Laptop mobile blue rays impact: स्मार्टफोन और मोबाइल आज के समय में हमारी डेली रूटीन लाइफ का एक अहम हिस्सा बन चुके हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर समय इन डिवाइस के साथ ही बीतता है। मोबाइल और लैपटॉप ने हमारी जिंदगी के कई सारो कामों को बेहद आसान बना दिया है लेकिन इनके भारी नुकसान भी हमें झेलने पड़ते हैं। मोबाइल और लैपटॉप अगर एक सीमित मात्रा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाए तो इसका हमारे शरीर पर बुरा असर भी पड़ता है। यही वजह से ज्यादा देर तक इस्तेमाल करने पर हमें माता पिता से डांट भी खानी पड़ जाती है।
लैपटॉप और मोबाइल हमारे कई सारे कामों को आसान तो बनाते हैं लेकिन इनसे निकलने वाली रोशनी हमारे लिए काफी घातक होती है। लैपटॉप और मोबाइल से निकलने वाली ब्लू रेज हमारी आंखों और स्किन को डायरेक्ट प्रभावित करती है और यही वजह है कि अगर हम देर तक इसे इस्तेमाल करते हैं तो इसके बुरे परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
घातक है इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस की रोशनी
टेक्नोलॉजी की दुनिया में आज हम हर समय डिजिटल डिवाइस से घिरे रहते हैं। लैपटॉप, मोबाइल और टीवी का रोल काफी ज्यादा बढ़ गया है। आपको बता दें कि इन डिवाइसेस से एक खास तरह की ब्लू रेज निकलती है जिसे हाई इंटेंसिटी विजिबल लाइट (HEV) कहते हैं। इसे हिंदी में हाई-एनर्जी विजिबल लाइट कहा जाता है। मोबाइल और लैपटॉप से निकलने वाली नीली रोशनी होती है जिसकी वेवलेंथ कम होती है। यह ब्लू रेज विजिबल लाइट स्पेक्ट्रम का हिस्सा होती है। यह ब्लू रेज रोशनी का एक ऐसा हल्का रंग होता है जिसे हम अपनी आंखों से देख सकते हैं। अगर इस नीली रोशनी के संपर्क में ज्यादा देर तर रहा जाए तो इससे आंख को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है।
आपको बता दें कि ब्लू रेज को लेकर अमेरिका की एक सरकारी संस्था नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की तरफ से एक रिसर्च भी किया गया। इस रिसर्च के मुताबिक ब्लू रेज की वेवलेंथ 400 से लेकर 500 NM होती है जो कि एक विजिबल लाइट का करीब एक तिहाई होता है। रिसर्च से पता चलता है कि इलेक्ट्रानिक डिवाइस से निकलने वाली डिजाइस के संपर्क में भले ही एक घंटे रहा जाए लेकिन इससे रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज (ROS), एपोप्टोसिस और नेक्रोसिस में बढ़ोतरी हो सकती है। इसकी वजह से आपकी आंखों में रोशनी की समस्या हो सकती है।
रिसर्च में यह भी बताया गया कि ज्यादा देर तक ब्लू रोशनी में रहने से कई दिक्कतें होती हैं। अग एक सबसे आम समस्या का नाम लिया जाए तो वह कंप्यूटर विजन सिंड्रोम का बढ़ना है। इसकी वजह से आंखों में तनाव आना, धुंधली दृष्टि, आंखों का सूजना, सिर दर्द रहना और इसके अलावा गर्दन और गले में दर्द रहना शामिल है। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस से निकलने वाली नीली रोशनी थकान का भी कारण बनती है। कुछ रिसर्च में यह भी सामने आया है कि ब्लू रेज हमारी आंखों के रेटिना को भी प्रभावित करती है जिससे विजन में समस्या आने लगती है।
हमारी स्किन को भी पहुंचता है नुकसान
लैपटॉप और मोबाइल से निकलने वाली ब्लू रेज से आंखो को तो नुकसान पहुंचता ही है साथ में यह हमारी स्किन को भी नुकसान पहुंचाती है। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस से निकलने वाली खतरनाक ब्लू रेज हमारी स्किन पर भी अपना असर डालती है। कई सारी रिसर्च में यह सामने आया है कि ब्लू रेज की वजह से हमें स्किन पिगमेंटेशन, एजिंग साइन, स्किन पर रैशेज आना, झुर्रियां होना, स्किन से ग्लो खत्म होना और इसके साथ ही आंखों के नीचे डॉर्क सर्कल सर्किल जैसी समस्या हो सकती हैं।
अगर आप लैपटॉप या फिर मोबाइल का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो आपको इससे निकलने वाली ब्लू रेज से बचने के उपाय भी करना जरूरी है। आज के समय में यह कहना कि इन डिवाइसेस का इस्तेमाल न करें यह संभवन नहीं है। हालांकि इनके खतरे से बचने के कुछ उपाय जरूर किए जा सकते हैं। ब्लू रोशनी से बचने के लिए ब्लू लाइट फिल्टर का इस्तेमाल किया जा सकता है। आजकल ऐसे चश्में भी आते हैं जिसमें ब्लू रेज प्रोटेक्शन ग्लास का इस्तेमाल किया जाता है। अगर आप दिन में 10-12 घंटे लैपटॉप, कंप्यूटर या फिर मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं तो आपको इस तरह के चश्में जरूर इस्तेमाल करना चाहिए।