Saturday, December 21, 2024
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Explainer: आर्यावर्त, भारत, हिंद, इंडिया… जानें, अपने देश को कैसे मिलते गए अलग-अलग नाम

जी20 सम्मेलन में राष्ट्रपति भवन की ओर से भेजे गए रात्रिभोज के निमंत्रण पत्र पर 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा गया है। इसके बाद देश में भारत या इंडिया का मुद्दा गरमा गया है।

Written By: Subhash Kumar
Published : Sep 06, 2023 10:25 IST, Updated : Sep 06, 2023 10:37 IST
Representative Image
Image Source : PTI सांकेतिक फोेटो।

देश को इंडिया कहा जाए या भारत, इस बात को लेकर भारत में राजनीतिक पार्टियों से लेकर सोशल मीडिया पर लोगों के बीच बहसबाजी जारी है। वैसे तो हमारे संविधान में साफ कहा गया है कि 'इंडिया दैट इज भारत' लेकिन विभिन्न खेल से लेकर वैश्विक प्लेटफॉर्म्स पर इंडिया नाम ही प्रचलित है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश को अलग-अलग समयकाल में अनेक नाम से संबोधित किया जाता रहा है। इनमें से सबसे प्रचलित नाम जम्बूद्वीप, आर्यावर्त, भारतवर्ष, हिंद, हिंदुस्तान आदि रहे हैं। आइए जानते हैं कि कब पड़े ये नाम और क्या है इन नाम के पीछे का मतलब...

आर्यावर्त

ऐसी मान्यता है कि आर्यों ने हमारे देश की स्थापना की थी। आर्य का मतलब होता है श्रेष्ठ और इस भू्मि पर आर्यों का निवास स्थान होने के कारण इस भू-भाग को आर्यावर्त का नाम दिया गया। आर्यावर्त की सीमाएं काबुल की कुंभा नदी से भारत की गंगा नदी तक और कश्मीर की की वादियों से नर्मदा के उस पार तक थी। कई इतिहासकारों के बीच आर्यों के मूल निवास को लेकर आज भी मतभेद हैं। 

जम्बूद्वीप
हमारे देश को शुरुआती समयकाल में जम्बूद्वीप के नाम से भी जाना जाता था। कई इतिहासकारों का मानना है कि भारत में जामुन के पेड़ों की बहुलता के कारण इसे ये नाम मिला। वहीं, कई मान्यताएं ऐसी भी हैं कि जम्बू के वृक्ष में हाथी के जैसे विशालकाय फल लगते थे। जब फल पहाड़ पर गिरते तो उनके रस से एक नदी का निर्माण होता था। इसी नदी के किनारे बसने वाले भू-खंड को जम्बूद्वीप कहा गया। 

भारतवर्ष-भरतखंड-भारत
हमारे भू-भाग का नाम भारत अब तक का सबसे प्रचलित नाम है। इसके पीछे की कहानी को देखें तो हमें कई मान्यताएं मिलती हैं। कहा जाता है कि महाराजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के नाम पर देश का नाम भारत पड़ा। वहीं,कई लोग कहते हैं कि जब गुरु ऋषभदेव ने वन प्रस्थान किया तो अपना राज्य पुत्र भरत को सौंप दिया। इसी पर देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। दशरथ के पुत्र और श्रीराम के भ्राता भरत का भी संदर्भ सामने आता है। वहीं,  नाट्यशास्त्र में भी एक भरतमुनि का जिक्र है। कहा जाता है कि उनके ही नाम पर देश का नाम रखा गया। पुराणों में भी समुद्र के उत्तर से लेकर हिमालय के दक्षिण तक भारत की सीमाएं बताई गई हैं।

हिंद-हिंदुस्तान
प्राचीनकाल में भारत की सिंधु घाटी सभ्यता का व्यापार ईरान-मिस्त्र तक था। ईरानी में 'स को ह' कहकर संबोधित किया जाता था। ऐसे में उन्होंने सिंधु को हिंदु कहकर बोलना शुरू किया। आगे चलकर ये भू-भाग हिंद, हिंदुओं का स्थान-हिंदुस्तान नाम से प्रचलित होता चला गया। 

इंडिया
कहा जाता है कि हमारे देश का ये नाम अंग्रेजों की ओर से दिया गया है। जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने सिंधु घाटी को इंडस वैली कहना शुरू किया। इसके साथ ही उन्होंने भारत या हिंदुस्तान की जगह इंडिया शब्द का प्रयोग शुरू किया जो उनके लिए उच्चारण करने में काफी आसान था। कई बार लोग इसे ब्रिटिश काल का प्रतीक बताते हुए इसमें बदलाव की मांग करते रहते हैं। 

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