Friday, December 20, 2024
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New Delhi Declaration: नई दिल्ली घोषणा पत्र क्या है? जिसपर G20 ने दी सहमति, रूस और चीन को भारत ने कैसे मनाया

G20 की अध्यक्षता कर रहे भारत ने नई दिल्ली घोषणा पत्र पर जी20 के सभी देशों को सहमत कर लिया है। काफी समय से यह घोषणा पत्र काफी समय से पारित नहीं हो पा रहा था लेकिन भारत ने इस बार रूस, अमेरिका और चीन जैसे देशों को भी मना लिया है। यह भारत के लिए एक बड़ी सफलता है।

Written By: Avinash Rai
Published : Sep 10, 2023 12:45 IST, Updated : Sep 10, 2023 15:03 IST
G20 Summit 2023 What is the New Delhi Declaration on which G20 agreed how India convinced Russia and
Image Source : INDIA TV क्या है नई दिल्ली घोषणापत्र

G20 Summit 2023: जी20 शिखर सम्मेलन का आज दूसरा दिन है। भारत की अध्यक्षता में 9 सितंबर को इस सम्मेलन की शुरुआत की गई जो 10 सितंबर तक जारी रहेगा। आज शिखर सम्मेलन का आखिरी दिन है। इस बीच नई दिल्ली घोषणा पत्र (New Delhi Declaration) पर G20 के सभी देशों ने सहमति दे दी है। इस घोषणा पत्र को शनिवार के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जारी किया। उन्होंने घोषणा पत्र को जारी करते हुए कहा कि हमारी कड़ी मेहनत के बाद और सभी के सहयोग से नई दिल्ली G20 नेतृत्व घोषणा पत्र पर सहमति बन गई है। मैं घोषणा करता हूं कि इसे स्वीकार कर लिया गया है। इस अवसर पर मैं अपने शेरपा मंत्रियों को बधाई देता हूं, जिन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की और इसे सफल बनाया। 

दिल्ली घोषणा पत्र में क्या है?

  • नई दिल्ली घोषणा पत्र के प्रस्तावना में लिखा है- पृथ्वी के लोगों के बीच शांति और समृद्धि की दिशा में काम। 
  • इस घोषणा पत्र में मजबूत, संतुलित, समावेशी और टिकाऊ विकास करने की बात कही गई है। 
  • एसडीजी (Sustainable Development Goals) से जुड़े कामों में तेजी लाना।
  • हरित विकास पर समझौता ताकि भविष्य में सतत विकास ((Sustainable Development) हो सके। 
  • 21वीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थान (Multilateral Institutions for the 21st century)
  • डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और तकनीकी का आदान-प्रदान
  • अंतरराष्ट्रीय टैक्सेशन
  • महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना तथा लैंगिक समानता लाना
  • वित्तीय क्षेत्र की समस्याएं
  • आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ लड़ाई
  • अधिक समावेशी दुनिया का निर्माण 

दिल्ली घोषणा पत्र में इन मुद्दों पर की गई चर्चा

  • इस घोषणा पत्र में सभी देशों से आह्वान किया गया कि सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय कानून और राजनीतिक स्वतंत्रता बनाए रखें।
  • इस घोषणा पत्र आतंकवाद को सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा बताया गया है। साथ ही घोषणापत्र में आतंकवाद की निंदा की गई है चाहे उसका रूप या प्रकार कुछ भी क्यों न हो। साथ ही आतंकवादी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह और भौतिक या राजनीतिक समर्थन से वंचित करने के लिए आह्वान किया गया। 
  • घोषणा पत्र में किसी भी धार्मिक प्रतीक चिन्ह, व्यक्तियों और पवित्र किताबों के खिलाफ धार्मिक घृणा फैलाना या इससे संबंधित सभी कार्यों की निंदा की गई है।
  • इस घोषणापत्र के तहत विकासशील देशों जैसे जाम्बिया, घाना और श्रीलंका व अन्य की प्राथमिकताओं पर ध्यान देने को लेकर सहमति बनी है।
  • सभी महिलाओं, लड़कियों पर जलवायु परिवर्तन के पड़ते प्रतिकूल प्रभाव के कारण लैंगिंग समानता को मूल में रखते हुए जलवायु संकट से निपटने के लिए बढ़ाए जाने वाले कदमों में तेजी लाने की बात कही गई है। 
  • साथ ही इस घोषणा पत्र में छोटे व हल्क हथियारों की तस्करी के विषय में चिंता व्यक्त की गई है और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जैसे संसाधनों के की बढ़ती मांग व उनके जरूरतों को पूरा करने को लेकर प्रतिबद्धता जाहर की गई है।

नई दिल्ली घोषणा पत्र पर कैसे मिली आम सहमति

साल 2022 में बाली में G20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था। रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर इस सम्मेलन में रूस की निंदा की गई थी जो कि रूस और चीन को पसंद नहीं आया था। इस कारण नई दिल्ली घोषणा पत्र पर आम सहमति नहीं बन पा रही थी। लेकिन G20 समिट 2023 के अवसर पर भारत ने केवल घोषणा पत्र के शब्दों में फेरबदल किया, जिसका नतीजा ये हुआ कि भारत ने रूस और चीन को भी इसके लिए राजी कर लिया। दरअसल बहुत कम मुद्दे ही ऐसे देखने को मिलते हैं, जहां भारत के साथ-साथ अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की किसी मुद्दे पर आम सहमति हो। इस घोषणा पत्र के जारी होने का परिणाम यह है कि इसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वैश्विक नेता के रूप में ऐतिहासिक जीत दिलाई है। इस घोषणा पत्र में रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का जिक्र सीधे तौर पर नहीं किया गया है। बल्कि प्रस्तावना में ही समग्र और स्थायी शांति स्थापित करने की बात की गई है। इस घोषणा पत्र में सभी देशों से आह्वान किया गया कि अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करते हुए एक देश दूसरे देश की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और मानवीय कानून को सुनिश्चित करेंगे ताकि शांति व स्थिरता की सुरक्षा हो सके। 

अफ्रीकी संघ से भारत को होगा फायदा?

दरअसल दुनिया में दो ही सुपर पावर रहे हैं। पहला पश्चिमी देश अमरिका और दूसरी रूस। इन दोनों के बीच एक तरफ चीन और दूसरी तरफ भारत सुपरपावर बनकर उभर रहे हैं। अफ्रीकी यूनियन को जी20 में शामिल कर भारत ने यह साबित कर दिया कि विकासशील देशों का नेतृत्व करने का उसका दावा गलत नहीं है। दरअसल अफ्रीकी संघ को जी20 में शामिल करने की पहल भारत द्वारा ही की गई थी। अफ्रीकी क्षेत्र में चीन, तुर्की, अमेरिका समेत भारत ने भी निवेश किया है। अफ्रीका में किस देश की जड़ें कितनी मजबूत होंगी, इस बात सभी देशों में होड़ लगी हुई है। लेकिन जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल कराने के साथ ही ऐसा कहा जा रहा है कि भारत ने ये रेस जीत ली है और भारत और अफ्रीकी संघ के रिश्ते अब नए मुकाम पर पहुंचेंगे। 

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