Friday, November 22, 2024
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Explainer: मोदी-पुतिन वार्ता पर क्यों है अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की नजर, जानें भारत-रूस की अटूट दोस्ती की दास्तां

भारत और रूस की दोस्ती की गहराई का अंदाजा लगा पाना आसान नहीं है। दोनों देश जमीन से आसमान तक और समुद्र से पाताल तक एक दूसरे के घनिष्ठ मित्र हैं। विभिन्न वैश्निक परिस्थियों में भारत और रूस के बीच अटूट दोस्ती की धार कभी कम नहीं होने पाई। अब पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन लगातार तीसरी जीत दर्ज कर इतिहास रच चुके हैं।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: July 08, 2024 10:49 IST
पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन। - India TV Hindi
Image Source : AP पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन।

Explainer: नई दिल्लीः भारत और रूस की दोस्ती 7 दशक से भी ज्यादा पुरानी और गहरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच तो इतनी अच्छी दोस्ती है, जिसे पूरी दुनिया जानती है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और उनकी कार्यशैली के कायल हैं। तभी तो पुतिन कई बार खुले मंच से खुलकर पीएम मोदी की तारीफ कर चुके हैं। अब 8 से 9 जुलाई तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के दौरे पर होंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच अहम द्विपक्षीय वार्ता होनी है। ऐसे वक्त में दोनों ही देश भारत-रूस के संबंधों को और अधिक गहरा करने व रणनीतिक साझेदारी को नया आयाम देने को प्रतिबद्ध होंगे। मोदी-पुतिन की वार्ता में रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर इजरायल-हमास युद्ध समेत कई वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है। ऐसे में अमेरिका समेत पूरे पश्चिम की निगाहें इस अहम वार्ता पर टिकी हैं।  

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच मॉस्को में होने वाली वार्ता में यूक्रेन में जारी युद्ध का ‘ग्लोबल साउथ’ पर प्रभाव और रूसी सेना में गुमराह कर शामिल किये गये भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई अहम मुद्दा हो सकता है। भारत ने जी-20 के अध्यक्ष के तौर पर भी ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज को प्रमुखता दी थी। तब से ग्लोबल साउथ के देशों में भारत के प्रति विश्वास और बढ़ा है। बता दें कि ग्लोबल साउथ में उन देशों को शामिल किया जाता है जो विकासशील, अल्प विकसित हैं।

2 साल बाद मिलेंगे मोदी और पुतिन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन करीब 2 वर्ष बाद अब मॉस्को में मिलेंगे। पिछली बार सितंबर 2022 में उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय वार्ता की थी। इस बैठक में मोदी ने पुतिन पर यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने के लिए दबाव डालते हुए कहा था कि ‘आज का युग युद्ध का नहीं है’। पीएम मोदी के इस बयान की पश्चिमी और यूरोपीय मीडिया में काफी सराहना हुई थी। अब आठ से नौ जुलाई को होने वाले 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए मोदी रूस की यात्रा पर जा रहे हैं। दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान क्षेत्रीय व वैश्विक महत्व के मुद्दे अहम रहेंगे। 

जमीन से आसमान तक और समुद्र से पाताल तक भारत-रूस की दोस्ती

भारत और रूस की दोस्ती जमीन से आसमान तक और समुद्र से पाताल तक है। दोनों देशों की दोस्ती 7 दशक से ज्यादा पुरानी हो चुकी है। रूस भारत के लिए बड़ा ऊर्जा और हथियारों का सप्लायर रहा है। हालांकि हथियारों पर भारत ने धीरे-धीरे अब अपनी निर्भरता कम कर ली है। मगर व्यापारिक, आर्थिक, सामरिक और सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों देश महत्वपूर्ण साझेदार हैं। रूस पिछले 24 साल से भारत का रणनीतिक साझेदार भी है। नरेंद्र मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने हैं। ऐसे में उनका कद दुनिया में काफी बड़ा हो चुका है। वहीं राष्ट्रपति पुतिन भी तीसरी बार इस पद पर काबिज हुए हैं। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच होने वाली द्विपक्षीय वार्ता पर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की पैनी नजर है। 

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