Saturday, January 11, 2025
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Explainer: महाराष्ट्र में महायुति ने पार की पहली बाधा, अब सीएम फडणवीस के सामने होंगी ये चुनौतियां

महायुति गठबंधन में सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी ने राज्य का नेतृत्व करने के लिए फडणवीस पर काफी भरोसा जताया है। मुख्यमंत्री के तौर पर अपने तीसरे कार्यकाल में फडणवीस को महाराष्ट्र के लोगों के बीच लोकप्रिय नेता के तौर पर एक शिंदे की जगह लेनी होगी।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Dec 06, 2024 10:16 IST, Updated : Dec 06, 2024 10:16 IST
devendra fadnavis, maharashtra
Image Source : PTI शपथ ग्रहण के बाद पीएम मोदी के साथ देवेंद्र फडणवीस

Explainer: महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है। उनके साथ एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने डिप्टी सीएम की शपथ ली है। इसके साथ ही महायुति गठबंधन ने सरकार गठन के रास्ते की पहली बाधा पार कर ली है। अब कैबिनेट के गठन को लेकर मंथन होना है। हालांकि उसका फॉर्मूला भी तय कर लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के कोटे से 20 मंत्री हो सकते हैं। बीजेपी गृह और वित्त मंत्रालय भी अपने पास रखेगी। वहीं सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना के कोटे से 13 मंत्री तो वहीं एनसीपी के कोटे से 10 मंत्री हो सकते हैं।

महाराष्ट्र की बेहतरी के लिए फैसले लेंगे-फडणवीस

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को अगले पांच सालों में स्थिर सरकार देने का संकल्प लिया और कहा कि उनका प्रशासन राजनीतिक प्रतिशोध की बजाय प्रगति को प्राथमिकता देगा। पदभार संभालने के बाद पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस में फडणवीस ने कहा, "पिछले 2.5 सालों में हमने महाराष्ट्र के विकास के लिए काम किया है और अब हम महाराष्ट्र के विकास के लिए काम करेंगे और हम अब नहीं रुकेंगे।" उन्होंने कहा, "दिशा और गति वही है, बस हमारी भूमिकाएं बदल गई हैं। हम महाराष्ट्र की बेहतरी के लिए फैसले लेंगे। हम अपने घोषणापत्र में बताए गए कामों को पूरा करना चाहते हैं।" अब फडणवीस ने बतौर मुख्यमंत्री यह ऐलान तो कर दिया लेकिन उनकी चुनौतियां भी नहीं होंगे। आइये जानते हैं कि फडणवीस के सामने किस तरह की चुनौतियां होंगी।

शिंदे और पवार को साथ लेकर चलना होगा

महायुति गठबंधन में सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी ने राज्य का नेतृत्व करने के लिए फडणवीस पर काफी भरोसा जताया है। मुख्यमंत्री के तौर पर अपने तीसरे कार्यकाल में फडणवीस को महाराष्ट्र के लोगों के बीच लोकप्रिय नेता के तौर पर एक शिंदे की जगह लेनी होगी। हालांकि फडणवीस ने बतौर मुख्यमंत्री अपने पहले कार्यकाल के दौरान अपनी योग्यता साबित कर दी है, लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं और फडणवीस खुद इसे महसूस करते हैं। इस बार एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ उन्हें चलना होगा।

गठबंधन में एकनाथ शिंदे की मजबूत स्थिति

पहली बात तो ये है कि एकनाथ सिंदे ने भले ही डिप्टी सीएम का पद स्वीकार कर लिया है लेकिन उनके मन में सीएम बने रहने की इच्छा तो थी। हर बार वे अपने सरकार में लाई गई योजनाओं खासतौर से लाडकी बहन योजना को इस चुनाव में सफलता का श्रेय देते रहे। उन्होंने डिप्टी सीएम का पद भी अनिच्छा से ही स्वीकार किया। ऐसे में फडणवीस की पहली कोशिश होगी कि वे एकनाथ शिंदे के साथ बेहतर समन्वय के साथ चलें। जब शिंदे 2022 में उद्धव की सेना छोड़कर भाजपा में शामिल हुए, तो भाजपा के पास उन्हें सीएम की कुर्सी पर बनाए रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। हालांकि ऐसा लगता है कि वे शुरुआती कुछ महीनों में गठबंधन के लिए परेशानी खड़ी नहीं करेंगे, लेकिन शिंदे अभी भी गठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत बनाए हुए हैं, क्योंकि विधानसभा में शिवसेना दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। 

कैबिनेट के गठन में भी आएंगी मुश्किलें

फडणवीस सरकार को कैबिनेट के गठन में भी मुश्किलों का सामन करना पड़ेगा। एकनाथ शिंदे और अजि पवार द्वारा महत्वपूर्ण मंत्रालयों की मांग के साथ गठबंधन अभी भी पोर्टफोलियो आवंटन के बारे में एकमत नहीं है। शिंदे शहरी विकास और महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) मंत्रालयों को बनाए रखने पर विचार कर रहे हैं और राजस्व, कृषि, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, उद्योग और सामाजिक न्याय सहित अन्य विभागों के लिए जोर दे रहे हैं। इस अजित पवार अपने उपमुख्यमंत्री पद से संतुष्ट हैं, लेकिन वित्त मंत्रालय अपने लिए चाहते हैं। इसलिए इस बंटवारे में भी सबको साथ लेकर चलने की कला की परीक्षा होगी।

बीएमसी के कराने होंगे चुनाव

राज्य चुनाव जीतने के बाद फडणवीस की सरकार को पहले से ही विलंबित बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के चुनाव कराने होंगे।  शिवसेना और भाजपा के शिंदे गुट के सत्ता में आने और बीएमसी के परिसीमन को संशोधित करने का फैसला करने के बाद चुनाव स्थगित कर दिए गए थे। तब से, बीएमसी भ्रष्टाचार के आरोपों, आवश्यक सेवाओं के लगभग ठप होने आदि  की शिकायतों से भरी पड़ी है। पिछले हफ़्ते, शिवसेना के सांसदों ने एक बैठक में अमित शाह के साथ बीएमसी चुनावों पर चर्चा की थी।

कर्ज संकट का निकालना होगा समाधान

यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि महायुति की जीत में लाडकी बहिन योजना एक प्रमुख प्रेरक शक्ति थी, लेकिन इसकी कीमत चुकानी पड़ी। फडणवीस अब 90,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। अकेले कर्ज पर ब्याज भुगतान महाराष्ट्र के राजस्व का 40 प्रतिशत है। नए मुख्यमंत्री को न केवल इस संकट का रास्ता ढूंढना है बल्कि महायुति के वादे को भी पूरा करना है। इस योजना के तहत वित्तीय सहायता को 1,800 रुपये से बढ़ाकर 2,100 रुपये प्रति माह करने का वादा किया गया है। महाराष्ट्र भारत का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है और फडणवीस के सामने इसे विकास की राह पर वापस लाने का बड़ा दायित्व है। फडणवीस के नेतृत्व में महायुति गठबंधन को क्षेत्रीय असमानताओं जैसे अन्य मुद्दों का भी हल ढूंढना है, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा मराठा आरक्षण का मामला है। उन्हें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या का भी समाधान करना है।

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