राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में फूट पड़ चुकी है। शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने अपना समर्थन भाजपा-शिवसेना शिंदे गुट को दे दिया है। लेकिन शरद पवार के खिलाफ हुई इस बगावत का राष्ट्रीय राजनीति पर क्या असर होने वाला है। दरअसल भाजपा तीसरी बार लोकसभा चुनाव 2024 जीतने की तैयारी कर रही है। ऐसे में भाजपा को हराने को लेकर विपक्षी पार्टियां गठबंधन करने में जुटी हुई हैं। पटना में इस बाबत एक मीटिंग का भी आयोजन किया गया था। इस मीटिंग में भाग लेने के लिए शरद पवार भी पहुंचे थे। वहीं इससे पहले उन्होंने राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे तथा नीतीश कुमार के साथ मुलाकात की थी।
विपक्षी गठबंधन पर क्या होगा असर
अजित पवार की इस बगावत का सबसे बुरा प्रभाव विपक्षी एकता पर होने वाला है। क्योंकि पटना की मीटिंग में 15 दलों के नेता शामिल होने पहुंचे थे। ऐसे में इस बगावत का असर सीधे 15 पार्टियों की गठबंधन पर पड़ने वाला है। पटना में होने वाली इस बैठक से पहले नीतीश कुमार के करीबी रहे जीतन राम मांझी ने एनडीए को समर्थन दे दिया। वहीं अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के बीच का विवाद भी जगजाहिर है, जहां आम आदमी पार्टी ने कहा था कि कांग्रेस केंद्र के अध्यादेश पर अपना मत स्पष्ट करे। बंगाल पंचायत चुनाव के मद्देनजर कम्युनिष्ट पार्टी और कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन किया है। इस मामले पर तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी द्वारा लगातार कांग्रेस पर हमले किए जा रहे हैं। ऐसे में पिछले 1 महीने में हुए ये घटनाक्रम विपक्ष के मतभेद को दर्शा रहे हैं।
महाराष्ट्र में भाजपा हो रही मजबूत
महाविकास अघाड़ी की सरकार के दौरान शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच कई विवाद देखने को मिले थे। हालांकि तब तक राज्य में भाजपा की पकड़ कमजोर थी। लेकिन जैसे ही एकनाथ शिंदे ने भाजपा का हाथ थामा तब से भाजपा एक बार फिर राज्य में उभरने लगी है। इस बीच एनसीपी से बगावत कर भाजपा और शिवसेना का साथ दे चुके अजित पवार के कारण भाजपा को राज्य में और मजबूती मिल सकती है। अब राज्य में भाजपा फिर से स्थिति को नियंत्रित करने वाली पार्टी बनकर उभरने लगी है। इस कारण लोकसभा चुनाव में भाजपा की पकड़ महाराष्ट्र में और मजबूत हो सकती है।
शरद पवार को मिली हार?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शरद पवार और सुप्रिया सुले ने पटना में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ मंच साझा किया था। इससे अजित पवार के समर्थक नाराज हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि क्या क्षेत्रीय दल व राज्यों की छोटी पार्टियां राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार करेंगी। वहीं अजित पवार के बगावत के बाद ये सवाल भी खड़े होने लगे हैं कि शरद पवार अपनी पार्टी को ठीक से संभाल नहीं पा रहे हैं। शरद पवार जो राजनीति के धुरंधर माने जाते हैं। लेकिन अब ये भी कहा जाने लगा कि है अजित पवार की मदद से भाजपा ने शरद पवार को शिकस्त दी है। हालांकि शरद पवार इस मामलों पर आज सार्वजनिक रूप से बयान देने वाले हैं।
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