नई दिल्ली: किसान आंदोलन एक बार फिर से शुरू हो गया है। किसान देश के कई राज्यों से चलकर दिल्ली आना चाहते हैं। वह यहां पहुंचकर सिरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं। वहीं सरकार ने इन किसानों को दिल्ली से कई किलोमीटर दूर ही रोक दिया है। बता दें कि साल 2020 के किसान आंदोलन के दौरान किसान दिल्ली की सीमाओं तक पहुंचने में कामयाब रहे थे। इसका परिणाम यह हुआ था कि कई महीनों तक दिल्ली सीमाएं सील रही थीं। सरकार नहीं चाहती थी कि इस बार कुछ ऐसा हो, इसलिए आंदोलनरत किसानों को पहले ही रोक दिया गया।
इस आंदोलन के दौरान सबसे ज्यादा हरियाणा पंजाब के शंभू बॉर्डर की हो रही है। इस बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस, पैरामिलिट्री फ़ोर्स और किसानों के बीच भीषण झड़प चल रही है। सुरक्षाबल किसानों को आगे बढ़ने नहीं दे रहे हैं और किसान आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत हैं। इस दौरान उन्हें वहां से हटाने के लिए सुरक्षाकर्मी बल प्रयोग कर रहे हैं। इस दौरान वह आंसू गैस के गोलों का भी इस्तेमाल भी कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि यह आंसू गैस के गोले क्या हैं और इनका निर्माण कैसे होता है?
क्या होता है आंसू गैस का गोला?
दरअसल आंसू गैस के गोले एक ऐसा बम होता है, जिससे धुआं रिलीज होता है। यह धुआं इसकी रेंज में आने वाले व्यक्ति को परेशान कर देता है। वह व्यक्ति की आंखों पर सीधा असर डालता है और जलन करने लगता है। इसके साथ ही व्यक्ति को भयानक रूप से खांसी भी होने लगती है। वहीं कई बार तो इसकी चपेट में आये व्यक्ति को उल्टी और मिचली जैसे समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।
कैसे होता है निर्माण?
दरअसल आंसू गैस के गोलों को कई कैमिकल के मिश्रण से बनाया जाता है। इसे लेक्रिमेटर भी कहते हैं। इसके निर्माण की अनुमति सबको नहीं होती है। सरकार चुनिंदा लोगों को ही इसके निर्माण का लाइसेंस देती है। आंसू गैस बनाने के लिए Chloroacetophenone (CN) और Chlorobenzylidenemalononitrile (CS)का इस्तेमाल किया जाता है। इनके अलावा क्लोरोपिक्रिन (पीएस) का भी इस्तेमाल किया जाता है, जिसका इस्तेमाल फ्यूमिगेंट के रूप में भी किया जाता है। Bromobenzylcyanide (सीए); Dibenzoxazepine (सीआर) नामक कैमिकल से इसका उत्पादन किया जाता है।
किसके आदेश पर होता है इसका इस्तेमाल?
नोएडा पुलिस कमिश्नरेट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडिया टीवी से बात करते हुए बताया कि इसके इस्तेमाल के आदेश देने के लिए कोई तय अधिकारी नहीं है। हालात और परिस्थियों को देखते हुए इसके इस्तेमाल का आदेश दे दिया जाता है। अगर मौके पर केवल कांस्टेबल स्तर का पुलिसकर्मी ही मौजूद है तो वह भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन फिर भी माना जाता है कि आर्डर कम से कम सब इंस्पेक्टर पद का अधिकारी इसकी इजाजत दे। लेकिन वह दोहराते हुए बताते हैं कि हालात को देखकर इसके इस्तेमाल करने करने की इजाजत हर पुलिसकर्मी को है।
इस्तेमाल करने का क्या मापदंड?
पुलिस अधिकारी बताते हैं कि जब पुलिस को लगता है कि कानून व्यवस्था बिगाड़ सकती है तो इसका इस्तेमाल भीड़ को हटाने के लिए किया जाता है। गोले छोड़ने से पहले चेतावनी जारी की जाती है। अगर फिर भी भीड़ नहीं हटती है तो इसका इस्तेमाल किया जाता है। वह बताते हैं कि हमारी कोशिश रहती है कि इससे किसी को घातक नुकसान ना पहुंचे लेकिन उस दौरान अगर वहां कोई दमा और अस्थमा का मरीज होता है तो उस पर इसका घातक प्रभाव पड़ सकता है।
कैसे किया जाता है इस्तेमाल?
इस बातचीत के दौरान नोएडा पुलिस के अधिकारी बताते हैं कि भीड़ पर इसका दो तरह से इस्तेमाल किया जाता है। पहला हथगोले के रूप में और दूसरा टियर स्मोक ग्रेनेड के रूप में। हथगोला को भीड़ के पास में ही होने की स्थिति में हाथ से फेंका जाता है। यह 50 से 100 मीटर की दूसरी के लिए उपयोग में लाया जाता है। वहीं टियर स्मोक ग्रेनेड को गन से फायर किया जाता है। इससे 200 से 500 मीटर की दूरी तय की जा सकती है।
गैस के गोले के प्रभाव से कैसे बचें?
आंसू गैस से होने वाले प्रभाव वैसे तो अस्थाई होते हैं लेकिन यह होते बड़े खतरनाक हैं। पीड़ित व्यक्ति की आंखों में असहनीय जलन होती है। इससे बचने के लिए बेहद ही आसान तरीका है। पहले तो आपको ऐसे जगह जाने से बचना है, जहां इसका इस्तेमाल हो रहा हो। अगर फिर भी आप वहां हैं तो आपक अपने चेहरे को किसी कपडे से ढंक लें। कोशिश करें कि यह कपड़ा हल्का गीला हो, जिससे गोले से निकलने वाली गैस का आप पर कम प्रभाव हो।
इसके साथ ही आप कोशिश कीजिए कि आंखों पर चश्मा लगाया हुआ हो। इसके साथ ही आसपास ताजा और ठंडा पानी की उपलब्धता हो। जिससे अगर आप इसके प्रभाव में आ भी जाएं तो आप तुरंत अपनी आंखों को धुल लें, जिससे धुंए का प्रभाव कम हो जाए। इसके साथ ही आंदोलन के दौरान देखने में आया कि किसान आंसू गैस के गोले के ऊपर पानी से भीगी हुई बोरी डाल दे रहे थे। जिससे गोला निष्क्रिय हो जा रहा था। आंसू गैस के गोले से बचने का यह भी एक प्रभावी तरीका है।