सिडनी: आज के समय में प्लास्टिक के बिना हमारा जीवन चल ही नहीं सकता। प्लास्टिक हमारी लाइफ का अभिन्न हिस्सा बन गया है। कॉफी का कप हो या फिर पानी की बोतल...प्लास्टिक का स्थान हर जगह नजर आता है। पर्यावरण के लिए प्लास्टिक का कचरा एक बड़ी समस्या रहा है। समुद्रों, नदियों से लेकर छोटे-छोटे तालाबों तक में कचरा मिलना आम बात है। यह पर्यावरण के लिए घातक है। प्लास्टिक को लेकर सवाल भी बहुत हैं...मसलन कुछ प्लास्टिक को रीसायकल क्यों किया जा सकता है लेकिन अन्य को नहीं। तो चलिए इसी सवाल का जवाब खोजते हुए हम अपनी इस रिपोर्ट में प्लास्टिक लेकर अन्य पहलुओं की भी पड़ताल करते हैं।
यह है स्थिति
दुनियाभर के लोग बहुत सारी प्लास्टिक का उपयोग करते हैं और सबसे निराशाजनक बात यह है कि उसमें से बेहद कम को ही रीसायकल किया जाता है। सुखबीर संधू (एसोसिएट प्रोफेसर, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय) एक टीम का हिस्सा हैं। यह टीम प्लास्टिक का कम उपयोग करने, अधिक रीसायकल करने और कुछ भी बर्बाद ना करने के नए तरीके खोजने की कोशिश कर रही है। संधू का मनना है कि मूलरूप से, कुछ प्लास्टिक को रीसायकल किया जा सकता है क्योंकि उन्हें पिघलाना और अन्य उत्पाद बनाना आसान होता है। अन्य शायद ऐसे नहीं होते हैं, या उनमें अतिरिक्त तत्व होते हैं जो उन्हें रीसायकल करना कठिन बनाते हैं, जैसे रंग या रसायन जो उन्हें आग पकड़ने से रोकते हैं। लेकिन अगर आप प्लास्टिक को रीसायकल कर सकते हैं, तो भी आपके सामने एक नई समस्या है। आपको किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढना होगा जो नए उत्पाद बनाने के लिए रीसायकल की गई सामग्री खरीद सके।
प्लास्टिक प्राकृतिक नहीं है
सुखबीर संधू कहते है कि प्लास्टिक कई प्रकार के होते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि शीतल पेय की बोतलें बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला प्लास्टिक अन्य प्रकार के कंटेनरों - जैसे दही के टब, लंच बॉक्स या यहां तक कि प्लास्टिक बैग - के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक से इतना अलग क्यों दिखता और महसूस होता है? इससे पता चलता है कि प्लास्टिक एक से अधिक प्रकार का होता है। प्लास्टिक को सात मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत करते हैं। लेकिन जब आप सभी मिश्रणों और नई या असामान्य किस्मों पर विचार करते हैं तो यह और भी कई तरह का होता है। कच्चा माल लगभग हमेशा जीवाश्म ईंधन (तेल या गैस) होता है। हालांकि आजकल लोग मकई जैसे पौधों से भी प्लास्टिक बना सकते हैं। किसी भी तरह से, प्लास्टिक "सिंथेटिक" है, जिसका अर्थ है कि यह प्राकृतिक नहीं है।
रीसायकल करना है मुश्किल
सुखबीर संधू बताते हैं कि "पॉलिमर" (ग्रीक शब्द "पॉली", जिसका अर्थ है कई, और "मेर", जिसका अर्थ है भाग) बनाने के लिए अणुओं की लंबी श्रृंखलाओं को एक साथ जोड़ा जाता है। विभिन्न पॉलिमर विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक बनाते हैं। कुछ पॉलिमर को रीसायकल करना आसान होता है क्योंकि उन्हें पिघलाया जा सकता है और नए उत्पादों में बदला जा सकता है। इसमें सात मुख्य प्रकारों की सूची में नंबर एक पर शामिल है: "पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट", जिससे शीतल पेय की बोतलें बनती हैं। नंबर दो, कुछ दूध की बोतलों में "उच्च घनत्व पॉलीथीन" और नंबर पांच, "पॉलीप्रोपाइलीन" भी शामिल है, जो दही के कंटेनर जैसी चीजें बनाता है। अन्य प्लास्टिक जैसे कि टाइप नंबर तीन, "पॉलीविनाइल क्लोराइड", जो प्लंबिंग पाइप में पाए जाते हैं, और नंबर छह, "पॉलीस्टाइरीन" जैसे स्टायरोफोम, को रीसायकल करना बहुत कठिन होता है। इसका मुख्य कारण यह है कि उनमें बहुत सारी अतिरिक्त सामग्री होती है, जिससे इनका पिघलना और रीसायकल मुश्किल हो जाता है। इन अतिरिक्त सामग्रियों में प्लास्टिक को चमकीले रंग का बनाने के लिए रंग, या प्लास्टिक को आग पकड़ने से रोकने वाले रसायन शामिल हो सकते हैं। ये अतिरिक्त सामग्रियां प्लास्टिक को रीसायकल करना कठिन बना देती हैं।
ऐसे हैं हालात
सुखबीर संधू सवालिया लहजे में कहते हैं कि क्या आप जानते हैं कि दुनियाभर में लगभग 300 अरब प्लास्टिक कॉफी कप कूड़े के ढेर में पहुंच गए हैं? इन कपों को रीसायकल नहीं किया गया था, क्योंकि वो प्लास्टिक के साथ कागज के मिश्रण से बने थे। प्लास्टिक को अन्य सामग्रियों से अलग करना कठिन है। इससे उन्हें रीसायकल करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन इसके बजाय कम्पोस्टेबल कॉफी कप का उपयोग करना चुना जा सकता है। संधू के मुताबिक प्लास्टिक रीसायकल करने के इच्छुक व्यक्ति को खोजना मुश्किल है। ऐसे में लोगों को प्लास्टिक को किसी ऐसे व्यक्ति को बेचना आसान बनाना होगा जो इसे खरीदना चाहता है और इसे किसी और चीज में बदलना चाहता है। सरकारों को भी इस दिशा में कदम बढ़ाने होंगे और ऐसे व्यवसायों को प्रोत्साहित करना होगा जो प्लास्टिक को रिसायकल कर उत्पाद में बदल सकें और फिर इन्हें लोगों तक बेचा जा सके। (भाषा: द कन्वर्सेशन)
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