विंडहॉक: नामीबिया से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है कि वह सैकड़ों जानवरों को मारने की योजना बना रहा है। इसके पीछे का कारण चौंकाने वाला है। दरअसल नामीबिया अपने लोगों के लिए मांस उपलब्ध करवाने के लिए ऐसा कर रहा है क्योंकि वह सदी के सबसे खराब सूखे से जूझ रहा है।
किन जानवरों को मारा जाएगा?
नामीबिया जिन जानवरों को मारने की योजना बना रहा है, उसमें कुल 723 जानवर हैं, जिनमें 30 दरियाई घोड़े, 60 भैंस, 50 इम्पाला, 100 ब्लू वाइल्डबीस्ट, 300 ज़ेबरा, 83 हाथी और 100 एलैंड्स शामिल हैं। 150 से अधिक जानवर पहले ही मारे जा चुके हैं, और उनके शवों से लगभग 63 टन मांस निकला है।
26 अगस्त को देश के पर्यावरण, वानिकी और पर्यटन मंत्रालय ने एक प्रेस बयान भी जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि ये अभ्यास जरूरी है और हमारे संवैधानिक जनादेश के अनुरूप है। यहां हमारे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग नामीबियाई नागरिकों के लाभ के लिए किया जाता है।
नामीबिया में क्यों पड़ा है सूखा?
नामीबिया सूखाग्रस्त दक्षिणी अफ्रीका में स्थित है और ये पहली बार नहीं है, जब सूखे की वजह से इस जगह को परेशानी का सामना करना पड़ा हो। साल 2013, 2016 और 2019 में अत्यधिक सूखे की वजह से हालात खराब रह चुके हैं और राष्ट्रीय आपात स्थिति की घोषणा की जा चुकी है।
लेकिन इस समय जो सूखा चल रहा है, उसका स्वरूप बड़ा है और ये विनाशकारी है। यूरोपीय आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये सूखा अक्टूबर 2023 में बोत्सवाना में शुरू हुआ था। उसके बाद से ये कई इलाकों में फैल गया। बारिश की कमी और औसत से ऊपर तापमान की वजह से मिट्टी में नमी की गंभीर कमी हो गई। कई अध्ययनों में भी ये बात सामने आई है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान के साथ, सूखा और बाढ़ जैसी चरम मौसम की घटनाएं अधिक तीव्र हो गई हैं।
सूखे का क्या असर पड़ा?
नामीबिया में सूखे के असर को इस तरह समझा जा सकता है कि देश का लगभग 84% खाद्य भंडार खत्म हो गया है। मक्का जैसी मुख्य फसलें सूख गई हैं, बड़ी संख्या में पशुधन मर गया है। जैसे-जैसे स्टॉक कम हुआ है, कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे भोजन मिलना भी मुश्किल हो रहा है।
पांच साल से कम उम्र के बच्चों में गंभीर कुपोषण बढ़ गया है और कुछ क्षेत्रों में मौतें भी हुई हैं। सूखे के कारण महिलाओं की असुरक्षा भी बढ़ रही है।
जंगली जानवरों को मारना समस्या का हल है?
नामीबिया जंगली जानवरों को मारना चाहता है लेकिन यह सिर्फ मांस के लिए नहीं है। सरकार को ये डर सता रहा है कि सूखे की वजह से जानवरों को भोजन और पानी की तलाश में पलायन करना होगा, जिससे वह मानव आबादी के लिए खतरा बन सकते हैं। देश में 24,000 हाथियों सहित जंगली जानवरों की एक बड़ी संख्या है।
वहीं पर्यावरण, वानिकी और पर्यटन मंत्रालय के बयान में ये भी कहा गया है कि उसे यह भी उम्मीद है कि कुछ जानवरों को मारने से वन्यजीवों पर सूखे का प्रभाव कम हो जाएगा।