भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स एक मिशन के तहत अपने सहयात्री बुश विलमोर के साथ आठ दिनों के लिए अंतरिक्ष में गईं हैं। लेकिन उनको अंतरिक्ष में गए हुए तीन हफ्ते से ज्यादा का समय बीत चुका है, वे अबतक धरती पर वापस नहीं आई हैं। अमेरिका की ओर से विशेष मिशन पर अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजे गए अंतरिक्ष यात्रियों का एक दल स्पेसक्रॉफ्ट में खराबी आने के कारण फंसा हुआ है। इसे लेकर अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा कि उसके दो अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर अभी और अधिक समय तक रुकेंगे, क्योंकि वे वहां अपनी यात्रा के दौरान बोइंग के नए अंतरिक्ष कैप्सूल में आई तकनीकी खराबी को ठीक कर रहे हैं।
नासा ने अबतक अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी की कोई तारीख नहीं बताई है, मगर ये कहा है कि वे सुरक्षित हैं। नासा के वाणिज्यिक चालक दल कार्यक्रम प्रबंधक स्टीव स्टिच ने कहा, "हमें वापस लौटने की कोई जल्दी नहीं है।" नासा और बोइंग का स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट आखिर वापस कब आएगा, ये अब भी सवाल बना हुआ है।
क्या है स्पेसक्राफ्ट के खराब होने की वजह
बताया जा रहा है कि स्पेसक्राफ्ट को स्पेस स्टेशन तक ले जाते समय हिलियम गैस के रिसाव और थ्रस्टरों में कुछ खराबी आ गई थी। लेकिन स्पेस एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि स्पेसक्राफ्ट पूरी तरह सुरक्षित है और अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने में कोई दिक्कत नहीं है। जानकारी के मुताबिक इस मिशन का मुख्य मकसद ये साबित करना था कि ये स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाकर वापस लाने में सक्षम है या नहीं।
5 जून को स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया गया था और जब स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट एटलस वी रॉकेट से लॉन्च हुआ था, तो उससे पहले ही मिशन टीम को हिलियम गैस के रिसाव का पता चला था। हिलियम गैस का रिसाव रुका नहीं था और उसे लॉन्च कर दिया गया। स्पेस स्टेशन की तरफ जाते वक्त स्पेसक्राफ्ट में और भी ज्यादा हिलियम गैस का रिसाव देखा गया था और साथ ही इसके कुछ थ्रस्टरों में भी दिक्कत आई थी। ये सारी दिक्कतें स्टारलाइनर के सर्विस मॉड्यूल में आईं थीं, जो स्पेसक्राफ्ट के निचले हिस्से में लगा होता है और यहीं से उड़ान के दौरान ज़्यादातर पावर मिलती है।
क्या है स्टारलाइनर क्रू फ्लाइट टेस्ट स्पेसक्राफ्ट
दरअसल, जिस स्पेस कैप्सूल से दोनों अंतरिक्ष यात्री गए हैं उन्हें स्टारलाइनर क्रू फ्लाइट टेस्ट स्पेसक्राफ्ट कहा जाता है जो एक स्पेस कैप्सूल है। इस स्पेस कैप्सूल को बोइंग कंपनी ने इस स्टारलाइनर को नासा के कमर्शियल क्रू प्रोग्राम के साथ मिलकर बनाया है। ये कैप्सूल अंतरिक्ष में यात्रियों को लो-अर्थ ऑर्बिट तक ले जाने के लिए तैयार किया गया है। बता दें कि लो-अर्थ ऑर्बिट का दायरा धरती से करीब 2000 किमी ऊपर तक का होता है। इस कैप्सूल को 10 बार तक इस्तेमाल किया जा सकता है और हर बार इस्तेमाल करने के बाद इसे दोबारा तैयार करने में सिर्फ छह महीने का वक्त लगता है।
लॉन्च से लेकर अबतक आईं हैं कई परेशानियां
स्टारलाइनर के लॉन्च से लेकर अब तक कई परेशानियां सामने आई हैं, इसी वजह से ये मिशन कई बार टाला गया। पहले इसे 6 मई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन लॉन्च से सिर्फ दो घंटे पहले ही अचानक से उलटी गिनती रोकनी पड़ी थी। इसकी वजह ये थी कि एटलस वी के ऊपरी हिस्से में लगे प्रेशर वॉल्व में कुछ खराबी आई गई थी। इसके बाद भी स्टारलाइनर में कई और तकनीकी दिक्कतें आईं थी जिसके कारण लॉन्च में देरी हुई।
दोनों हैं सुरक्षित तो वापस आने में क्यों हो रही है देरी?
सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर आठ दिनों के लिए अंतरिक्ष में गए थे लेकिन अबतक वापस नहीं आए हैं। हालांकि वो जिस स्टारलाइनर स्पेलक्राफ्ट में गए हैं वो स्पेस स्टेशन से 45 दिनों तक जुड़ा रह सकता है। वहीं स्पेस स्टेशन पर इतना सामान और जरूरी चीजें मौजूद हैं जो कई महीनों तक चल सकती हैं। अगर कोई बहुत बड़ी दिक्कत हो जाती है, तो फिर उन्हें आपातस्थिति में वापस लाया जा सकता है।
दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि बोइंग और अंतरिक्ष एजेंसी नासा न्यू मैक्सिको में कुछ रिसर्च और टेस्ट करना चाहते हैं। इससे वो ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर अंतरिक्ष यात्रा के दौरान स्टारलाइनर के कुछ थ्रस्टर अचानक खराब कैसे हो गए। पांच थ्रस्टरों में से चार को तो बाद में ठीक कर लिया गया है लेकिन एक अब तक खराब है और पूरे मिशन में काम नहीं करेगा। वापसी के वक्त सर्विस मॉड्यूल का कुछ हिस्सा जलकर नष्ट हो जाएगा।