Bangladesh Interim Government Challenges: बांग्लादेश में तख्तापलट होने के बाद शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद छोड़ते हुए देश भी छोड़ दिया। सत्ता और सियासत में परिवर्तन के बीच बांग्लादेश में व्यापक हिंसा भी देखने को मिल रही है। यहां व्यवस्था भी चरमराती हुई नजर आ रही है। इन सबके बीच नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में नई अंतरिम सरकार का गठन हो गया है। भले ही बांग्लादेश में अब कहने के लिए एक सरकार है लेकिन इस अंतरिम सरकार को शुरुआत से ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह सरकार ऐसे समय में कार्यभार संभाल रही है जब देश में कानून व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई है। बांग्लादेश में अशांति का माहौल है, हिंसा जारी है साथ ही देश के आर्थिक हालात भी सही नहीं कही जा सकती है। तो चलिए इस रिपोर्ट में हम आपको उन चुनौतियों के बारे में बताते हैं जिनसे पार पाना बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के लिए आसान नहीं होगा।
कानून और व्यवस्था बहाल करना
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी से नदारद हैं। थाने खाली पड़े हैं और सेना काफी हद तक पुलिस की मदद कर रही है। ढाका के कई थाने वीरान नजर आ रहे हैं। देश के कई इलाको में पुलिस थानों पर हमले किए गए हैं, तोड़फोड़ की गई है, जला दिए गए हैं। स्थिति बदतर हो जा रही है और पुलिस सिस्टम पूरी तरह खत्म नजर आ रहा है। पुलिस सिस्टम ध्वस्त होने की वजह से अराजकता फेल गई है। कुल मिलाकर देश में कानून और व्यवस्था का हाल बुरा है और ऐसे समय में अंतरिम सरकार के लिए इस मोर्चे पर काम करना मुश्किल साबित हो सकता है।
जनता को देनी होगी राहत
बांग्लादेश में आर्थिक संकट बढ़ा है। रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने वाली चीजों के दाम बढ़े है। महंगाई मुसीबत बनी है और अब नई अंतरिम सरकार को जनता का भरोसा बरकरार रखना है, तो उसे जरूरी वस्तुओं की कीमतों को कम करने पर ध्यान देना होगा। जल्द से जल्द अर्थव्यवस्था पर ध्यान देना होगा और महंगाई के मोर्चे पर सरकार को कदम उठाते हुए लोगों को राहत देनी होगी। लोगों को जल्द ही परिणाम दिखाने की जरूरत है जिससे उनका भरोसा कायम रहे। अंतरिम सरकार यह कैसे करेगी इसे बारे में उनकी रूपरेखा क्या होगी यह आने वाले समय में स्पष्ट नजर आएगा।
पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव
बांग्लादेश में जारी सियासी संकट के बीच अंतरिम सरकार तो बन गई है लेकिन आने वाले समय में चुनाव भी होने हैं। संविधान के मुताबिक देश में तीन महीने में चुनाव होना चाहिए लेकिन अभी इस बारे में कुछ कहा नहीं गया है। ऐसे में अंतरिम सरकार के समाने सबसे बड़ी चुनौती देश में चुनाव का माहौल तैयार करना और उसे निष्पक्ष तौर से कराना होगी। सरकार के सामने चुनौती यह भी होगी कि चुनावी प्रक्रिया पारदर्शी, निष्पक्ष और सभी राजनीतिक दलों के लिए समान रूप से सुलभ हो। सियासी दल चुनावी प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगा सकते हैं, इसलिए अंतरिम सरकार को निष्पक्ष होकर काम करना होगा जिससे जनता का विश्वास बना रहे।
राजनीतिक संतुलन है जरूरी
बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य के लिहाज से देखा जाए तो अंतरिम सरकार को राजनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए विभिन्न दलों के बीच संवाद को बढ़ावा देना होगा। देश के राजनीतिक दलों के बीच आपसी विश्वास और संवाद की कमी से चुनावी प्रक्रिया समेत कई मुद्दों के समाधान में अड़चनें आ सकती हैं। लिहाजा, अंतिम सरकार को अपनी भूमिका तय करनी होगी सभी सियासी दलों के बीच संतुलन बनाए रखना होगा। फिलहाल, बांग्लादेश में जिस तरह के हालत नजर आ रहे हैं वहां अभी ऐसा संभव नहीं दिख रहा है।
आर्थिक स्थिरता बनाए रखना होगा अहम
अंतरिम सरकार के पास सीमित समय होता है। ऐसे में आर्थिक स्थिरता को बनाए रख पाना बेहद चुनौती पूर्ण कार्य होता है। ऐसे समय में बाजार में अनिश्चितता होती है, जिसका प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। अंतरिम सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि देश की अर्थव्यवस्था स्थिर रहे और निवेशकों का विश्वास बना रहे। फिलहाल, बांग्लादेश में सबसे बुरा असर बैंकिंग व्यवस्था पर पड़ा है। कैश क्राइसिस बढ़ गई है, सभी एटीएम बंद कर दिए हैं क्योंकि उनके लुट जाने का डर है।
अंतर्राष्ट्रीय दबाव और कूटनीति
बांग्लादेश में बने हालात पर पूरी दुनिया की नजर है। सत्ता बदल चुकी है और अब बदलाव के बाद का समय है। अंतरिम सरकार विदेश मोर्च पर किस तरह से काम करेगी यह देखना भी खासा अहम होगा, खासकर पड़ोसी देशों के साथ उसके संबंध कैसे होंगे। ऐसे में अंतरिम सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन करे और देश की छवि को धूमिल होने बचाए। इसके लिए कूटनीतिक प्रयासों जरूरत होगी।
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