं। दरख्वास्त के डिब्बे में कम लड्डू होते हैं और अर्जी के डिब्बे में ज्यादा मात्रा में लड्डू होते हैं।

क्या अर्जी और दरख्वास्त के प्रसाद को खा सकते हैं?

इस सवाल का जवाब देना थोड़ा मुश्किल है। क्योंकि जितने लोगों से मंदिर के बाहर इस बारे में हमने बात की, उन्होंने अलग-अलग जवाब दिए। किसी ने कहा कि 2 लड्डू वो व्यक्ति खा सकता है, जिसके ऊपर संकट है और बाकी के लड्डुओं को संकटग्रस्त व्यक्ति के सिर के ऊपर सात बार उतारकर किसी जानवर या मांगने वाले को दे देना चाहिए।

वहीं किसी ने बताया कि दरख्वास्त के लड्डू कोई भी खा सकता है लेकिन अर्जी के नहीं खाने चाहिए। ऐसे में बेहतर यही है कि आप वो करें जो बालाजी ट्रस्ट के कार्यालय में बैठे कर्मचारी आपको बताएं। शायद वो दुकानदारों और राहगीरों से बेहतर सलाह दे पाएंगे।

कैसे कटते हैं भूत-प्रेत वाले संकट?

मान्यता है कि संकटग्रस्त व्यक्ति (भूत-प्रेत बाधा से पीड़ित) बालाजी के दरबार में अर्जी के लगाने के बाद जैसे ही 2 लड्डू खाता है और फिर उन्हें अपने सिर से 7 बार उतारकर किसी मांगने वाले को दे देता है या जानवर को खिला देता है तो उसके अंदर मौजूद निगेटिव एनर्जी को बहुत पीड़ा होती है। ऐसे व्यक्ति को जैसे ही सुबह और शाम को होने वाली बालाजी की आरती में ले जाया जाता है तो उसके अंदर का संकट उभरकर सामने आ जाता है और वह अजीब हरकतें करने लगता है।  

इसे स्थानीय भाषा में कहते हैं कि पीड़ित व्यक्ति के अंदर का भूत-प्रेत कराहने लगता है और जैसे ही बालाजी की आरती खत्म होती है तो बालाजी के अंदर से निकलने वाले पवित्र जल की छींटे इस पीड़ित के ऊपर डाली जाती हैं। पवित्र जल के पड़ने से पीड़ित व्यक्ति को अपने संकट से मुक्ति मिल जाती है। 

मान्यता है कि हर व्यक्ति को यहां बालाजी की सुबह-शाम को होने वाली आरती में जरूर शामिल होना चाहिए और आरती के बाद पवित्र जल के छींटे लेने चाहिए। वैसे ये पवित्र जल हर रोज सुबह एक घंटे श्रद्धालुओं को बांटा जाता है, जिसके लिए लंबी लाइनें लगती हैं। जल को स्टोर करने के लिए मंदिर के सामने ही डिब्बे मिलते हैं। अगर आप किसी बाधा से पीड़ित नहीं हैं, फिर भी इस जल को लेने से आपके जीवन की हर परेशानी का अंत होगा, ऐसा कहा जाता है।

क्या बालाजी में संकट कटवाने के लिए कोई कीमत तय है?

बालाजी ट्रस्ट के द्वारा मंदिर परिसर में बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ है कि किसी भी संकट को काटने के लिए बालाजी के मंदिर में कोई रुपया या चढ़ावा नहीं लिया जाता है। अगर कोई पंडित या झाड़-फूंक करने वाला आप से रुपए लेकर संकट काटने की बात करता है तो भ्रमित ना हों। 

बालाजी ट्रस्ट के द्वारा लिखी गईं इन बातों के बावजूद कई बार लोग ऐसे चक्करों में पड़ जाते हैं, जहां बड़ा आर्थिक नुकसान होता है। क्योंकि बालाजी मंदिर के पास ही कई ऐसे मंदिर के पुजारी हैं, जो आपको देखते ही तमाम दावों के आधार पर रुपयों की मांग करते हैं और कहते हैं कि आपने अगर रुपया नहीं दिया तो आपका अहित होगा। ऐसे लोग कहते हैं कि ऊपर से आदेश आया है कि आप 5 दिन का दीपक या 10 दिन का दीपक जलाएं। एक दिन के दीपक जलाने की कीमत 151 रुपए है इसलिए 10 दिन का 1510 रुपए जमा करें। 

अगर आपको कोई भी ऐसी बात कहता है तो भ्रमित ना हों। बालाजी ट्रस्ट का साफ कहना है कि मंदिर द्वारा कोई रुपया नहीं लिया जाता। अगर मंदिर के कर्मचारी भी आपसे किसी संकट को काटने के बदले रुपयों की मांग करें तो उन्हें कुछ ना दें और भ्रमित ना हो। बालाजी मंदिर में हर संकट को बालाजी खुद ही काटते हैं। आप बस अपनी श्रद्धा और भक्ति पर विश्वास करें और अगर आप मंदिर में कुछ चढ़ाना चाहते हैं तो उसके दान पात्र में चढ़ाएं।

किन बातों का ध्यान रखें?

मान्यता है कि अर्जी लगाने के बाद व्यक्ति को पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए और सीधा चलते रहना चाहिए। बालाजी के मंदिर में आने से 10 दिन पहले मांस, अंडा, शराब, प्याज, लहसन का सेवन बंद कर देना चाहिए और मंदिर से लौटने के बाद 41 दिन तक इन चीजों का परहेज करना चाहिए। 

मान्यता ये भी है कि संकट कटवाने वाले व्यक्ति को बालाजी से लौटने के बाद 41 दिनों तक सफेद चीजें (दूध,दही,चावल,सफेद मिठाई) नहीं खानी चाहिए। इसके अलावा जमीन पर सोना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। कहा ये भी जाता है कि 41 दिनों तक ना ही किसी के घर जाना चाहिए और ना ही किसी के घर का खाना चाहिए। 

ये भी पढ़ें: 

Akhilesh Yadav Birthday: छोटे कस्बे में जन्म, विदेश में पढ़ाई और लव मैरिज से लेकर यूपी के CM बनने तक का सफर

महाराष्ट्र: बुलढाणा में समृद्धि महामार्ग एक्सप्रेसवे पर बस में आग लगी, 26 यात्रियों की मौत

 

 

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें Explainers सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement