महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून सत्र कल यानी सोमवार से शुरू हो रहा है। महाराष्ट्र का ये मानसून सत्र अपने आप में एक अजीब तस्वीर के साथ शुरू होने वाला है। इस विधानसभा सत्र में सबसे अजीब और अभूतपूर्व तस्वीर दिखने वाली है राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) की। इस पार्टी के नेता भी दो धड़ों में बट चुकी शिवसेना की ही तरह अब सत्ता पक्ष और विपक्ष में दोनों तरफ की कुर्सियों पर दिखाई देंगे। इस पूरे सत्र के दौरान सबसे असहज और अनचाही स्थिति का सामना करेंगे अजित पवार। इसकी वजह है कि अजित पवार इस सत्र से पहले महाराष्ट्र विधानसभा के नेता विपक्ष रहे हैं। अब कुछ ही महींने में टेबल के सिरे घूम गए और नेता विपक्ष की बजाय सत्तापक्ष के नेता हो गए। हालांकि आज सुबह अजित पवार के सरकारी आवास देवगिरी बंगले पर एनसीपी के सभी मंत्रियों की बैठक हुई थी। इस बैठक में तय किया गया कि वे शरद कैंप के विधायकों पर निजी हमले नहीं करेंगे। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि पिछले सत्र में नेता विपक्ष की कुर्सी से खड़े होकर अजित पवार ने महाराष्ट्र सरकार से जिन मुद्दों पर सवाल पूछे थे, जिनका विरोध किया था, जिनपर हंगामा बरपाया था, अब उपमुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर उन्हीं सवालों का सामना कैसे करेंगे?
अजित पवार ही नहीं पूरी एनसीपी भी चक्रव्यूह में!
मानसून सत्र शुरू होने के पहले अजित पवार और उनके साथ के सभी मंत्री शरद पवार का आशीर्वाद लेने जाएंगे लेकिन क्या केवल इतने भर से मानसून सत्र के दौरान विपक्ष में बैठी आधी एनसीपी और उसके सुल्तान शरद पवार सदन की कार्यवाही के दौरान सवाल नहीं पूछेंगे या फिर अजित पवार ये संदेश देना चाह रहे हैं कि एनसीपी अभी भी एक ही है। और ऐसा है तो एनसीपी का एक पैर सत्ता में और दूसरा पैर विपक्षी खेमें में रहने से संतुलन कैसे बनेगा। बात केवल यहां तक नहीं, सवाल ये भी है कि कल तक जो एनसीपी शिंदे गुट की शिवसेना को बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर सदन के अंदर और बाहर कटाक्ष करती थी अब उसी एनसीपी का एक हिस्सा लेकर अजित खुद शिंदे सरकार में शामिल हो गए हैं।
अब दूसरे धड़े की एनसीपी सवाल अपनों से ही करेगी या अजित की तरह उसके लिए स्थिति असहज हो जाएगी। लेकिन इस बीच सूत्रों की मानें तो अजित पवार उनके साथी मंत्री शरद पवार को मनाने की कोशिश कर रहे हैं। बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन में एनसीपी क्यों शामिल हुई, इस मुद्दे पर शरद पावर को मनाने की कोशिश की जा रही है। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि अगर शरद पवार मान जाते हैं तो केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में सुप्रिया सुले का मंत्री बनने का रास्ता साफ हो सकता है। ऐसे में अगर अजित पवार मान जाते हैं तो फिर विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष में बैठी एनसीपी सत्ता में बैठी एनसीपी से सवाल कैसे पूछेगी?
सत्ता को घेरने की बजाय खुद विपक्ष में होगी खींचतान
महाराष्ट्र विधानसभा सत्र में किन मुद्दों को उठाना है, कैसे सरकार को घेरना है और नेता विपक्ष का पद किस दल को मिले इसे चर्चा करने के लिए विपक्ष की संयुक्त बैठक बुलाई गई है। महाराष्ट्र विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष में संघर्ष के हालात बनें उससे पहले तो खुद विपक्षी दलों में ही खींचतान देखने को मिलेगी। इस सत्र में कांग्रेस, उद्दव की शिनसेना और शरद की एनसीपी, इन तीनों के बीच इस बात पर संघर्ष रहेगा कि नेता विपक्ष कौन बनेगा। इसको लेकर आज विपक्षी दलों की बैठक भी हुई। इस बैठक में कांग्रेस की तरफ से अशोक चव्हाण, नाना पटोले और पृथ्वीराज चव्हाण शामिल हुए।
एनसीपी (शरद पवार गुट) से जितेंद्र आव्हाड और एकनाथ खडसे आए तो वहीं शिवसेना (UBT) से आदित्य ठाकरे और अंबादास दानवे मौजूद रहे। सियासत की नजर से देखें तो सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी ने ये हालात तैयार कर दिए कि जब सत्ता को घेरने की बजाय पहले खुद विपक्षी ही नेता विपक्ष पद के लिए आपस में रस्सी खींच रहा होगा। यहां भी महाराष्ट्र विधानसभा की ये तस्वीर देखने लायक रहेगी। हालांकि विपक्षी दलों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और उम्मीद है कि वह विधानसभा में विपक्ष के नेता पद के लिए औपचारिक रूप से दावा पेश करेगी।
एक दूसरे को अयोग्य ठहाराने की भी लड़ाई जारी
इस बीच महाराष्ट्र विधानसभा में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) शिंदे सहित बाकी बागियों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने के लिए स्पीकर राहुल नार्वेकर पर दबाव बढ़ा रही है। वहीं एनसीपी के भी दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने पर जोर दिया है। शरद पवार के नेतृत्व वाला पक्ष अपने भतीजे और 8 राकांपा मंत्रियों को अयोग्य ठहराने पर अड़ा है, जबकि अजित पवार समूह ने महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल और मुख्य सचेतक जितेंद्र अवहाड़ को अयोग्य घोषित करने की मांग की है। ये भी बता दें कि शिंदे का समर्थन करने वाले शिवसेना विधायकों और निर्दलीय विधायकों का एक बड़ा वर्ग अजित पवार के गठबंधन में शामिल होने से नाखुश हैं। तो सवाल ये भी है कि सत्ता पक्ष में बैठे बहुत से विधायक जो साथ में बैठे अजित और उनके मंत्रियों की अपने साथ मौजूदगी को कैसे बर्दाश्त करेंगे।
अब खुद के ही पूछे सवालों के जवाब दे पाएंगे अजित पवार?
अब आपको बताते हैं पिछले सत्र में नेता विपक्ष की हैसियत से अजित ने उसी शिंदे सरकार के सामने कुछ सवाल और मुद्दे उठाए थे जिसमें अब वो खुद जाकर शामिल हो गए हैं। महाराष्ट्र विधानसभा में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने पुलिस पर बढ़ते हमलों का मुद्दा उठाया था। महाराष्ट्र विधानसभा के पिछले सत्र में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने सदन की विशेष बैठक के दौरान मंत्रियों की अनुपस्थिति को लेकर राज्य सरकार की जमकर खिंचाई की थी क्योंकि इसके कारण आठ में से सात ध्यानाकर्षण नोटिस को स्थगित करना पड़ा था। इस पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को माफी तक मांगनी पड़ी थी। एक ध्यानाकर्षण नोटिस सदन के सदस्यों को बहुत जरूरी सार्वजनिक महत्व के मामले पर मंत्री का ध्यान आकर्षित करने की अनुमति देता है। अजित पवार ने कहा था, ‘‘यह बेशर्मी की पराकाष्ठा है कि मंत्री विधायी कार्यों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। वे मंत्री बनना चाहते हैं, लेकिन अपने विभागों से संबंधित कार्यों को नहीं करेंगे।’’
अजित ने राज्य में पुलिसकर्मियों पर बढ़ते हमलों को लेकर चिंता जतायी थी और कहा था कि इसका उनके मनोबल पर असर पड़ सकता है। पवार ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए दावा किया था कि पिछले तीन महीने में ऐसी 30 से ज्यादा घटनाएं हुई हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता पवार ने कहा था कि सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ऐसे उपद्रवी हिम्मत न जुटा पाएं। उन्होंने ऐसे मामलों में तेजी से आरोप पत्र दायर किए जाने की भी मांग की थी।
इन सारी असहज स्थितियों से बचना मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और दो उपमुख्यमंत्रियों-देवेंद्र फड़णवीस और अजित पवार के लिए एक तरह की अग्निपरीक्षा ही होगी। गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा का तीन सप्ताह का मानसून सत्र 17 जुलाई से 4 अगस्त तक मुंबई के नरीमन पॉइंट स्थित विधान भवन परिसर में आयोजित किया जाएगा।
(समीर भिसे, दिनेश मौर्या, सूरज ओझा के इनपुट के साथ)
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