Sunday, December 21, 2025
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जलियांवाला बाग हत्याकांड: 13 अप्रैल 1919 का वो काला दिन, जो हर भारतीय को सदियों का गहरा जख्म दे गया

13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में हुए हत्यकांड की शुरुआत रोलेट एक्ट के साथ शुरू हुई, जिसे 1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में राष्ट्रीय आंदोलन को कुचलने के मकसद से तैयार किया गया था।

Edited By: Akash Mishra @Akash25100607
Published : Apr 13, 2024 12:03 pm IST, Updated : Apr 13, 2024 01:34 pm IST
जलियांवाला बाग हत्याकांड(सांकेतिक फोटो)- India TV Hindi
Image Source : PTI(FILE) जलियांवाला बाग हत्याकांड(सांकेतिक फोटो)

जलियांवाला बाग की घटना को आज100 साल से ज्यादा बीत चुके हैं लेकिन हर साल जब जब ये तारीख 13 अप्रैल आती है तो एक बार फिर रूह कांप सी उठती है। जलियांवाला बाग नरसंहार भारत की आजादी के इतिहास की वो काली घटना है, जिसने "अंग्रेजी राज" का क्रूर और दमनकारी चेहरा सामने लाया था। यह घटना इतनी भयावह और क्रूर थी कि आज भी सोचने पर भय से रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उस नरसंहार का दृश्य कैसा रहा होगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। उस घटना को चंद शब्दों में समेटा नहीं जा सकता। आइए संक्षेप में जलियांवाला बाग कांड के बारे में जानते हैं।

निहत्‍थे मासूमों का हुआ था कत्लेआम 

जलियांवाला बाग भारत की आजादी के इतिहास की वो दुखद घटना है, जो 13 अप्रैल 1919 को  घटना घटी थी। घटना में पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh) में निहत्‍थे मासूमों का भयानक कत्‍लेआम हुआ था। अंग्रेजों ने निहत्‍थे और मासूम भारतीयों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थीं। यह घटना अमृतसर हत्याकांड के रूप में भी जाना जाती है। इस नरसंहार को आज 100 वर्ष से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन आज भी इसके घाव हर भारतीय के दिलों में ताजे से लगते हैं। इस दिन को भारत के इतिहास की काली घटना के रूप में याद किया जाता है। 

जनरल डायर का था आदेश 

समूचे देश में  रोलेट एक्ट के विरोध में प्रदर्शन किए जा रहे थे। बैसाखी के ही दिन, 13 अप्रैल 1919 को समूचे देश के साथ अमृतसर के जलियांवाला बाग में भी रौलेट एक्ट के विरोध में शांतिपूर्वक प्रदर्शन के लिए हजारों लोग इकट्ठा हुए थे। इस दौरान ही अचानक वहां दल-बल के साथ अंग्रेज ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर पहुंच गया, जिसने कोई भी चेतावनी दिए बिना ही निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोली चलाने का आदेश दे दिया। बाहर निकलने के रास्ते बंद कर दिए गए थे। करीब 10 मिनट तक गोलियां चलती रहीं। लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर से उधर भाग रहे थे, कई कुएं में भी कूद गए लेकिन फिर भी जान बचाने में नाकाम रहे। इस भयावह और क्रूर घटना से जलियांवाला बाग शवों से पट गया था, हर तरफ सिर्फ लाशों के ढेर थे। इस घटना में एक हजार से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और भारी संख्या में लोग घायल भी हुए थे। 

वर्षों बाद ऊधम सिंह ने लिया बदला

जलियांवाला बाग में अंग्रेजों द्वारा किए गए नरसंहार का बदला बाद में ऊधम सिंह ने लिया। तारीख थी 13 मार्च 1940, जब ऊधम सिंह ने माइकल डायर के भाषण में जलियांवाला बाग हत्याकांड का जिक्र होते ही अपनी किताब में छुपाई हुई रिवोल्वर से गोलियों का वर्षा कर दी।  

मुख्य बिंदु- 

  • इस घटना का  कारण अंग्रेजों द्वार लाए गए रोलेट एक्ट(‎Rowlatt Act 1919 ) को बताया जाता है। भारतीयों के खिलाफ ये अंग्रेजों का 'काला कानून' था। इसके लागू होने के बाद की घटनाएं कुछ ऐसी रहीं-
  • महात्मा गांधी ने 6 अप्रैल, 1919 से एक अहिंसक 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' शुरू किया।
  • 9 अप्रैल, 1919 को पंजाब में दो प्रमुख नेताओं, सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू को गिरफ्तार कर लिया गया, जिससे पूरे देश में अशांति फैल गई। सूमेचे देश में बड़े स्केल पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
  • अंग्रेजों ने कानून के खिलाफ इस प्रकार के किसी भी विरोध को रोकने के लिए मार्शल लॉ लागू किया। पंजाब में कानून व्यवस्था संभालने का आदेश ब्रिगेडियर जनरल डायर को दिया गया था।

बता दें कि कई इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि इस घटना के बाद भारत पर शासन करने के लिए अंग्रेजों के 'नैतिक' दावे का खात्मा हो गया। इस घटना ने सीधे तौर पर एकजुट राजनीति के लिए भारतीयों को प्रेरित किया और जिसका परिणाम भारतीय स्वतंत्रता प्राप्ति के रूप में देखा गया। 

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