रूस की राजधानी मॉस्को में एक कॉन्सर्ट हॉल में हुए हमले के सिलसिले में 11 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इस हमले में मृतकों की संख्या बढ़कर 140 के पार पहुंच गई है। हमलावरों ने गोलीबारी के बाद हॉल को आग लगा दी। रूस की सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह हमला यूक्रेन से जुड़ा है, हालांकि इस्लामिक स्टेट आतंकवादी समूह ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। इस्लामिक स्टेट समूह ने सोशल मीडिया पर संबद्ध चैनलों पर साझा किए गए एक बयान में हमले की जिम्मेदारी ली है। इस्लामिक स्टेट समूह ने अपनी समाचार एजेंसी ‘अमाक’ की तरफ से साझा किए गए एक बयान के जरिए कहा कि उसने मॉस्को के बाहरी इलाके क्रास्नोगोर्स्क में ‘ईसाइयों’ की एक बड़ी सभा पर हमला किया, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए और घायल हो गए। फिलहाल दावे की प्रामाणिकता सत्यापित नहीं की जा सकी है लेकिन एक अमेरिकी खुफिया अधिकारी ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी को पता चला था कि अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट समूह की शाखा मॉस्को में हमले की साजिश बना रही थी और उन्होंने रूसी अधिकारियों के साथ जानकारी साझा की थी।
क्या है आईएसआईएस खुरासान
आईएसआईएस खुरासान ने रूस को टारगेट क्यों किया, इसके पीछे मकसद क्या था...यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है। अब रूस में हुए आतंकी हमले में जो एक नाम उभरकर सामने आ रहा है वो है आईएसआईएस खुरासान। आखिर ये आईएसआईएस खुरासान है क्या, कैसे अस्तित्व में आया, मंशा क्या है, कहां-कहां हमले कर चुका है...चलिए आपको इन्हीं सब चीजों के बार में इस रिपोर्ट के जरिए बताते हैं।
कहा से हुई शुरुआत
माना जाता है कि आईएसआईएस खुरासान साल 2014 में पहली बार उत्तरी अफगानिस्तान में अस्तित्व में आया था। मौजूदा समय की बात करे तो ये आईएसआईएस के सबसे सक्रिय सहयोगियों में से एक है। ‘खुरासान’ इस पूरे क्षेत्र में एक खलीफा इंगित करता है जो आज के अफगानिस्तान, ईरान, पाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के कुछ हिस्सों में शामिल था। खुरासान को फारसी भाषा में खुरासान-ए-कहन भी कहा जाता है। शुरुआत में खुरासान लड़ाके आतंकवादी संगठन अल-कायदा की एक ब्रांच के तौर पर ही काम करते थे लेकिन 2014 के बाद खुरासान क्रूरता का नया नाम बन गया। आईएसआईएस के करीब 20 मॉड्यूल हैं और इसमें सबसे खतरनाक आईएसआईएस खुरासान को ही माना जाता है।
अमेरिका और तालीबान को पहुंचाया नुकसान
आईएसआईएस खुरासान ने अमेरिका और तालीबान को भी बहुत नुकसान पहुंचाया है। अमेरिका आज भी इसे खतरा मानता है। 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद खुरासान ने बड़े बड़े हमलों को अंजाम दिया है। हालांकि, 2018 के आसपास चरम पर आईएसआईएस खुरासान की सदस्यता में गिरावट देखने को मिली है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकी संगठन के पास 2,500 सक्रिय आतंकी ही बचे हैं। वहीं, अमेरिका का कहना है कि अब खुरासान के पास केवल 1,000 सदस्य ही बचे हैं और इनकी संख्या लगातार घट रही है। अमेरिकी सेंट्रल कमांड के कमांडर जनरल माइकल कुरिला ने पिछले मार्च में कांग्रेस को बताया था कि आईएसआईएस खुरासान यूरोप और एशिया में "बाहरी ऑपरेशन" करने की क्षमता तेजी से विकसित कर रहा है। उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि ये मॉड्यूल अफगानिस्तान के बाहर भी हमला करने में सक्षम होगा।
बड़े हमलों को दिया अंजाम
आईएसआईएस खुरासान का पहले भी कई हमलों में नाम सामने आ चुका है। साल 2021 में काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई थी और कम से कम 175 अफगानी नागरिक मारे गए थे। यह वही दौर था जब अमेरिकी फौज अफगानिस्तान से बाहर जा रही थी। साल 2022 में आईएसआईएस खुरासान के लड़ाकों ने काबुल स्थित रूसी दूतावास पर सुसाइड बॉम्बिंग की। खुरासान ने ईरान में भी सिलसिलेवार धमाके किए थे जिसमें कम से कम 100 लोगों की मौत हुई थी। खुरासान ने काबुल में लड़कियों के एक स्कूल पर हुए घातक विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 68 लोग मारे और 165 घायल हो गए थे। खुरासान ने ब्रिटिश-अमेरिकी हालो (HALO) ट्रस्ट पर भी हमला किया था, जिसमें 10 लोग मारे और 16 अन्य घायल हो गए थे। अक्टूबर 2015 में इस्लामिक स्टेट ने सिनाई में रूस के एक यात्री विमान को निशाना बनाया था जिसमें विमान में सवार सभी 224 यात्रियों की मौत हो गई थी।
रूस पर क्यों किया हमला?
भले ही अब तक ये साफ नहीं हो पाया है कि आईएसआईएस खुरासान ने रूस पर हमला क्यों किया लेकिन वाशिंगटन स्थित विल्सन सेंटर के माइकल कुगेलमैन का कहना है कि आईएसआईएस खुरासान रूस को उन गतिविधियों में शामिल मानता है जो मुसलमानों पर अत्याचार करते हैं। खुरासान ने हाल के वर्षों में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का विरोध भी किया है। आईएसआईएस खुरासान पिछले दो वर्षों से रूस पर केंद्रित है और अक्सर पुतिन की आलोचना करता रहा है। खुरासान रूस को उन गतिविधियों में भागीदार के रूप में देखता है जो मुसलमानों को उनका हक नहीं देा। समूह में ऐसे लोग भी शामिल हैं जिनकी मास्को के खिलाफ अपनी शिकायतें हैं।
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