नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले NDA ने आसानी से बहुमत का आंकड़ा पार करते हुए 293 सीटों पर अपना परचम लहराया है। हालांकि बीजेपी लगातार तीसरी बार अपने दम पर बहुमत हासिल करने में नाकाम रही और 2019 की 303 सीटों के मुकाबले 240 सीटों पर सिमट गई। दूसरी तरफ कांग्रेस के नेतृत्व में I.N.D.I.A. गठबंधन 234 सीटें ही जुटा सकता और खुद कांग्रेस को 99 सीटें ही आईं। चुनाव परिणाम आने के बाद से ही विपक्ष लगातार यह बताने की कोशिश कर रहा है कि इन चुनावों में जनता ने बीजेपी को नकार दिया है, जबकि हकीकत यह है कि नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि चुनावों में हार के बावजूद विपक्ष इतने जोश में क्यों नजर आ रहा है?
2019 के मुकाबले सिर्फ 1 प्रतिशत वोट हुआ कम
सियासी जानकारों का मानना है कि विपक्ष ऐसा करके जनता में यह संदेश देना चाहता है कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अब ढलान पर है और उन्हें हराया जा सकता है। सीटों के आंकड़ों पर नजर डालें तो विपक्ष की बात में दम नजर आता है, लेकिन जब पिछले चुनावों के मुकाबले बीजेपी का वोट शेयर देखते हैं तो मामला कुछ और ही हो जाता है। 2019 में बीजेपी को 37 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार इससे सिर्फ 1 प्रतिशत से कम यानी 36.56 प्रतिशत वोट मिले हैं। इसके साथ ही एनडीए को कुल 292 सीटें मिली है, जो बहुमत 272 से ज्यादा है। वहीं, 10 साल की एंटी-इनकंबैंसी के बावजूद विपक्ष 234 सीटों के आंकड़े तक ही पहुंच सका। बीजेपी और कांग्रेस की सीटों के बीच का अंतर भी बहुत बड़ा है।
मोदी और सरकार पर तेज हो सकते हैं हमले
आने वाले दिनों में विपक्ष की तरफ से नरेंद्र मोदी और बीजेपी को कमजोर बताते हुए हमले और तेज हो सकते हैं। मोदी ने कभी भी गठबंधन की सरकार नहीं चलाई है और ऐसे में उनके सामने चुनौती तो होगी ही। विपक्ष भी लगातार NDA के घटक दलों में मतभेद पैदा करने की कोशिश कर सकता है। सियासी एक्सपर्ट्स का मानना है कि कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष की तरफ से न सिर्फ सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए जाएंगे बल्कि इसे एक कमजोर सरकार साबित करने की कोशिश भी की जाएगी। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष अपनी रणनीति में कामयाब होता है या मोदी सभी प्रकार की चुनौतियों को धता बताते हुए बीस साबित होतें हैं।
नेहरू के बाद मोदी के नाम होगा यह रिकॉर्ड
बता दें कि 1962 के बाद पहली बार कोई गैर कांग्रेसी सरकार अपने 2 कार्यकाल पूरे करने के बाद तीसरी बार सत्ता में वापस आई है। यह अपने आप में बहुत बड़ी सफलता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार 3 कार्यकाल चलाने वाले जवाहर लाल नेहरू के बाद दूसरे प्रधानमंत्री होंगे। जिस समय नेहरू पीएम बने थे, उस समय देश में कांग्रेस का ही बोलबाला था। देश हो या विदेश, पीएम के चुनाव में कोई विरोध नहीं था। लेकिन, आज के अत्याधुनिक प्रचार माध्यम और अलगाववादी तत्वों की चुनौती रहते हुए नरेंद्र मोदी का तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना अपने आप में एक मील का पत्थर है। सीटों के लिहाज से बीजेपी को भले ही नुकसान हुआ, लेकिन लगातार तीसरी बार वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।
लगातार तीसरे चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनी बीजेपी
देश पर 10 साल शासन करने के बाद भी नरेंद्र मोदी सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री बने हुए हैं। BJP ने अकेले विपक्षी गठबंधन की कुल सीटों से अधिक सीटें जीती हैं। देश की जनता का भरोसा उन पर कायम है। NDA के घटक दल और देश के बड़े क्षेत्रीय दलों के नेता नीतीश कुमार और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को समर्थन देने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एनडीए लोकसभा चुनाव में ना सिर्फ बहुमत से ज्यादा सीट पाने में कामयाब रहा है, बल्कि बीजेपी अपना वोट शेयर बढ़ाने में भी सफल रही है। बीजेपी इस चुनाव में 240 सीटों के साथ एक बार फिर देश की सबसे बड़ी पार्टी बनने में सफल रही है।
