
भले ही खुद ने गरीबी में अपनी जिंदगी काटी हो, लेकिन हर मां-बाप यही चाहते हैं कि उनके बच्चे अमीर बनें। गरीबी उनके पास भी नहीं फटके। मां-बाप चाहें, तो अपने इस सपने को आसानी से पूरा कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें समय पर जागरूक रहना होगा और कुछ फाइनेंशियल प्लानिंग टिप्स को फॉलो करना होगा। जिस तरह से आप अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग करते हैं या घर खरीदने की प्लानिंग करते हैं, कुछ-कुछ उसी तरह ही बच्चों के फाइनेंशियल फ्यूचर की प्लानिंग भी करनी होती है। इसमें पहला स्टेप तो यह है कि आपको अपने गोल्स पता करने होंगे। ये गोल्स हायर एजुकेशन, रिक्युरिंग एजुकेशन, स्कूल ट्रिप, व्हीकल, शादी, प्रॉपर्टी आदि हो सकते हैं। दूसरा स्टेप टाइम और इंपोर्टेंस के हिसाब से अपने गोल्स को प्रायोरिटी देना है, जिससे व्यक्ति सही समय पर सही गोल के पीछे जा सके। इसके बाद आता है तीसरा स्टेप। इसमें मौजूदा लागत और महंगाई के हिसाब से भविष्य के खर्चों का अनुमान लगाना होता है।
फ्यूचर में होने वाले खर्च का पता करें
उदाहरण के लिए आप अपनी बेटी के साल 2034 में कॉलेज से ग्रेजुएट हो जाने के बाद उसे टॉप बिजनेस-स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं और इसके लिए फाइनेंशियली तैयार रहना चाहते हैं। अब IIM इंदौर में दो साल के एमबीए प्रोग्राम की 2025 में मौजूदा फीस करीब 23 लाख रुपये है। अब यह फीस पिछले दो दशकों में 12 फीसदी की दर से सालाना बढ़ी है। अब हम कैलकुलेशन करने पर पाएंगे कि यही फीस साल 2034 में 64 लाख रुपये हो जाएगी। इसी तरह पेरेंट्स को हर एक गोल के लिए मौजूदा लागत के हिसाब से फ्यूचर के खर्चों की कैलकुलेशन करनी होगी।
जैसा गोल वैसा निवेश
इमीडिएट गोल्स के लिए सेविंग्स एकाउंट, एफडी, लिक्विड एंड शॉर्ट टर्म डेट फंड्स का उपयोग कर सकते हैं। वहीं, लॉन्ग टर्म गोल्स के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स, गोल्ड और सुकन्या समृद्धि जैसे फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स को एक साथ यूज कर सकते हैं। म्यूचुअल फंड एसआईपी भी एक अच्छा विकल्प है।
कितना हो रिटर्न
सामान्य उपभोक्ता महंगाई करीब 6 फीसदी की दर से बढ़ रही है, तो एजुकेशन इन्फ्लेशन करीब 8 फीसदी की दर से बढ़ रही है। अब आपको एक ऐसा निवेश विकल्प चाहिए होगा, जो इस महंगाई दर के बराबर या इससे अधिक रिटर्न दे सके। पेरेंट्स 10,12 या 15 साल के लॉन्ग टर्म गोल्स के लिए अधिक एग्रेसिव होकर निवेश कर सकते हैं। वे पूरे निवेश को इक्विटी में इन्वेस्ट कर सकते हैं।
यह फंडा आएगा काम
परिवार में सभी बच्चों के लिए माता-पिता, दादा-दादी, चाचा-चाची .. सभी हर महीने एजुकेशन फंड के लिए कुछ राशि का योगदान कर सकते हैं। हर व्यक्ति अलग-अलग राशि का योगदान दे सकता है। इससे काफी सारा योगदान आ जाता है। यह थोड़ा-थोड़ा पैसा मिलकर काफी बड़ा फंड बन जाता है। इस तरह परिवार साथ मिलकर अपने बच्चों के लिए अच्छा-खासा एजुकेशन फंड तैयार कर सकता है।