Thursday, November 21, 2024
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Explainer: आखिर फिर से क्यों सुलगने लगा मणिपुर? म्यांमार से क्या है इस टेंशन का कनेक्शन?

कुछ महीनों तक तनावपूर्ण शांति के बाद मणिपुर एक बार फिर हिंसा की चपेट में आग गया है। आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि एक बार फिर मणिपुर में अशांति फैलने लगी है?

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published on: November 21, 2024 12:50 IST
Manipur, Kuki, Meitei, killing of Meitei women children- India TV Hindi
Image Source : PTI मणिपुर में हिंसा का नया दौर शुरू हो चुका है।

नई दिल्ली: मणिपुर एक बार फिर से सुलगने लगा है। पिछले हफ्ते सूबे में सैकड़ों लोगों ने कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए प्रदर्शन किया। सूबे में कुकी और मैतेई समुदाय फिर से आमने-सामने हैं और ताजा हिंसा के मामले में 23 लोगों की गिरफ्तारी भी की गई है। बता दें कि सूबे में पिछले साल शुरू हुई अशांति में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि मणिपुर अचानक अशांत हो गया? कुकी और मैतेई समुदाय एक दूसरे को शक की नजरों से क्यों देखते हैं? आइए, समझने की कोशिश करते हैं।

मणिपुर हिंसा कैसे शुरू हुई?

20 अप्रैल 2023 को मणिपुर हाई कोर्ट के एक जज ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह 'मैतेई समुदाय के उस अनुरोध पर विचार करे जिसमें उसने खुद को अनुसूचित जनजाति की लिस्ट में शामिल होने की मांग की थी।' इसके बाद कुकियों में डर पसर गया कि ST दर्जा मिलने के बाद मैतैई लोगों को पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीदने की इजाजत मिल जाएगी। इसके बाद इस मसले पर पहले तो विरोध प्रदर्शन हुआ और बाद में हिंसा होने लगी। बात बढ़ते-बढ़ते यहां तक बढ़ गई कि सूबे में अब तक हिंसा में सैकड़ों जानें जा चुकी हैं।

बता दें कि मणिपुर की आधी आबादी मैतेइयों की है और अगर उन्हें ST का दर्जा मिल जाता है तो उनके जीवन में बेहतरी आने की संभावना है। हालांकि कुकियों का मानना है कि इससे आरक्षण में उनका हिस्सा घट जाएगा। 

मैतेई समुदाय पारंपरिक रूप से मणिपुर की घाटी में रहता है जो कि राज्य के क्षेत्रफल का 10% है। वहीं, नागा और कुकी समुदाय के लोग मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं। कुकियों का मानना है कि घाटी में रहने वाले मैतेइयों को बेहतर अवसर दिए गए हैं, और यही वजह है कि वे मैतेई समुदाय के लिए आरक्षण का विरोध करते हैं।

म्यांमार के शरणार्थी भी बने आफत

2021 में म्यांमार में हुए तख्तापलट के बाद सूबे में पड़ोसी देश से बड़ी संख्या में शरणार्थी आए थे। मणिपुर की म्यांमार के साथ लगभग 400 किलोमीटर लंबी सीमा है। मणिपुर का कुकी समुदाय म्यांमार की चिन जनजाति के साथ जातीय वंश साझा करते हैं और मैतेइयों को डर था कि शरणार्थियों के आने से राज्य में उनकी संख्या कम हो जाएगी। बताया जाता है कि मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में म्यांमार से आए शरणार्थी बड़ी संख्या में मौजूद हैं। ऐसे में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच अविश्वास कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है।

मणिपुर में अब तक क्यों नहीं लौटी शांति?

मैतेई और कुकी दोनों ही समुदाय हथियारों से लैस हैं। दोनों ही समुदायों के पास ऑटोमैटिक हथियार भी हैं जिन्हें या तो राज्य पुलिस से चुराया गया है या म्यांमार से मंगाया गया है। कुकी समुदाय के लोग मुख्यमंत्री बीरेन सिंह पर भी उनके खिलाफ हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाते रहते हैं और उन्हें हटाने की मांग करते रहते हैं। बीजेपी नेता बीरेन सिंह, जो कि मैतेई समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, कुकियों के इन आरोपों को खारिज करते हैं। बीरेन सिंह ने कई बार हिंसा के लिए ड्रग माफिया और अवैध प्रवासियों, खासकर म्यांमार के शरणार्थियों को दोषी ठहराया है।

हिंसा के इस नए दौर के पीछे क्या है?

इस महीने हिंसा की ताजा घटनाएं तब शुरू हुईं जब 31 साल की कुकी महिला को जिरीबाम जिले के एक गांव में जलाकर मार डाला गया। यह इलाका जून तक संघर्ष से अछूता था। कुकियों ने इस कृत्य के लिए मैतेई समुदाय के लोगों को जिम्मेदार ठहराया। पिछले साल हुई झड़पों के बाद से कुकी और मैतेई मणिपुर के अलग-अलग इलाकों में चले गए हैं, लेकिन जिरीबाम में अभी भी मिश्रित आबादी है, और यहां से अक्सर तनाव की खबरें सामने आती रहती हैं। घटना के कुछ दिनों बाद जिरीबाम जिले में एक पुलिस स्टेशन पर हमला करने की कोशिश करने के बाद सुरक्षा बलों के साथ गोलीबारी में 10 हथियारबंद कुकी मारे गए।

इन्हीं सबके बीच मैतेई समुदाय के 6 लोग गायब हो गए, जिनमें से 3 के शव नदी में तैरते हुए पाए गए। बाद में 3 और लोगों के शव भी बरामद हुए। इस घटना के गुस्साए लोगों ने सूबे की राजधानी इंफाल में विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने रविवार को बताया कि उन्होंने सांसदों और मंत्रियों के घरों में तोड़फोड़ और आगजनी करने के आरोप में 23 लोगों को गिरफ्तार किया है। मणिपुर में हिंसा बढ़ने के बीच CRPF की 8 कंपनियां राज्य की राजधानी इंफाल पहुंच गई हैं जिन्हें संवेदनशील एंव सीमांत क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा।

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