6 राज्यों में बीजेपी ने किया क्लीन स्वीप
झटका मिलने के बावजूद लोकसभा चुनावों में एनडीए को कुल 292 सीटें मिली है, जो बहुमत 272 से ज्यादा है। वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाले I.N.D.I.A. गठबंधन को सिर्फ 233 सीटें ही मिली हैं। I.N.D.I.A. गठबंधन मिलकर भी उतनी सीटें जीत नहीं पाई, जितनी बीजेपी अकेले जीतने में सफल रही। बीजेपी ने इस चुनाव में कई राज्यों में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज की है। 6 राज्यों में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया है। जिसमें दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा शामिल हैं। इसके अलावा पार्टी गुजरात में 26 में से 25, ओडिशा में 21 में से 20 और छत्तीसगढ़ में 11 में से 10 सीटें जीतने में सफल रही है।
तेलंगाना और आंध्र में किया चौंकाने वाला प्रदर्शन
बीजेपी ने तेलंगाना में 17 में से 8 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पंजाब में बीजेपी को कोई सीट नहीं मिली है, लेकिन वोट प्रतिशत 2019 के 9.63% से बढ़कर 18.5% हो गया है, जो बड़ी उपलब्धि है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दक्षिण में बीजेपी का जनाधार तेजी से बढ़ रहा है। तमिलनाडु में बीजेपी का वोट प्रतिशत 3.62 से तीन गुना बढ़कर 11.24 प्रतिशत हो गया है। आंध्र प्रदेश में वोट प्रतिशत 0.90 से 11 गुना बढ़कर 11.28 प्रतिशत हो गया है। पार्टी ने आंध्र प्रदेश में 3 सीटें भी जीती। तेलंगाना में वोट प्रतिशत 19.65 से बढ़कर 35.08 प्रतिशत हो गया है। बीजेपी तेलंगाना में 17 में से 8 सीटें जीतने में भी सफल रही।
केरल में पार्टी ने पहली बार खोला खाता
दक्षिण भारत में अपनी स्थिति को और मजबूत करते हुए BJP पहली बार केरल में अपना खाता खोलने में सफल रही है। बीजेपी उम्मीदवार सुरेश गोपी त्रिशुर से जीते। केरल में बीजेपी का वोट प्रतिशत भी 12.99 से बढ़कर 16.68 प्रतिशत हो गया है। बीजेपी को करीब 16.58 फीसदी मतों के साथ केरल में सीट पर जीत, आंध्र प्रदेश में तेलुगुदेशम के साथ गठबंधन में मिले 12 प्रतिशत मतों के साथ तीन सीटें और तेलंगाना में लगभग 35 प्रतिशत मतों के साथ पहले से दोगुनी सीटों पर जीत लोगों की सांस्कृतिक पहचान तथा अस्मिता सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री पर भरोसा बढ़ाती दिखती है। पार्टी ने एसटी आरक्षित 47 में से 25 सीटें जीती जबकि आदिवासी बहुल क्षेत्र मे 54 में से 37 सीटें जीती।
ओडिशा और अरुणाचल में भी दर्ज की बड़ी जीत
ओडिशा विधानसभा चुनावों में बड़ा उलटफेर करते हुए बीजेपी सरकार बनाने जा रही है। बीजेपी ने राज्य में 24 साल से मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को हराकर इतिहास रच दिया है और 147 सीटों में से 78 सीटों पर जीत हासिल कर पूर्ण बहुमत हासिल किया है। अरुणाचल प्रदेश में भी बीजेपी ने 60 विधानसभा सीटों में से 46 पर जीत दर्ज कर सभी को हैरत में डाल दिया है। पार्टी अयोध्या और आसपास की सीटें भले ही हार गई हो, लेकिन इससे राम मंदिर के सरोकारों के विस्तार का महत्व कम नहीं हो जाता है। दक्षिण में कर्नाटक से बाहर बीजेपी की स्वीकार्यता बढ़ने के मूल में राम ही हैं।
कुछ राज्यों में खराब प्रदर्शन उपलब्धियों पर भारी पड़ा
ऐसे में कहा जा सकता है कि बीजेपी भले ही यूपी और बंगाल जैसे कुछ राज्यों में अच्छा प्रदर्शन न कर पाई हो, लेकिन उसने अपना आधार पहले से बड़ा किया है। माना जा रहा है कि विपक्ष इस बात को लोगों के दिलो-दिमाग में डाल देना चाहता है कि बीजेपी भले ही चुनाव जीत गई हो, लेकिन अपने लक्ष्य से पीछे रह जाना उसके लिए बड़ी हार है। दूसरी तरफ तमाम सर्वे और एग्जिट पोल में उम्मीद जताई जा रही थी कि बीजेपी प्रचंड बहुमत हासिल करेगी, लेकिन पार्टी 240 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई और इसकी उम्मीद ज्यादातर लोगों ने नहीं की थी। यही वजह है कि कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष NDA की जीत को कमतर बता रहा है। (IANS से इनपुट्स के साथ)