America and India on Sri Lanka: चीन श्रीलंका में अपने 'जासूसी' जहाज के साथ भारत के ऐतराज के बावजूद टिका हुआ है। कोलंबो पोर्ट पर भारत के ऐतराज के बावजूद चीन और श्रीलंका के वैज्ञानिक इस शिप पर मिलकर काम कर रहे हैं। इसी बीच भारत और अमेरिका मिलकर चीन की हेकड़ी निकालने के लिए बड़ा गेमप्लान बना चुके हैं। बीआरआई के कर्ज के जाल में श्रीलंका को फंसाकर लूटने वाले चीन के दिन अब श्रीलंका में लदने वाले हैं। अमेरिका की बाइडेन सरकार ने यह ऐलान किया है कि वह कोलंबो पोर्ट में गहरे पानी के शिपिंग कंटेनर टर्मिनल को बनाने में 55 करोड़ 30 लाख डॉलर का इनवेस्ट करेगी। कोलंबो में इस प्रोजेक्ट को भारत का अडानी ग्रुप आगे बढ़ा रहा है। इस निवेश से चीन की श्रीलंका में सारी हेकड़ी निकल जाएगी।
चीन ने अरबों डॉलर का कर्ज श्रीलंका पर लाद रखा है और उसके हंबनटोटा बंदरगाह पर 99 साल के लिए कब्जा कर लिया है। यही नहीं भारी भरकम कर्ज के दबाव की वजह से चीन ने जबरन अपने 'जासूसी' जहाज को श्रीलंका भेजा है। कहने को यह रिसर्च शिप है, लेकिन चीन इसके बहाने भारत की जासूसी करने से बाज नहीं आता है। चीन की इसी नापाक चाल को नाकामयाब बनाने और उसकी हेकड़ी निकालने के लिए भारत और अमेरिका ने मिलकर यह महा गेमप्लान बनाया है।
अमेरिकी निवेश से कोलंबो पोर्ट पर श्रीलंका को मिलेगा यह फायदा
अमेरिका के इंटरनेशनल डिवलपमेंट फाइनेंस कार्पोरेशन या डीएफसी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने पर कोलंबो बंदरगाह इन जहाजों के आने-जाने के रास्ते में विश्वस्तरीय लॉजिस्टिक हब में तब्दील हो जाएगा। अमेरिका का कहना है कि यह श्रीलंका को बिना कर्ज में लादे मजबूत करेगा, इससे सभी सहयोगियों को फायदा होगा।
अमेरिका के श्रीलंका में निवेश के ऐलान की टाइमिंग बड़ी अहम
श्रीलंका में अमेरिकी निवेश का ऐलान ऐसे समय हुआ है, जब श्रीलंका बेहद खराब वित्तीय संकट से जूझ रहा है। उसकी इस मजबूरी का फायदा चीन उठा रहा है, लेकिन अमेरिकी निवेश के ऐलान से सारे समीकरण बदल जाएंगे। इस नए टर्मिनल के बन जाने से बंगाल की खाड़ी में बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में बहुत फायदा हो
चीन के कर्ज के बोझ तले दबा है श्रीलंका
अमेरिका ने चीन के बीआरआई को टक्कर देने के लिए 5 साल पहले डीएफसी का गठन किया था। चीन बीआरआई के तहत पूरी दुनिया में 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज बांट चुका है। इसके लिए वह रेलवे, सड़क, बंदरगाह और एयरपोर्ट बना रहा है लेकिन इससे वे देश कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं। श्रीलंका उन्हीं देशों में से एक है। यही कारण है कि श्रीलंका जब चीन का कर्ज लौटा पाने में असमर्थ हुआ तो हंबनटोटा पोर्ट 99 साल की लीज पर दे दिया। इसके बावजूद चीन के कर्ज से उसे मुक्ति नहीं मिली है। इसलिए चीन कोलंबो पोर्ट पर भारत के ऐतराज के बावजूद अपना 'जासूसी' जहाज भेजने में कामयाब रहा और श्रीलंका चाहकर भी मना नहीं कर पाया।