14 सितंबर की तारीख को देश हिंदी दिवस के रूप में मनाता है। हिंदी दुनिया की तीसरी और भारत की सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है। अंग्रेजी और चीन की मंदारिन के बाद दुनिया में इसी का नंबर है। देश-दुनिया की प्रमुख भाषा होने के कारण केंद्र सरकार भी हिंदी को प्रमुखता से बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर कई कदम उठाते रहती है। आइए जानते हैं कि पीएम मोदी के कार्यकाल में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए गए हैं।
नई शिक्षा नीति
हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है। इस कारण केंद्र सरकार भी इसे संपर्क भाषा के तौर पर स्थापित करने के लिए कई कदम उठा रही है। मोदी सरकार की ओर से पेश की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को इसके लिए एक बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है। इस नीति में त्रिभाषा फॉर्मूले को जिस तरह बनाया गया है और जिस तरह से तीन में से दो भारतीय भाषा रखने की बात की गई है, उससे हिंदी का दायरा और बढ़ेगा। अब तक गैर हिंदी भाषी राज्य सिर्फ अपने प्रदेश की भाषा और अंग्रेजी का प्रयोग करते थे। हालांकि, अब तीसरी भाषा के होने की अनिवार्यता से हिंदी को ज्यादा जगह मिल सकती है।
हिंदी में सरकारी कामकाज को बढ़ावा
देशभर में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने का मकसद रखते हुए केंद्र सरकार ने अपने सभी विभागों को भी हिंदी का प्रयोग करने की सलाह दी है। गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग ने कहा कि नई सरकार सभी विभागों एवं सार्वजनिक जीवन में हिंदी मे कामकाज को बढ़ावा देगी। बता दें कि मोदी सरकार राजभाषा विभाग को हिंदी को बढ़ावा देने के लिए हर साल करोड़ों रुपये का बजट भी आवंटित कर रही है।
शिक्षा में भी हिंदी
केंद्र की मोदी सरकार ने हिंदी के विकास की ओर कदम बढ़ाते हुए विभिन्न प्रोफेशनल कोर्सेज को भी हिंदी भाषा में ही पढ़ाने पर जोर दे रही है। सरकार द्वारा मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी अब हिंदी भाषा में करवाई जा रही है। हाल ही में मध्य प्रदेश के सभी 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हिंदी भाषा में पढ़ाई की शुरुआत की गई है। इसके अलावा सरकार हिंदी दिवस के मौके पर विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों को भी आयोजित करवाती है।
UN में भी हिंदी को बढ़ावा
हिंदी अपने आप में एक विशाल जन समूह द्वारा बोली जाने वाली भाषा तो है ही। वहीं, ये सिर्फ भारत नहीं, बल्कि फिजी, मॉरीशस समेत कई अन्य देशों में प्रमुखता से बोली जाती है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा न मानने की बात हजम नहीं होती। इस लिए मोदी सरकार ने हिंदी भाषा को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए कई बड़े कदम उठाए गए हैं। हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने के लिए सरकार 400 करोड़ रुपये तक खर्च कर रही है। पीएम मोदी स्वयं भी यूएन समेत विभिन्न वैश्विक मंचों पर हिंदी भाषा में ही बात करते दिखाई देते हैं।
डिजिटल हिंदी
आज के दौर में किसी भी चीज को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल टूल्स काफी मददगार होते हैं। इसलिए मोदी सरकार के कार्यकाल में राजभाषा विभाग द्वारा सी डैक के सहयोग से तैयार किये गये लर्निंग इंडियन लैंग्वेज विद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (लीला) मोबाइल ऐप भी बनाया गया है। इस ऐप पर लोग आसान तरीके से हिंदी भाषा को समझ और सीख सकते हैं। इसके अलावा भी सरकार कई अन्य डिजिटल तरीकों को भी प्रोमोट कर रही है।
इतने लोग बोलते हैं हिंदी
साल 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में हिंदी समझने और बोलने वालों की संख्या करीब 60 करोड़ है। वहीं, भारत से बाहर भी करोड़ों की संख्या में लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं। हालांकि, आजादी के इतने वर्षों बाद भी अबतक हिंदी को अपना उचित स्थान पूरी तरह से नहीं मिल पाया है। ऐसे में सरकार द्वारा की जा रही कोशिशों को हिंदी के बेहतर भविष्य की रूपरेखा के तौर पर देखा जा सकता है।
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