Israel: इजरायल इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास ने जिस तरह से इजरायल पर हमला किया, उसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो। माना जाता है कि इजरायली सेना की गिनती दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में होती है। उसके पास दुनिया की सबसे जबरदस्त ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद है। लेकिन इसके बाद भी हमास इजरायल पर हमला करने में सफल हो गया। इस हमले के बाद इजरायल ने भी जबरदस्त पलटवार किया है और युद्ध की घोषणा कर दी है। लेकिन इन सबके बीच में सवाल उठ रहा है कि जो इजरायल वायु सीमा की सुरक्षा के लिए आयरन डोम सिस्टम की बात करता है। उसके रहते हुए हमास ने यह जबरदस्त आक्रमण आखिर किया कैसे? कैसे इस बार इजयारल का यह रक्षा कवच हमास ने भेद दिया?
क्या है आयरन डोम सिस्टम?
इजरायल की फिलिस्तीन से वर्षों पुरानी जंग है। इस जंग में कौन ठीक है और कौन गलत, इस पर सबका अपना नजरिया है। लेकिन इस जंग में इजरायल ने नुकसान कम करने और अपने दुश्मनों से निपटने के लिए इजरायली सेना ने यह तकनीक विकसित की। यह इअजरय्ल पर होने वाले हवाई हमलों को रोकता है। आयरन डोम को रॉकेट हमलों का मुकाबला करने के लिए इजरायल ने अमेरिका के सहयोग से राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया। इजरायल साल 2011 से इस प्रणाली का इस्तेमाल कर रहा है। इजरायल की सेना और सरकार दावा करती है कि आयरन डोम दुनिया का सबसे विकसित एयर डिफेंस सिस्टम है और इसका सक्सेस रेट 90 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
कैसे काम करता है यह आयरन डोम?
एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम के मुख्य रूप से तीन हिस्से होते हैं। रडार, लॉन्चर और कमांड पोस्ट। रडार के जरिए डोम सिस्टम यह तय करता है कि आसमान ने दिख रहा रॉकेट या कोई अन्य वस्तु खतरा है या फिर कुछ और। अगर सिस्टम को लगता है कि यह खतरा है तो आयरन डोम, रॉकेट पर इंटरसेप्टर मिसाइल फायर कर देता है। आयरन डोम में इस समय तामीर मिसाइलें इस्तेमाल की जा रही हैं। जिस सिस्टम से मिसाइल लॉन्च की जाती हैं, उसे लॉन्चर कहते हैं। यह दो तरह के होते हैं। स्टेश्नरी और मोबाइल। स्टेश्नरी एक ही जगह पर फिटेड सिस्टम होता है और मोबाइल को एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाया जाता है। मिसाइलें हवा में सीधे ऊपर की तरफ फायर की जाती हैं। उसके बाद वो अपने निशाने को ट्रेस करते हुए दिशा बदलती है। ये इंटरसेप्टर हवा में ही रॉकेट से टकराकर उसे नष्ट कर देती हैं। वहीं कमांड पोस्ट से इस पूरी प्रकिया पर नजर रखी जाती है।
इस बार कैसे नाकाम हुआ आयरन डोम?
फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास हर समय इजरायल पर हमले की फिराक में रहता है। लेकिन इजरायल ने अपने सभी सीमाओं को अभेद्य बना रखा है। जमीनी सीमाओं पर उसके जवान पहरा देते हैं और हवाई सीमा की सुरक्षा आयरन डोम के हवाले थी। हमास ने हमले की शुरुआत हवाई तरीके से ही की। वह पहले भी कई बार हवाई हमले कर चुका था, लेकिन हर बार आयरन डोम की वजह से वह अपने मंसूबों में नाकाम रहता था। लेकिन इस बार ऐसा क्या हुआ कि वह अपने नापाक इरादों में सफल हो गया। दरअसल बार-बार फेल होने के बाद हमास आयरन डोम की कमजोरी खोज रहा था और इस बार वह उसे मालूम भी हो गई। इस बार हमास ने साल्वो रॉकेट हमले (कम समय में लॉन्च किए गए कई रॉकेट) से हमला कर दिया। जिससे नियंत्रण प्रणाली के लिए सभी लक्ष्यों को रोकना मुश्किल हो गया है। इस बार सिर्फ 20 मिनट में 5,000 से ज्यादा रॉकेट लॉन्च किए गए। यह रॉकेट भी छोटी दूरी के थे। इसलिए जब तक सिस्टम इनका अंदाजा लगाकर जवाबी हमले करता तब तक काम हो चुका था।