Israel-Hamas War: इजरायल और हमास के बीच पिछले लगभग 2 हफ़्तों से भीषण युद्ध चल रहा है। इस युद्ध की वजह से अब तक हजारों जानें जा चुकी हैं। हजारों लोग घायल और लापता हैं। वहीं मंगलवार 17 अक्टूबर को गाजा के अल-अहली अस्पताल पर में जो कुछ हुआ, वह बेहद ही वीभत्स था। अस्पताल पर रॉकेट से हमला हुआ और इसमें कम से कम 500 लोगों की जान चली गई। मृतकों में कई बच्चे भी शामिल थे। इस हमले के बाद जहां हमास ने इसे इजरायल का कृत्य बताया तो इजरायल ने कई वीडियो और फोटो पेश करते हुए कहा कि यह दुर्दांत कृत्य गाजा में हमास का समर्थन करने वाले फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (PIJ) संगठन का है।
इजरायल और हमास युद्ध के बीच अभी तक हमास के अलावा हिजबुल्ला संगठन का नाम आ रहा था, लेकिन अस्पताल पर हुए हमले के बाद अब चारों तरफ फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (PIJ) का नाम चर्चा में है। आइए इस लेख में समझते हैं कि आखिरकार यह PIJ है क्या, जो अब इजरायल के लिए हमास के साथ-साथ सिरदर्द बना हुआ है। इस लेख में जानेंगे कि इसकी स्थापना कब, क्यों और किसने की थी और इसके पीछे का उद्देश्य क्या था? और कैसे यह खुद को हमास से अलग बनाए हुए है और दुनिया क्यों इसे दुर्दांत संगठनों में से एक मानती है?
कब और कैसे हुई PIJ का स्थापना?
फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद की स्थापना एक छात्र संगठन के तौर पर हुई थी। इसकी स्थापना फतही शाकाकी और अब्द अल-अजीज अवदा ने की थी, जोकि मिस्र में पढ़ाई करते थे और मिस्र के संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड के सदस्य थे। बता दें कि मिस्र मुस्लिम ब्रदरहु़ड एक सुन्नी इस्लामिक आंदोलन था। कुछ समय बाद इन दोनों को लगा कि ब्रदरहुड फिलिस्तीन को लेकर गंभीर नहीं है और वह उस दिशा में काम भी नहीं कर रहा है। इसके बाद इन दोनों ने एक अलग संगठन बनाने की ठानी और इस तरह से साल 1981 में फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद नामक संगठन का निर्माण हुआ।
क्या है फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद का मिशन?
PIJ का मुख्य उद्देश्य भी अन्य फिलिस्तीनी संगठनों की ही तरह था। इजरायल का विरोध करना और उन्हें उखाड़ फेंकना। इसके साथ ही इनका मानना था कि इजरायल से किसी भी तरह की शांति वार्ता करना गलत है और यह उग्र हमलावर नीति में भरोसा करते थे। इसके अलावा PJI हमास की तरह किसी भी तरह की राजनीतिक और सामाजिक भूमिका में आने से बचता रहा है। इसी वजह से इसका कोई केंद्रीय नेतृत्व या ढांचा नहीं है।
PIJ और हमास का मिशन एक ही, लेकिन कई बार आपसी टकराव भी
फिलिस्तीन में इजरायल का विरोध करने वाले कई संगठन हैं। इन सभी संगठनों का मकसद भी इजरायल की खिलाफत करना है। इस वजह से इनके बीच में तालमेल बना रहता है। इसी तरह हमास और PIJ के बीच में भी आपसी सहमति बनी रहती है। इसके साथ ही दोनों संगठनों ने एक साथ मिलकर कई मिशनों को भी अंजाम किया है। लेकिन इसके बाद भी दोनों संगठनों के बीच कई बार टकराव भी देखने को मिले हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कई बार हमास ने PJI को हमले करने से भी रोका है। बता दें कि PIJ संगठन की शुरूआती रणनीति ही उग्र रही है। इसके आतंकवादी अक्सर आत्मघाती हमले करते हैं। वहीं हमास का हमले करने का तरीका इसके बिलकुल विपरीत रहता है। कई बार PIJ की वजह से हमास को अपने मिशनों में बदलाव करना पड़ा या उन्हें रोकना पड़ा। इसलिए कई बार दोनों संगठनों में टकराव भी देखने को मिला। हालांकि इस बार जब हमास ने इजरायल पर हमला किया तो PIJ ने इसमें उसका साथ दिया।
PIJ को कौन कर रहा है मदद?
अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिरकार फिलिस्तीन के इस आतंकी संगठन PIJ को आर्थिक और सामरिक रूप से कौन मदद करता है? अमेरिकी विदेश विभाग और कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फिलिस्तीन के कई संगठनों की तरह PIJ को भी ईरान की तरफ से बड़ी मदद मिलती रही है। माना जाता है कि 1988 में ईरान ने PIJ को 16 करोड़ रुपये दिए थे। 2013 तक ये रकम बढ़कर करीब 24 करोड़ रुपये हो गई थी। इसके अलावा ऐसी कई ख़बरें आई, जिसमें यह दावा किया गया कि PIJ के लड़ाकों को ईरान की सेना ने ट्रेनिंग भी दी है। इसके अलावा कतर भी इस संगठन की आर्थिक रूप से मदद करता है।
कितना मजबूत है फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद संगठन
फिलिस्तीन में सक्रिय रूप से काम करने वाले PIJ का मुख्यालय सीरिया की राजधानी दमिश्क में है। कहा जाता है कि उसके पास 8,000 से ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं। इस संगठन के आतंकी आत्मघाती हमला करने के लिए जाने जाते हैं। 1987 में इस संगठन ने इजरायली पुलिस अधिकारी की हत्या कर अपने पहले हमले को अंजाम दिया था। शुरुआत में संगठन में महिलाओं को प्रवेश नहीं दिया जाता था, लेकिन 2003 के बाद से महिलाओं को भी संगठन का सदस्य बनाया जाने लगा। हमास की तरह ये संगठन भी अपने हथियारों का निर्माण गाजा पट्टी में ही करता है।
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