चंडीगढ़ः हरियाणा की सभी विधानसभा सीटों के रिजल्ट घोषित किए जा चुके हैं। बीजेपी 48 सीट तो कांग्रेस को 37 सीटें मिली हैं। जबकि इनेलो को 2 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। जेजेपी को हरियाणा की जनता ने बुरी तरह से नकार दिया और उसके नेता दुष्यंत चौटाला तक अपनी सीट नहीं बचा पाए। इस चुनाव में कई नेताओं के बेटा-बेटियों को टिकट मिले थे। पूर्व मुख्यमंत्रियों भजन लाल, बंसी लाल और देवी लाल के कई परिजन चुनाव मैदान में उतरे थे। कई प्रमुख चेहरों को मुंह की खानी पड़ी तो कुछ को जीत मिली।
50 साल बाद भजन लाल का किला ध्वस्त
50 साल से अधिक समय के बाद पहली बार भजन लाल का परिवार अपने पारंपरिक गढ़ हिसार जिले की आदमपुर सीट हार गया। आदमपुर सीट से भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के पोते और निवर्तमान विधायक भव्य बिश्नोई को मैदान में उतारा था, लेकिन वह कांग्रेस उम्मीदवार चंद्र प्रकाश से 1268 वोटों के मामूली अंतर से हार गए। जबकि भव्य ने 2022 के उपचुनाव में सीट जीती थी। इस सीट का प्रतिनिधित्व उनके पिता कुलदीप बिश्नोई और दादा भजन लाल ने किया था।
भजन लाल परिवार के एक सदस्य को मिली जीत
भव्य के चाचा और कांग्रेस उम्मीदवार चंद्र मोहन ने निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता के खिलाफ पंचकूला निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की। चंद्र मोहन राज्य के डिप्टी सीएम रह चुके हैं। वह कुलदीप बिश्नोई के बड़े भाई भी हैं।
बंसीलाल के पोते-पोतियों का कैसा रहा रिजल्ट
भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा सीट पर बंसीलाल के दो पोते-पोतियों के बीच टक्कर देखने को मिली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी को उनकी चचेरी बहन और भाजपा उम्मीदवार श्रुति चौधरी ने हरा दिया। श्रुति चौधरी बीजेपी नेता किरण चौधरी और बंसी लाल के बेटे सुरेंद्र सिंह की बेटी हैं, जबकि अनिरुद्ध चौधरी रणबीर सिंह महेंद्र के बेटे हैं। बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष महेंद्र और सुरेंद्र सिंह भाई थे।
देवीलाल के पोते अभय सिंह चौटाला हारे
देवीलाल के पोते और निर्वतमान इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला सिरसा जिले की ऐलनाबाद सीट से हार गए, जबकि डबवाली से देवीलाल के परपोते और इनेलो उम्मीदवार आदित्य देवीलाल चुनाव जीत गए। पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के परपोते जेजेपी के दिग्विजय सिंह चौटाला भी डबवाली से चुनाव मैदान में थे लेकिन वह बुरी तरह हार गए।
पूर्व डिप्टी पीएम देवीलाल के सबसे छोटे बेटे जगदीश के बेटे आदित्य देवीलाल हाल ही में भाजपा छोड़कर इनेलो में शामिल हुए और उन्हें डबवाली से मैदान में उतारा गया था। दिग्विजय सिंह चौटाला जेजेपी नेता और पूर्व उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के भाई हैं।
देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह चौटाला अपने पोते से चुनाव हार गए
सिरसा की रानिया सीट से, पूर्व मंत्री और देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह चौटाला हार गए, जिन्होंने हाल ही में टिकट कटने के बाद भाजपा छोड़ दी थी और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे थे। इनेलो उम्मीदवार और देवीलाल के प्रपौत्र अर्जुन चौटाला रानिया से चुनाव जीत गए। अर्जुन इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला के बेटे हैं। अर्जुन ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के सर्व मित्र को हराया।
देवीलाल के परपोते दुष्यंत चौटाला भी हारे चुनाव
जींद जिले के उचाना कलां में पूर्व उपमुख्यमंत्री और जेजेपी नेता और मौजूदा विधायक दुष्यंत चौटाला पांचवें स्थान पर रहे। उचाना चौटाला परिवार का गढ़ रहा है। यहां से उनके परिवार को जीत मिलती रही है।
सर छोटू राम के परिवार को भी मिली हार
भाजपा के देवेन्द्र अत्री ने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के बृजेन्द्र सिंह को 32 वोटों के मामूली अंतर से हराया। बृजेंद्र सिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं। किसानों के मसीहा माने जाने वाले सर छोटू राम चौधरी बीरेंद्र सिंह के नाना हैं।
राव तुला राम के परिवार के राव इंद्रजीत सिंह की बेटी को मिली जीत
वहीं, केंद्रीय मंत्री और सीनियर बीजेपी नेता राव इंद्रजीत सिंह की बेटी महेंद्रगढ़ के अटेली से चुनाव जीत गईं। हालांकि उन्हें बसपा उम्मीदवार ने कड़ी टक्कर दी। एक समय लग रहा था कि वह हार जाएंगी लेकिन अंत में बढ़त बना लीं और 3080 वोटों से चुनाव जीत गईं। राव इंद्रजीत सिंह अहीर नेता राव तुला राम के वंशज हैं। वह हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं।
रणदीप सिंह सुरजेवाला के बेटे को भी मिली जीत
वरिष्ठ कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला भी कैथल से चुनाव जीतने में सफल रहे। पिछले चुनाव में उनके पिता करीबी अंतर से चुनाव हार गए थे। आदित्य कांग्रेस नेता शमशेर सिंह सुरजेवाला के पोते हैं, जिन्होंने कई बार कैथल से चुनाव जीता था। आदित्य के पिता रणदीप सुरजेवाला भी कैथल सीट से विधायक भी रह चुके हैं।
बता दें कि 1966 में जब से हरियाणा एक अलग राज्य बनाया गया, तब से इसकी राजनीति लगभग तीन दशकों तक तीन 'लालों' - 'ताऊ' देवी लाल, भजन लाल और बंसी लाल के इर्द-गिर्द घूमती रही है। इनमें से सभी ने राज्य के मुख्यमंत्रियों के रूप में कार्य किया है। देवीलाल देश के उपप्रधानमंत्री भी रहे।